संज्ञा के विकार : लिंग
शब्द के जिस रूप या चिह्न से उसके पुरुष अथवा स्त्री जाति के होने का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं।
निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान पढ़िए-(i) स्तंभ-क के सभी शब्द (नगर, छाता, बड़ा, सौंदर्य, अध्यापक, गणित, शरीर, महत्त्व) उनके पुरुषवाचक या पुल्लिग होने का बोध कराते हैं।
(ii) स्तंभ-ख के सभी शब्द (नगरी, छोटी, छतरी, सीता तथा सुंदरता, अध्यापिका, शिक्षा, काया) उनके स्त्रीवाचक या स्त्रीलिंग होने का बोध करा रहे हैं।
लिंग के भेद
हिंदी में लिंग के दो भेद होते हैं:
- पुल्लिंग
- स्त्रीलिंग
1. पुल्लिंग
शब्द के जिस रूप या चिह्न से उसके पुरुषवाचक होने का बोध हो, उसे पुल्लिंग कहते हैं।
जैसे: राजा, नर, शेर, आम, संतरा, केला, जंगल, हिमालय, देश, सूर्य, मंगलवार, बैल आदि।
2. स्त्रीलिंग
शब्द के जिस रूप या चिह्न से उसके स्त्रीवाचक होने का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।
जैसे: रानी,नारी, शेरनी, औरत, गंगा, यमुना, सरस्वती, पूर्णिमा, खटिया, रोटी, कबूतरी, भिंडी, गाय आदि।
उभयलिंगी: कुछ शब्द बिना रूप बदले दोनों लिंगों (पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग) में प्रयुक्त होते हैं, जैसे- प्रिंसीपल, प्रधानमंत्री, सभापति, डायरेक्टर, प्रोफेसर आदि।
प्राणिवाचक संज्ञाओं का लिंग निर्धारण
प्राणिवाचक संज्ञा शब्दों का लिंग जानना सरल है। व्यवहार तथा प्रयोग के आधार पर उनके लिंग सरलता से जाने जा सकते हैं।
अप्राणिवाचक संज्ञाओं का लिंग
निर्धारण-अप्राणिवाचक या निर्जीव संज्ञाओं के लिंग-निर्धारण में मुश्किलें आती हैं। इनके लिंग की जानकारी के लिए हम निम्नलिखित विधियों का सहारा ले सकते हैं:
- उनके साथ प्रयुक्त क्रिया द्वारा जैसे- मैंने “पपीता” खाया। यहाँ “खाया” क्रिया से “पपीते” के पुल्लिंग होने का बोध हो जाता है।
- उनके साथ प्रयुक्त विशेषण द्वारा जैसे- यह “पपीता” मीठा है। यहाँ “मीठा” होना विशेषण है। इसके द्वारा “पपीते” के पुल्लिंग होने का बोध होता है।
- बहुवचन में प्रयोग द्वारा जैसे—“यह पपीता है”। इस वाक्य में पपीते के लिंग की जानकारी के लिए हमें इसका बहुवचन में प्रयोग करना होगा। यदि बहुवचन करने पर शब्द के अंत में “एँ” या “आँ” लगता है तो वह स्त्रीलिंग होगा। अन्यथा पुल्लिंग माना जाएगा। “ये पपीते हैं।” इसमें भी सिद्ध हो जाता है कि पपीता पुल्लिंग है।
पुल्लिंग की पहचान
- अकारांत तत्सम संज्ञाएँ प्रायः पुल्लिंग होती हैं।
जैसे: धन, जल, वचन, अक्षर, वन, पत्र, चित्र, मस्तक, पर्वत, उपवन, नगर, सागर, शासन, विभाग, निमंत्रित, आचरण, विवाह, धर्म, संदेश, जय आदि। - हिंदी की आकारांत संज्ञाएँ प्रायः पुल्लिंग होती हैं। जैसे-होती है।
जैसे: बुढ़ापा, पहनावा, चिमटा, झगड़ा, पहिया, पैसा, ताँबा, सोना, लोहा, पराठा, हलुआ, गुस्सा, किस्सा, चश्मा, फोड़ा, पटाखा, चमड़ा, आदि। - पर्वतों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे: हिमालय, विंध्याचल, सतपुड़ा, अरावली, रॉकी आदि। - देशों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे: भारत, जापान, रूस, इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी, ईरान आदि। - प्रायः पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे: पीपल, बरगद, आम, शीशम, नीम आदि। - महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे: जनवरी, मार्च, मई, अप्रैल, जून, चैत, जेठ आदि। - ग्रहों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे: चंद्रमा, राहु, शुक्र, बृहस्पति आदि। (अपवाद-पृथ्वी) - वर्णमाला के अक्षर पुल्लिंग होते हैं।
जैसे: क, ख, ग, घ, अ, आ, उ, ऊ, ओ, च, त, थ आदि (अपवाद-इ, ई, ऋ) - दिनों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे: सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।
स्त्रीलिंग की पहचान
- इकारांत तत्सम संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं।
जैसे: जाति, समिति, शक्ति, शांति, संधि, अग्नि, रीति, हानि, आदि। (अपवाद-कवि रवि) - हिंदी ईकारांत संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं।
जैसे: चाँदी, नदी, इलायची, बोली, हँसी आदि। (अपवाद-हाथी, मोती, घी पानी) - आकारांत तत्सम संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं।
जैसे: दया, कृपा, सभा, प्रार्थना, ईर्ष्या, भाषा, आशा, कला, अहिंसा, परीक्षा, शिक्षा, सेना, सूचना आदि। - उकारांत तत्सम संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं।
जैसे: वायु, आयु, ऋतु, वस्तु आदि। - भाषा, बोली, लिपियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे: हिंदी, उर्दू, पंजाबी, पहाड़ी, देवनागरी आदि। 6. तिथियों के नाम स्त्रीलिंग हैं।
जैसे: पूर्णिमा, पंचमी, तीज, अमावस्या आदि। - नदियों व झीलों के नाम स्त्रीलिंग हैं।
जैसे- गंगा, कावेरी, सरस्वती, यमुना, क्षिप्रा, नर्मदा, चिलका आदि। (अपवाद-सिंधु, ब्रह्मपुत्र)।
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग में परिवर्तन
यहाँ पुल्लिग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम तथा उदाहरण दिए जा रहे हैं-
1. अकारांत पुल्लिग शब्दों के अंतिम “अ” को “आ” करके
2. “अ” को “ई” करके
3. शब्द के अंतिम “आ” को “ई” करके
4. “आन” को “अती” करके
5. अंतिम “अक” को “इका” करके
6. अंतिम “अ” तथा “आ” का “इया” करके
7. व्यवसाय (व्यापार) वाची शब्दों के अंतिम स्वर को “इन” करके
8. 8. जाति तथा उपनाम सूचक शब्दों के अंतिम स्वर को “आइन” करके
9. कुछ अकारांत शब्दों में “नी” जोड़कर
10. आनी जोड़कर- (अंतिम स्वर के स्थान पर आनी करके)
11. अंतिम “ई” को “ईनी” करके
Question for Chapter Notes: लिंग
Try yourself: ‘लिंग’ ‘विकारक तत्व है
Question for Chapter Notes: लिंग
Try yourself:जिन शब्दों के अंत में ‘इका’ होता है वे सदा होते हैं
Question for Chapter Notes: लिंग
Try yourself:इनमें स्त्रीलिंग और पुल्लिंग एक समान रहता है