Table of contents | |
लघु उत्तरीय प्रश्न | |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | |
मूल्यपत्रक प्रश्न | |
सार-आधारित प्रश्न | |
अतिरिक्त प्रश्न |
कक्षा 8 हिंदी में कामतानाथ की कहानी “लाख की चूड़ियाँ” शहरीकरण और औद्योगिक विकास से गाँव के उद्योग के ख़त्म होने के दुख को चित्रित करती है। यह कहानी रिश्ते-नाते के प्यार में रचे-बसे गाँव के सहज सम्बन्धो में बिखराव और सांस्कृतिक नुकसान के आर्थिक कारणों को स्पष्ट करती है। आइये इस डॉक्यूमेंट में इस पाठ के Important Questions देखें।
प्रश्न 1: मशीनी युग ने छोटे कारीगरों को किस प्रकार प्रभावित किया है? इस पाठ "लाख की चूड़ियां" के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: मशीनी युग में उद्योगों में परिवर्तन आ गया है। मशीनों से बनने वाली वस्तुएँ सुन्दर सस्ती तथा एक बार में ही एक से अधिक बन जाती हैं, परन्तु इससे हस्तकला कारीगर बेरोजगार होते जा रहे हैं। ये रोजगार छिन जाने से असहाय तथा भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं। हस्तशिल्प जैसी कलाएँ नष्ट होती जा रही हैं।
प्रश्न 2: यह हम कैसे कह सकते हैं कि बदलू चूड़ियाँ बनाने वाला कुशल कारीगर था?
उत्तर: बदलू लाख की सुन्दर चूड़ियाँ बनाता था। उसके गाँव व आसपास की सभी महिलाएँ उसकी बनाई चूड़ियाँ पहनती थीं। चूड़ियाँ बनाना उसका पैतृक पेशा था और वास्तव में वह बहुत ही सुन्दर चूड़ियाँ बनाता था। शादी-विवाह के अवसर पर उसकी बनाई चूड़ियाँ बहुत पसंद की जाती थीं और इसके लिए उसे मुँहमांगी कीमत मिलती थी।
प्रश्न 3: बदलू चूड़ियाँ बनाने का कार्य कहाँ करता था?
उत्तर: बदलू के मकान के सामने नीम का पुराना पेड़ था। उसी के नीचे लाख पिघलाने की भट्ठी थी। उसके बगल में बैठकर बदलू चूड़ियाँ बनाया करता था।
प्रश्न 4: किस घटना ने लेखक को अचानक बदलू की याद दिला दी?
उत्तर: एक दिन बरसात में लेखक के मामा की छोटी लड़की आँगन में फिसलकर गिर गई। काँच की चूड़ी टूटकर उसकी कलाई में घुस गई। लेखक ने ही उसकी मरहम-पट्टी की। इस घटना ने उसे अचानक बदलू की याद दिला दी।
प्रश्न 5: प्रतिकूल परिस्थितियाँ होने के बाद भी बदलू ने हारकर भी हार नहीं मानी। कैसे?
उत्तर: बदलू लाख की चूड़ियाँ बनाने का कुशल कारीगर था। उसकी बनाई चूड़ियों की बहुत मांग थी। लेकिन मशीनीकरण के कारण उसकी लाख की चूड़ियों के स्थान पर काँच की चूड़ियाँ पसंद की जाने लगीं। जमींदार साहब भी अपनी बेटी के लिए बनाई गई चूड़ियों की कीमत केवल दस आने दे रहे थे। लेकिन बदलू ने इतने कम पैसे लेने से मना कर दिया। विषम परिस्थितियों में भी बदलू ने अपने पेशे में प्रतिबद्धता कायम रखी और हारकर भी हार नहीं मानी।
सारे गाँव में बदलू मुझे सबसे अच्छा आदमी लगता था क्योंकि वह मुझे सुंदर-सुंदर लाख की गोलियाँ बनाकर देता था। मुझे अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव यही था कि जब मैं वहाँ से लौटता था तो मेरे पास ढेर सारी गोलियाँ होतीं, रंग-बिरंगी गोलियाँ जो किसी भी बच्चे का मन मोह लें।
प्रश्न 1. बदलू किसे अच्छा लगता था?
(क) गाँव के लोगों को
(ख) जमींदारों को
(ग) लेखक को
(घ) बच्चों को
उत्तर: (ग)
प्रश्न 2. बदलू किसे सुंदर-सुंदर लाख की गोलियाँ बनाकर देता था?
(क) बच्चों को
(ख) बेटो को
(ग) गाँव वालो को
(घ) लेखक को
उत्तर: (घ)
प्रश्न 3. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए।
(क) गद्यांश के पाठ का नाम- बस की यात्रा , लेखक का नाम- हरिशंकर परसाई।
(ख) गद्यांश के पाठ का नाम- ध्वनि, लेखक- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’।
(ग) गद्यांश के पाठ का नाम- भगवान के डाकिए, लेखक- रामधारी सिंह दिनकर।
(घ) गद्यांश के पाठ का नाम- लाख की चूड़ियाँ, लेखक- कामतानाथ ।
उत्तर: (घ)
वैसे तो मेरे मामा के गाँव का होने के कारण मुझे बदलू को ‘बदलू मामा’ कहना चाहिए था परंतु मैं उसे ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ कहा करता था जैसा कि गाँव के सभी बच्चे उसे कहा करते थे। बदलू का मकान कुछ ऊँचे पर बना था। मकान के सामने बडा़-सा सहन था जिसमें एक पुराना नीम का वृक्ष लगा था। उसी के नीचे बैठकर बदलू अपना काम किया करता था। बगल में भट्टी दहकती रहती जिसमें वह लाख पिघलाया करता। सामने एक लकड़ी की चौखट पड़ी रहती जिस पर लाख के मुलायम होने पर वह उसे सलाख के समान पतला करके चूड़ी का आकार देता। पास में चार-छह विभिन्न आकार की बेलननुमा मुँगेरियाँ रखी रहतीं जो आगे से कुछ पतली और पीछे से मोटी होतीं। लाख की चूड़ी का आकार देकर वह उन्हें मुँगेरियों पर चढ़ाकर गोल अैर चिकना बनाता अैर तब एक-एक कर पूरे हाथ की चूड़ियाँ बना चुकने के पश्चात् वह उन पर रंग करता।
प्रश्न 1. बदलू कहाँ बैठकर अपना काम करता था?
(क) जामुन के वृक्ष के नीचे
(ख) खेतों में
(ग) गाँव के चौराहे पर
(घ) नीम के वृक्ष के नीचे
उत्तर: (घ)
प्रश्न 2. बदलू चूड़ियों को आकार देने के लिए किसका प्रयोग करता था?
(क) बेलन का
(ख) ग्लास का
(ग) मोम का
(घ) बेलननुमा मुँगेरियाँ का
उत्तर: (घ)
प्रश्न 3. लेखक बदलू को ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
(क) क्योंकि गांव के सारे बच्चे बदलू को ‘बदलू काका’ ही कहते थे।
(ख) क्योंकि वह लेखक का चाचा था।
(ग) क्योंकि वह गाँव वालों को अच्छा लगता था।
(घ) क्योंकि वह बदलू काका नाम सुनकर खुश होता था ।
उत्तर:- (क)
प्रश्न 4. बदलू दहकती भट्टी में क्या पिघलाया करता था?
(क) लोहा को
(ख) सोना को
(ग) लाख को
(घ) कोयले को
उत्तर:- (ग)
बदलू मनिहार था। चूड़ियाँ बनाना उसका पैतृक पेशा था और वास्तव में वह बहुत ही सुंदर चूड़ियाँ बनाता था। उसकी बनाई हुई चूड़ियों की खपत भी बहुत थी। उस गाँव में तो सभी स्त्रियाँ उसकी बनाई हुई चूड़ियाँ पहनती ही थी आस-पास के गाँवों के लोग भी उससे चूड़ियाँ ले जाते थे। परंतु वह कभी भी चूड़ियों को पैसों से बेचता न था। उसका अभी तक वस्तु-विनिमय का तरीका था और लोग अनाज के बदले उससे चूड़ियाँ ले जाते थे। बदलू स्वभाव से बहुत सीधा था। मैंने कभी भी उसे किसी से झगड़ते नहीं देखा। हाँ, शादी-विवाह के अवसरों पर वह अवश्य जिद़ पकड़ जाता था। जीवन भर चाहे कोई उससे मुफ्त चूड़ियाँ ले जाए परंतु विवाह के अवसर पर वह सारी कसर निकाल लेता था। आखिर सुहाग के जोड़े का महत्त्व ही और होता है।
प्रश्न 1. बदलू चूड़ियाँ कैसे बेचता था?
(क) अनाज लेकर
(ख) पैसे लेकर
(ग) सब्जियां लेकर
(घ) वस्तु लेकर
उत्तर:- (क)
प्रश्न 2. बदलू क्या था?
(क) मनिहार
(ख) लोहार
(ग) किसान
(घ) सुनार
उत्तर:- (क)
प्रश्न 3. बदलू का स्वभाव कैसा था?
(क) सीधा
(ख) रुखा
(ग) चंचल
(घ) मुडी
उत्तर:- (क)
प्रश्न 4. बदलू का पैतृक पेशा क्या था ?
(क) खेती करना
(ख) कांच की चूड़ियाँ बनाना
(ग) लाख की चूड़ियाँ बनाना
(घ) सब्जी बेचना
उत्तर:- (ग)
बदलू यह कार्य सदा ही एक मचिये पर बैठकर किया करता था जो बहुत ही पुरानी थी। बगल में ही उसका हुक्का रखा रहता जिसे वह बीच-बीच में पीता रहता। गाँव में मेरा दोपहर का समय अधिकतर बदलू के पास बीतता। वह मुझे ‘लला’ कहा करता और मेरे पहुँचते ही मेरे लिए तुरंत एक मचिया मँगा देता। मैं घंटों बैठे-बैठे उसे इस प्रकार चूड़ियाँ बनाते देखता रहता। लगभग रोज ही वह चार-छह जोड़े चूड़ियाँ बनाता। पूरा जोड़ा बना लेने पर वह उसे बेलन पर चढ़ाकर कुछ क्षण चुपचाप देखता रहता मानो वह बेलन न होकर किसी नव-वधू की कलाई हो।
प्रश्न 1. बदलू रोज कितनी चूड़ियाँ बनाता था ?
(क) पांच-छह जोड़े
(ख) चार जोड़े
(ग) चार-छह जोड़े
(घ) चार-तीन जोड़े
उत्तर:- (ग)
प्रश्न 2. बदलू किसे लला कहकर बोलता था ?
(क) लोगों को
(ख) बेटो को
(ग) लेखक को
(घ) बच्चों को
उत्तर:- (ग)
प्रश्न 3. बदलू लेखक को बैठने के लिए क्या देता था ?
(क) कुर्सी
(ख) मचिया
(ग) खाट
(घ) बेंच
उत्तर:- (ख)
प्रश्न 4. बदलू मचिये पर बैठकर क्या करता था?
(क) पानी पीता था
(ख) हुक्का पीता रहता था
(ग) जूते बनाता रहता था
(घ) चूड़ियाँ बनाता रहता।
उत्तर:- (ख)
प्रश्न 1: लेखक को अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव क्या था?
उत्तर: लेखक को अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव यही था कि जब वह वहाँ से लौटता था तो उसके पास ढेर सारी गोलियाँ होतीं, रंग - बिरंगी गोलियाँ जो किसी भी बच्चे का मन मोह लें।
प्रश्न 2: लेखक की निगाह एक क्षण के लिए रज्जो के हाथों पर क्यों ठिठक गई?
उत्तर: लेखक की निगाह एक क्षण के लिए रज्जो के हाथों पर इसलिए ठिठक गई क्योंकि उसके हाथों में लेखक ने लाख की चूड़ियाँ देखी जो की उसकी गोरी गोरी कलाईयों पर बहुत फब रही थीं।
प्रश्न 3: बदलू की बनाई गई चूड़ियों की बहुत खपत क्यों थी?
उत्तर: बदलू की बनाई गई चूड़ियों की बहुत खपत इसलिए थी क्योंकि वह बहुत ही सुंदर चूड़ियाँ बनाता था। उस गाँव में तो सभी स्त्रियाँ उसकी बनाई हुई चूड़ियाँ पहनती थीं आस - पास के गाँवों के लोग भी उससे चूड़ियाँ ले जाते थे।
प्रश्न 4: वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
उत्तर: जब किसी एक वस्तु या सेवा के बदले दूसरी वस्तु या सेवा का लेन-देन होता है तो इसे वस्तु विनिमय कहते हैं। जैसे एक गाय लेकर १० बकरियाँ देना। इस पद्धति में रूपये-पैसे का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। उदाहरण के तौर पर पाठ में लोग अनाज के बदले बदलू से चूड़ियाँ ले जाया करते थे। किन्तु अब मुद्रा के चलन के कारण वर्तमान परिवेश में वस्तु का लेन-देन मुद्रा के द्वारा होता है। विनिमय की प्रचलित पद्धति पैसा है।
प्रश्न 5: किसी भी स्त्री के हाथों में काँच की चूड़ियों को देखकर बदलू की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर: यदि किसी भी स्त्री के हाथों में उसे काँच की चूड़ियाँ दिख जातीं तो वह अंदर - ही - अंदर कुढ़ उठता और कभी कभी तो दो - चार बातें भी सुना देता।
प्रश्न 6: विवाह के अवसर पर बदलू को क्या - क्या मिलता था?
उत्तर: विवाह में उसके बनाए गए सुहाग के जोड़े का मूल्य इतना बढ़ जाता था कि उसके लिए उसकी घरवाली को सारे वस्त्र मिलते, ढेरों अनाज मिलता, उसको अपने लिए पगड़ी मिलती और रूपये मिलते।
प्रश्न 7: किस घटना के बाद लेखक को सहसा बदलू का ध्यान हो आया?
उत्तर: बात यह हुई की लेखक के मामा की छोटी लड़की आँगन में फिसल कर गिर पड़ी और उसके हाथ की काँच की चूड़ी टूटकर उसकी कलाई में घुस गई और उससे खून बहने लगा। तभी सहसा लेखक को बदलू का ध्यान हो आया।
प्रश्न 8: बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी, जो लेखक से छिपी न रह सकी?
उत्तर: बदलू लाख की चूड़ियाँ बेचा करता था परन्तु जैसे-जैसे काँच की चूडियों का प्रचलन बढ़ता गया उसका व्यवसाय ठप पड़ने लगा। अपने व्यवसाय की यह दुर्दशा बदलू को मन ही मन कचौटती थी। बदलू के मन की यह व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।
लाख की चूड़ियां पाठ को इस वीडियो की मदद से समझें।
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