वाक्य किसे कहते हैं?
भाषा व्यवहार की अवधारणा है जिसे हम परंपरा से सीखते हैं। शब्दों का सार्थक समूह वाक्य का निर्माण करता है। वाक्य से ही भाषा की शुरुआत होती है। व्यावहारिक दृष्टि से भाषा वाक्यों का ही समूह है। भाषा में अर्थ की सार्थकता की अपेक्षा सदा ही बनी रहती है। वाक्यों का सुव्यवस्थित रूप वाक्य की रचना कहलाता है।
(i) विद्यालय ज्ञान का मंदिर है।
(ii) गुरु के बिना ज्ञान मिलना संभव नहीं है।
(iii) तन्मय परिश्रम करता तो अवश्य सफल होता।
इन पंक्तियों में कहे गए कथन स्वयं में पूर्ण हैं, क्योंकि इनमें कही गई बातें अपना अर्थ स्पष्ट कर रही हैं।
वाक्य
वाक्य पदों का वह व्यवस्थित समूह है जो किसी भाव या उद्देश्य को पूर्णतया व्यक्त करने में सक्षम है।
जैसे:(i) मीरा भजन गाती है।
(ii) पृथ्वीराज चौहान वीर योद्धा थे।
वाक्य के घटक
वाक्य के मुख्यतः
दो घटक या अंग होते हैं-
उद्देश्य और विधेय।
1. उद्देश्य: वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के विषय में कुछ कहा जाता है, वह उद्देश्य कहलाता है।
जैसे: मनु बाजार जाता है।
इस वाक्य में मनु के बारे में कहा गया है, अतः मनु उद्देश्य है।
- उद्देश्य विस्तार: जो शब्द या शब्द-समूह उद्देश्य की विशेषता बताए, उसे “उद्देश्य का विस्तार” कहते हैं।
जैसे: चंचल बालक दौड़ता है।
इस वाक्य में चंचल उद्देश्य बालक की विशेषता बतला रहा है। अतः वह उद्देश्य का विस्तार है।
2. विधेय: वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं।
जैसे: मनु बाजार जाता है।
इस वाक्य में मनु उद्देश्य है तथा बाजार जाता है विधेय है।
- विधेय-विस्तार: विधेय की विशेषता बताने वाले शब्द या शब्द-समूह को विधेय का विस्तार कहते हैं।
जैसे: वह धीरे-धीरे जाता है।
इस वाक्य में धीरे-धीरे विधेय जाता है की विशेषता बतला रहा है, अतः वह विधेय-विस्तार है।
निषेधवाचक
जिन वाक्यों में क्रिया के न होने या न करने का कथन हो, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे: मेधावी छात्र परीक्षा में नकल नहीं करते।
संदेहवाचक
जिन वाक्यों में संदेह या संभावना का बोध हो, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे: मुझे नहीं लगता कि वह पास हो जाएगा।
इच्छावाचक
जिस वाक्य में वक्ता की इच्छा, कामना, आशा, आशीर्वाद आदि का बोध होता है, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे: भगवान आपको सदा स्वस्थ रखे। तुम्हारी यात्रा मंगलमय हो।
प्रश्नवाचक
जिस वाक्य से किसी प्रकार के प्रश्न किए जाने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे: क्या तुम विद्यालय जा रहे हो?
संकेतवाचक
जिस वाक्य में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर हो, उसे संकेतवाचक वाक्य कहा जाता है।
जैसे: तुम परिश्रम करते तो अवश्य सफल होते।
आज्ञावाचक
जिन वाक्यों से आज्ञा, अनुमति, अनुरोध, आदेश आदि का बोध हो उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहा जाता है।
जैसे: क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?
विस्मयादिबोधक
जिन वाक्यों में विस्मय (आश्चर्य), हर्ष, घृणा, शोक आदि भाव प्रकट हों, उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहा जाता है।
जैसे: अहा! कितना सुंदर उपवन है।
रचना या बनावट के आधार पर
रचना या बनावट के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
- साधारण वाक्य या सरल वाक्य
- मिश्र या मिश्रित वाक्य
- संयुक्त वाक्य
1. सरल वाक्य: जिस वाक्य में एक ही उपवाक्य हो अर्थात् एक कर्ता और एक ही क्रिया हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं। जैसे: लड़की सुंदर है।
इस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय रहता है।
2. मिश्र वाक्य: जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य हो, वह मिश्र वाक्य कहलाता है।
जैसे: सभी जानते हैं कि तुम अच्छे विद्यार्थी हो।
इस वाक्य में सभी जानते हैं’- प्रधान उपवाक्य तथा ‘तुम अच्छे विद्यार्थी हो’- आश्रित उपवाक्य है।
3. संयुक्त वाक्य: समानता के आधार पर जब दो वाक्य समुच्चयबोधक (योजक) से जुड़ते हैं तो ऐसा वाक्य संयुक्त वाक्य कहलाता है।
जैसे: बादल घिरे और मयूर नाचने लगे।
यहाँ रचना की दृष्टि से वाक्य-परिवर्तन की विवेचना की जा रही है। रचना की दृष्टि से वाक्य-परिवर्तन तीन तरीके का होता है
सरल वाक्य से मिश्र वाक्य बनाना

सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य बनाना

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