प्रस्तुत पाठ में एक चिड़िया की रोचक कथा है। इस कथा में वर्णित है कि कैसे समूह में रहकर और एकता से कार्य करके छोटे-छोटे प्राणी भी विशालकाय हाथी को परास्त कर देते हैं। बहुत से निर्बल प्राणियों का समूह कठिनाई को जीतने योग्य बन जाता है। अत: इस कथा से हमें शिक्षा मिलती है कि सामूहिक एकता में शक्ति होती है।
एक वृक्ष पर एक चिड़िया रहती थी। एक बार कोई मस्त हाथी आया और वृक्ष की शाखा को तोड़कर फेंक दिया। इससे चिड़िया के बच्चे पृथ्वी पर गिर कर मर गए। सन्ततिनाश से दुःखित उस चिड़िया को काष्ठकूट पक्षी वीणारवा मक्खी के पास ले गया। उसकी बात सुनकर वह मक्खी उसे मेंढक के पास ले गई।
उन सभी ने मिलकर एक योजना बनाई। योजना के अनुसार मक्खी ने हाथी के कान में मीठा-मीठा गुनगुनाना प्रारम्भ किया। मस्ती की दशा में वह आँखें बन्द किए पड़ा रहा। इसी समय काष्ठकूट ने उसकी आँखें चोंच से फोड़ डालीं। प्यास से व्याकुल वह हाथी यत्र-तत्र घूमने लगा।
तब एक गड्ढे के पास मेंढक टर्र-टर्र की आवाज निकालने लगा। उसे तालाब समझ कर वह हाथी उस गड्ढे में गिर गया और मर गया। अत: कहा गया है कि मेल (या एकता) दुर्जय होता है।
(क) पुरा एकस्मिन् वृक्षे एका चटका प्रतिवसति स्म। कालेन तस्याः सन्ततिः जाता। एकदा
कश्चित् प्रमत्तःगजः तस्य वृक्षस्य अधः आगत्य तस्य शाखांशुण्डेन अत्रोटयत्।चटकायाः
नीडं भुवि अपतत्। तेन अण्डानि विशीर्णानि । अथ सा चटका व्यलपत्। तस्याः विलापं
श्रुत्वा काष्ठकूटः नाम खगः दुःखेन ताम् अपृच्छत्-“भद्रे, किमर्थं विलपसि?” इति।
सरलार्थ :
प्राचीन काल में एक पेड़ पर एक चिड़िया रहती थी। समय से उसके बच्चे हुए। एक बार किसी मतवाले हाथी ने उस पेड़ के नीचे आकर उसकी शाखा को तोड़ डाला। चिड़िया का घोंसला भूमि पर गिर गया। उससे अण्डे नष्ट हो गए। अब वह चिड़िया रोने लगी। उसका रोना सुनकर काष्ठकूट नामक पक्षी ने दुःख से उससे पूछा-“भली (चिड़िया) किसलिए रो रही हो?”
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ख)चटकावदत्-“दुष्टेनैकेन गजेन मम सन्ततिः नाशिता। तस्य गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत्।”
ततः काष्ठकूटः तां वीणारवा-नाम्न्याः मक्षिकायाः समीपम् अनयत्। तयोः
वार्तां श्रुत्वा मक्षिकावदत्-“ममापि मित्रं मण्डूकः मेघनादः अस्ति। शीघ्रं तमुपेत्य यथोचितं करिष्यामः।” तदानीं तौ मक्षिकया सह गत्वा मेघनादस्य पुरः सर्वं वृत्तान्तं न्यवेदयताम्।
सरलार्थ :
चिड़िया बोली-“एक दुष्ट हाथी के द्वारा मेरे बच्चे नष्ट कर दिए गए हैं। उस हाथी की मौत से ही मेरा दुःख दूर होगा।” तब काष्ठकूट उसको वीणारवा नामक मक्खी के पास ले गया। उन दोनों की बात को सनकर मक्खी बोली-“मेरा भी मेघनाद नामक मेढक मित्र है। जल्दी ही उसके समीप जाकर जैसा ठीक हो, करेंगे।” तब उन दोनों ने मक्खी के साथ जाकर मेघनाद के सामने सारा समाचार बताया।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ग) मेघनादः अवदत्-“यथाहं कथयामि तथा कुरुतम्। मक्षिके! प्रथमं त्वं मध्याह्ने तस्य
गजस्य कर्णे शब्दं कुरु, येन सः नयने निमील्य स्थास्यति। तदा काष्ठकूटः चञ्च्वा तस्य
नयने स्फोटयिष्यति एवं सः गजः अन्धः भविष्यति।”
सरलार्थ :
मेघनाद बोला-“जैसा मैं कहता हूँ, (तुम दोनों) वैसा करो। मक्खी! पहले तुम दोपहर में उस हाथी के कान में आवाज़ करना, जिससे वह आँखें बन्द करके बैठेगा। तब काष्ठकूट चोंच से उसकी दोनों आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार वह हाथी अन्धा (नेत्रहीन) हो जाएगा।”
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(घ) तृषार्तः सः जलाशयं गमिष्यति।मार्गे महान् गर्तः अस्ति। तस्य अन्तिके अहं स्थास्यामि शब्द
च करिष्यामि।मम शब्देन तंगतँ जलाशयं मत्वा स तस्मिन्नेव गर्ने पतिष्यति मरिष्यति च।”
अथ तथाकृते सः गजः मध्याह्ने मण्डूकस्य शब्दम् अनुसृत्य महत: गर्तस्य अन्तः पतितः मृतः च।
तथा चोक्तम्- ‘बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जयः।
सरलार्थ :
प्यास से पीड़ित वह तालाब पर जाएगा। रास्ते में बड़ा गड्ढा है। उसके पास मैं बैलूंगा और आवाज़ करूँगा। मेरी आवाज़ से उस गड्ढे को तालाब मान कर वह उसी गड्ढे में गिर जाएगा और मर जाएगा। अब वैसा करने पर वह हाथी दोपहर में मेढक की आवाज़ का अनुसरण (पीछा) करके बड़े गड्ढे के अन्दर गिर गया और मर गया। और वैसे कहा भी गया है निश्चय से अनेक निर्बलों का समूह कठिनाई को जीतने योग्य होता है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
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