जैसे-
1. उद्देश्य
2. विधेय
जैसे -
(i) राम ने रावण को मारा
(ii) मेरा भाई प्रशान्त धार्मिक पुस्तकें अधिक पढ़ता है।
1. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
(i) विधानवाचक वाक्य
जिस वाक्य में किसी काम का होना पाया जाता है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है।
जैसे -
(ii) निषेधवाचक वाक्य
जिस वाक्य में किसी बात के या किसी काम के न होने का बोध होता है वहाँ निषेधात्मक वाक्य होता है।
जैसे -
(iii) प्रश्नवाचक वाक्य
जिस वाक्य का प्रयोग प्रश्न पूछने में किया जाए उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे -
(iv) आज्ञावाचक वाक्य
जिस वाक्य में आज्ञा, उपदेश, अनुमति का बोध हो वह आज्ञावाचक वाक्य होता है।
जैसे -
(v) विस्मयादिबोधक वाक्य
जिस वाक्य में ‘हर्ष’, ‘शोक’, ‘घृणा’, व ‘विस्मय’ आदि भाव प्रकट होते है वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता है।
जैसे -
(vi) इच्छावाचक वाक्य
जिस वाक्य में किसी आशीर्वाद, इच्छा, कामना का बोध हो, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे -
(vii) संदेह सूचक वाक्य
जिस वाक्य में किसी काम के पूरा होने में संदेह या संभावना का भाव प्रकट हो, उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे -
(viii) संकेतार्थक वाक्य
जिस वाक्य में संकेत या शर्त हो वह संकेतार्थक वाक्य कहलाता है।
जैसे -
2. रचना के आधार पर वाक्य के भेद
(i) सरल वाक्य
जिन वाक्यों में एक उद्देश्य तथा एक विधेय होता है, उन्हें सरल या साधारण वाक्य कहते हैं।
जैसे -
(ii) मिश्र वाक्य
जिन वाक्यों में एक मुख्य उपवाक्य और अन्य उपवाक्य उस पर आश्रित हो, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं |
जैसे -
(a) अध्यापिका चाहती है कि बच्चे मेहनत करें।
(b) राधा ऐसे खेल रही है, जैसे बच्चे खेलते हैं।
(iii) संयुक्त वाक्य
वह वाक्य जिसमें दो या दो से अधिक वाक्य या खंड स्वतंत्र रूप से समुच्चयबोधक अव्ययों द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
जैसे -
संयोजक/समुच्चयबोधक अव्यय शब्द - तथा, एवं, या, अथवा, और, परन्तु, लेकिन, किन्तु बल्कि, अतः, इसलिए आदि।
विशेष –
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