इन वाक्यों में “काली”, “अधिक”, “मोटा”, “ऊँचा”, “एक किलो” और “पचास” शब्द क्रमशः “गाय”, “दूध”, “लड़का”, “मकान”, “चावल” और “छात्र” संज्ञा शब्दों की विशेषता बता रहे हैं। ऐसे ही विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहा जाता है।
इन वाक्यों में “ईमानदार”, “लाल”, विशेषण शब्द हैं। इन शब्दों से “लड़का”, “फ्रॉक”, शब्दों के गुण, रंग, आकार का पता चलता है। ये शब्द गुणवाचक विशेषण हैं।
इन वाक्यों में “दो-लीटर”, “लोटा भर” और “तीन मीटर” विशेषण शब्द मात्रा या परिमाण का बोध कराते हैं इसलिए ये परिमाणवाचक विशेषण हैं।
परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते हैं-
(i) दो घोड़े दौड़ रहे हैं।
(ii) क्रिकेट टीम में ग्यारह खिलाड़ी होते हैं।
(iii) फुटबाल विश्व कप में दस टीमों ने भाग लिया।
इन वाक्यों में “दो”, “ग्यारह” और “दस” संख्यावाचक विशेषण हैं जो “घोड़े”, “टीम” शब्दों की संख्या संबंधी विशेषता प्रकट कर रहे हैं।
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं-
समुदायवाचक- जहाँ केवल सामूहिक संख्या का ज्ञान हो; जैसे- तीनों, चारों, पाँचों, सातों आदि। प्रत्येकवाचक- जहाँ केवल प्रत्येक का बोध हो; जैसे – प्रत्येक, हर एक, हर दूसरे दिन आदि।
जैसे:
(i) वह मेरा घर है।
(ii) कोई नहीं रुकेगा।
(iii) कौन लोग आए थे ?
इन वाक्यों में “वह”, “कोई”, और “कौन” सर्वनाम क्रमशः “घर”, “खिलाड़ी” और “लोग” संज्ञाओं की विशेषता बताने के कारण विशेषण हो गए हैं। सार्वनामिक विशेषण को संकेतवाचक विशेषण भी कहते हैं।
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