किसी भी संज्ञा पद के पद परिचय हेतु निम्न 5 बाते बतलानी होती है
संज्ञा शब्द का क्रिया के साथ सम्बन्ध ‘कारक’ के अनुसार जाना जा सकता है।
राम पुस्तक पढ़ता है।
उक्त वाक्य में राम तथा ‘पुस्तक’ शब्द संज्ञाएँ हैं। यहाँ इनका पद परिचय उक्त पाँचों बातों के अनुसार निम्नानुसार होगा-
किसी सर्वनाम के पद परिचय में भी उन्हीं बातों का उल्लेख करना होगा, जिनका संज्ञा शब्द के पद-परिचय में किया था।
यह उसकी वही कार है, जिसे कोई चुराकर ले गया था।
इस वाक्य में ‘यह’, ‘उसकी’, ‘जिसे’, तथा ‘कोई’ पद सर्वनाम है। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा-
किसी विशेषण शब्द के पद परिचय हेतु निम्न बातों का उल्लेख करना होता है
वीर राम ने सब राक्षसों का वध कर दिया।
उक्त वाक्य में ‘वीर’ तथा ‘सब’ शब्द विशेषण हैं, इनका पद-परिचय निम्नानुसार होगा-
क्रिया शब्द के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, लिंग, वचन, वाच्य, काल तथा वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दांे के साथ सम्बन्ध को बतलाया जाता है।
जैसे –
राम ने रावण को मारा।
सवेरे मैं उठा।
अव्यय शब्द चूंकि लिंग, वचन, कारक आदि से प्रभावित नहीं होता अतः इनके पद परिचय में केवल अव्यय शब्द के प्रकार, उसकी विशेषता या सम्बन्ध ही बताया जाता है।
1. क्रियाविशेषण – क्रियाविशेषण के भेद (रीतिवाचक, स्थानवाचक, कालवाचक, परिमाणवाचक) उस क्रिया का उल्लेख, जिसकी विशेषता बताई जा रही हो।
जैसे – मैं भीतर बैठी थी और बच्चे धीरे-धीरे पढ़ रहे थे।
2. संबंधबोधक – संबंधबोधक के भेद, किस संज्ञा/सर्वनाम से संबंद्ध है।
जैसे – कुरसी के नीचे बिल्ली बैठी है।
3. समुच्चयबोधक – भेदों का उल्लेख, जुड़ने वाले पदों का उल्लेख।
जैसे – तुम काॅपी और किताब ले लो लेकिन फाड़ना नहीं।
4. विस्मयादिबोधक – भेदों और भावों का उल्लेख।
जैसे – वाह! कितना सुंदर बग़ीचा है। ठीक! मैं रोज़ आऊँगा
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