Table of contents |
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परिचय |
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कविता की व्याख्या |
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कविता से शिक्षा |
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शब्दार्थ |
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‘नीम’ कविता हरीश निगम जी ने लिखी है। यह कविता हमें नीम के पेड़ की खासियतों और उससे मिलने वाली सीख के बारे में बताती है। नीम का पेड़ न केवल हवा को शुद्ध करता है, बल्कि हमें उदारता, खुशमिजाजी और मदद जैसे अच्छे गुण भी सिखाता है। यह कविता बच्चों को प्रकृति से जुड़ने और नीम के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करती है।
लहराता-बलखाता नीम,
दिनभर हँसता-गाता नीम।
चिड़िया, कौआ, तोता सबसे,
अपना नेह जताता नीम।
नहीं डॉक्टर फिर भी देखो,
कितने रोग भगाता नीम।
व्याख्या: कवि कहते हैं कि नीम का पेड़ हमेशा हवा में लहराता और बलखाता है, जैसे वह खुशी से गा रहा हो। यह पक्षियों जैसे चिड़िया, कौआ और तोता से दोस्ती करता है और उनसे प्यार जताता है। नीम कोई डॉक्टर नहीं है, फिर भी इसकी पत्तियाँ, छाल और बीज बहुत सी बीमारियाँ दूर करने में मदद करते हैं। यह हमें बताता है कि नीम कितना उपयोगी और दयालु है।
चले प्रदूषित वायु कभी तो,
उसको शुद्ध बनाता नीम।
कड़वे तन में मन को मीठा,
रखना हमें सिखाता नीम।
हवा चले तो झूम-झूमके,
सब का मन बहलाता नीम।
व्याख्या: नीम का पेड़ प्रदूषित हवा को साफ करके पर्यावरण को स्वच्छ रखता है। भले ही इसकी पत्तियाँ कड़वी हों, यह हमें अपने व्यवहार को मीठा और अच्छा रखना सिखाता है। जब हवा चलती है, तो नीम की पत्तियाँ खुशी से झूमती हैं और सबके मन को आकर्षित करती हैं।
लेता नहीं किसी से कुछ भी,
पर कितना दे जाता नीम।
व्याख्या: नीम का पेड़ बिना किसी से कुछ लिए सबको बहुत कुछ देता है। यह हमें ठंडी छाया, साफ हवा, दवाओं जैसे गुण और सुंदरता देता है। नीम हमें बिना स्वार्थ के दूसरों की मदद करना सिखाता है।
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1. नीम के पेड़ की विशेषताएँ क्या हैं? | ![]() |
2. नीम की पत्तियों का उपयोग कैसे किया जाता है? | ![]() |
3. नीम से हमें क्या शिक्षा मिलती है? | ![]() |
4. नीम के पर्यावरणीय लाभ क्या हैं? | ![]() |
5. नीम की संस्कृति में क्या महत्व है? | ![]() |