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प्रणम्यो देशभक्तोऽयं गोपबन्धुर्महामनाः Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8 PDF Download

परिचय

इस अध्याय में "उत्कलमणि गोपबन्धु दास" के जीवन, त्याग, समाजसेवा और देशभक्ति का वर्णन है। वे ओडिशा राज्य के महान समाजसेवक, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और लोकसेवक थे। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण जीवनशक्ति निर्धनों, बाढ़–पीड़ितों और देश की सेवा में अर्पित की। गोपबन्धु का जीवन हमें सिखाता है कि परोपकार और राष्ट्रसेवा ही सच्चा जीवन है।

(१) बाढ़ की पीड़ा और सहायता

  • ओडिशा राज्य के केन्द्रीय जनपद में महानदी में भयंकर बाढ़ आई।
  • बाढ़ से घर बह गये, अनेक लोग नदी की धारा में डूबकर मर गये।
  • लोग भूखे-प्यासे, बिना घर के दुःख भोगने लगे।
  • ऐसे समय उत्कलमणि गोपबन्धु ने अकुण्ठ सेवाभाव से पीड़ितों की सहायता की।
  • उनके कार्यों से जनता में आदर और सम्मान उत्पन्न हुआ।

(२) करुणा का भाव

  • आचार्य हरिहरदास ने एक दिन सभी अध्यापकों को भोजन हेतु आमन्त्रित किया।
  • सभी बैठे ही थे कि बाहर से एक भूखा बालक रोते हुए माँ से भोजन माँगने लगा।
  • यह देखकर गोपबन्धु की आँखें आँसुओं से भर गयीं।
  • उन्होंने तुरंत थाली उठाई और उस बालक को भोजन कराया।
  • इससे उनकी करुणा और संवेदनशीलता प्रकट होती है।

(३) जीवन परिचय एवं कार्य

  • वे साक्षीगोपाल (ओडिशा) के सुबर्णपुर ग्राम में जन्मे।
  • प्रारम्भ से ही निर्धन–सेवा और समाजसेवा में लगे रहे।
  • उन्होंने एक नि:शुल्क विद्यालय (सत्यवादी विद्यापीठ) की स्थापना की।
  • वे स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय रहे और कारावास भोगा।
  • जेल में रहते हुए उन्होंने "बन्दीर आत्मकथा", "कारा–कविता", "स्वप्न", "गो–माहात्म्य", "नचिकेता–उपाख्यान" आदि प्रेरणादायी पुस्तकें ओड़िया भाषा में लिखीं।
  • वे "समाज" नामक दैनिक समाचारपत्र के संस्थापक थे।
  • निर्धनों को अन्न, वस्त्र, आश्रय देने में वे सदैव तत्पर रहे।
  • उनका त्याग और देशप्रेम देखकर उन्हें "उत्कलमणि" (उड़ीसा का रत्न) की उपाधि दी गई।

४. गोपबन्धु के प्रेरणादायी शब्द

  • वे कहते हैं कि –
    • "देश के लिए मेरा शरीर मिट्टी में मिल जाए।"
    • "देश की आज़ादी के मार्ग में यदि मेरे शरीर की हड्डियाँ और मांस किसी काम आ जाएँ तो यह मेरे जीवन की सार्थकता होगी।"
  • उनका जीवन सम्पूर्ण देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

५. गोपबन्धु का सम्मान

  • "सत्यवादी विद्यालय", "दरिद्रनारायण सेवा संघ", "समाज" दैनिक पत्र आदि संस्थाओं की स्थापना की।
  • समाजसेवा और देशसेवा के कारण उन्हें "उत्कलमणि" की उपाधि से सम्मानित किया गया।

श्लोक एवं भावार्थ

श्लोक – १

भोजनस्यातिदौर्लभ्यं जीवनाय सुखप्रदम्।
तदर्थं भोजनं कुर्याद् मा शरीरे व्ययं कुरु॥

भावार्थ: भोजन प्राप्त करना अत्यन्त कठिन है, किन्तु जीवन को सुख देने वाला है। इसलिए जब भी भोजन मिले तो उसे ग्रहण करना चाहिए, शरीर को कष्ट देकर भोजन छोड़ना उचित नहीं है।

श्लोक – २

सर्वदेशभूमौ मम रीयायां लीनुः,
सर्वदेशलोकयात्रासिद्धये प्रयान्तु नु।
स्वराज्यमार्गे तद् गह्वरमायतकया,
ममयास्थिमांसैः परिपूरणीयाः सदा॥

भावार्थ:  मेरे शरीर की अस्थियाँ सारे देश की भूमि में लीन हो जाएँ। देश के लोगों की यात्रा (देश की उन्नति) में सहायक हों। यदि स्वराज्य के मार्ग में गड्ढ़े पड़ें तो वे मेरे अस्थि-मांस से ही भरे जाएँ। यही मेरे जीवन का उद्देश्य है।

श्लोक – ३

उत्कलमतिरीत्याख्याः प्रतिपदं लोकसेवकाः।
प्रणम्यो देशभक्तोऽयं गोपबन्धुर्महामनाः॥

भावार्थ: गोपबन्धु दास समाजसेवक और देशभक्त थे। उनके त्याग, सेवा और बलिदान के कारण जनता ने उन्हें “उत्कलमणि” की उपाधि दी। वास्तव में वे ओडिशा ही नहीं, पूरे देश के लिए पूज्य और प्रणम्य हैं।

​शब्दार्थ (चयनित)

  • जलप्लावपीडितानाम् – बाढ़ पीड़ितों का
  • नष्टान – नष्ट हुए
  • अनाहारेण – बिना भोजन के
  • अकुण्ठम् – निःसंकोच / उदार भाव से
  • समादृतः – सम्मानित
  • करुणिवचनः – करुणा से भरे वचन
  • अश्रुपूर्णः – आँसुओं से भरे नेत्र वाला
  • कारावासम् – जेलवास
  • देशसेवातत्परः – देशसेवा में तत्पर
  • उत्कलमणिः – ओडिशा की मणि (उपाधि)
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FAQs on प्रणम्यो देशभक्तोऽयं गोपबन्धुर्महामनाः Chapter Notes - Chapter Notes For Class 8

1. बाढ़ के दौरान गोपबन्धु ने किस प्रकार की सहायता प्रदान की ?
Ans. गोपबन्धु ने बाढ़ के दौरान पीड़ित लोगों की सहायता के लिए अपने संसाधनों का उपयोग किया। उन्होंने राहत सामग्री, भोजन, और दवाइयाँ वितरित कीं, साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में जाकर लोगों के साथ मिलकर उनके दु:ख में भागीदारी की।
2. गोपबन्धु का जीवन परिचय क्या है ?
Ans. गोपबन्धु एक प्रमुख समाजसेवी और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए, और उन्होंने समाज की कई बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई।
3. करुणा का भाव गोपबन्धु के कार्यों में कैसे प्रकट होता है ?
Ans. गोपबन्धु के कार्यों में करुणा का भाव उनके द्वारा किए गए सहयोग और सहायता के माध्यम से प्रकट होता है। उन्होंने हमेशा दूसरों की पीड़ा को समझा और उनकी मदद करने के लिए आगे आए, चाहे वह बाढ़ के समय हो या किसी अन्य प्रकार की विपत्ति।
4. गोपबन्धु के प्रेरणादायी शब्द क्या हैं ?
Ans. गोपबन्धु के प्रेरणादायी शब्दों में सेवा, त्याग, और मानवता के प्रति प्रेम का संदेश है। उन्होंने हमेशा दूसरों के कल्याण के लिए काम करने की प्रेरणा दी और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का आह्वान किया।
5. गोपबन्धु को किस प्रकार से सम्मानित किया गया ?
Ans. गोपबन्धु को उनके अद्वितीय कार्यों और समाज सेवा के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। उनके योगदान को याद करने के लिए विभिन्न संगठनों और सरकारी संस्थाओं द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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