हिंदी कक्षा 8 में अन्नपूर्णानन्द की कहानी “अकबरी लोटा” एक हास्य पूर्ण कहानी है। लेखक ने कहानी को बहुत ही रोचंक तरीके से प्रस्तुत किया गया है और साथ के साथ बताया गया है कि परेशानी के समय में परेशान न होकर समझदारी से किस तरह से एक समस्या का हल निकाला जा सकता है। इस दस्तावेज़ में अकबरी लोटा पाठ के Important Questions हैं।
प्रश्न 1: लाला झाऊलाल की पत्नी ने ऐसा क्या कहा, जिसे सुनकर लालाजी का जी बैठा गया?
View Answerउत्तर: लाला झाऊलाल की पत्नी ने एक दिन अचानक उनसे ढाई सौ रुपये की माँग कर दी। अच्छा खाने पीने के बाद भी लालाजी के पास एक साथ ढाई सौ रुपये नहीं होते थे। ढाई सौ रुपये की माँग सुनकर उनका जी बैठ गया।
प्रश्न 2: लोटा बिकने की स्थिति में सबसे अधिक फायदे में कौन रहा?
View Answerउत्तर: सबसे अधिक फायदा झाऊलाल को हुआ क्योंकि उन्हें ढाई सौ रुपयों की सख्त जरूरत थी और उसके बदले उन्हें पाँच सौ मिल गए थे। साथ ही वह लोटा उन्हें पसन्द भी न था।
प्रश्न 3: ‘‘उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई’’ समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों? लिखिए।
View Answerउत्तर: बिलवासी'' जी अपनी पत्नी के सोने की प्रतीक्षा कर रहे थे। वे चुपचाप उसी तरह रूपए संदूक में रखना चाहते थे। यहाँ समस्या झाऊलाल की नहीं बल्कि बिलवासी जी की थी। इसीलिए बिलवासी जी को उस रात देर तक नींद नहीं आ रही थी।
प्रश्न 4: पंडित जी ने अंग्रेज को लोटे की क्या कथा बताई?
View Answerउत्तर: पंडित जी ने अंग्रेज को लोटे की कथा बताई कि सोलहवीं शताब्दी में बादशाह हुमायूँ शेरशाह से हारकर सिंध के रेगिस्तान में मारा-मारा फिर रहा था, उसे बहुत प्यास लगी थी, तभी एक ब्राह्मण ने उसे इसी लोटे से पानी पिलाया।
प्रश्न 5: बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबन्ध किया, वह सही था या गलत?
View Answerउत्तर: बिलवासी जी ने चोरी करके रूपयों का प्रबंध किया। किसी की सहायता करने का यह तरीका गलत है। दूसरी ओर बिलवासी जी ने एक अंग्रेज़ से झूठ बोलकर भी रूपयों का प्रंबध किया था।
उत्तर: जहाँगीरी अंडा' भी अकबरी लोटे की तरह अंग्रेज़ को मूर्ख बनाकर ठगने की एक घटना पर आधारित है। जिस तरह पं. बिलवासी मिश्र एक अंग्रेज़ को एक साधारण व अनचाहा लोटा पाँच सौ रुपए में उसे 'अकबरी लोटा' बताकर बेच देते है उसी प्रकार अंग्रेज डगलस भी लूटा गया होगा। ... बाद में वही अंडा 'जहाँगीरी अंडे' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
प्रश्न 2: बिलवासी मिश्र की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
View Answerउत्तर: बिलवासी मिश्र एक बुद्धिमान व्यक्ति थे, जिन्होंने अचानक आ पड़ी समस्या का हल बड़ी चतुराई से निकला| उन्होंने रद्दी जैसे लोटे को उसके वास्तविक मूल्य से कई गुना अधिक दाम पर बेच दिया, जिससे लाला जी को पत्नी के लिए देने से अधिक पैसे मिल गए| यह काम उन्होंने नि:स्वार्थ भाव से किया था जिसके लिए उन्होंने कुछ भी नहीं लिया| इन सबके अलावा वे सच्चे मित्र थे, जिन्होंने सही समय पर अपना फ़र्ज़ निभाया| बिलवासी जी ने अंग्रेज को मुर्ख भी बनाया था उसने लालाजी के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट करने को कहा और अंग्रेज तैयार हो गया और पुलिस स्टेशन का रास्ता पूछने लगा| पंडित जी ने उसे साथ ही कहा कि पहले वे उससे ये लौटा खरीद ले क्योंकि वह साधारण लोटा न होकर एक ऐतिहासिक लोटा है|
प्रश्न 3: लाला जी को अंग्रेज से किसने बचाया और कैसे?
View Answerउत्तर: लाला जी के हाथ से पानी पीते हुए लोटा छूटकर तिमंजिले छत से नीचे एक अंग्रेज व्यक्ति पर गिर गया था, जिससे वह भीग भी गया और उसके पैर का अँगूठा भी अत्यधिक चोटिल हो गया। वह लाला जी पर बहुत गुस्सा हो रहा था तथा पुलिस में शिकायत करने की धमकी दे रहा था। उस अंग्रेज से लाला जी को उनके मित्र पंडित बिलवासी मिश्र जी ने बचाया।
प्रश्न 4: लाला जी को बिलवासी जी पर गुस्सा क्यों आ रहा था?
View Answerउत्तर: जब बिलवासी जी अंग्रेज को प्रभावित करने और उसका विश्वास जीतने के कोशिश में लगे थे तब अंग्रेज ने लाला झाऊलाल की ओर इशारा करके बिलवासी जी से पूछा कि क्या वे लाला को जानते है तो बिलवासी जी बिल्कुल मुकर गए और कहते हैं कि वे लाला को बिल्कुल नहीं जानते । लाला जी को इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ। अंग्रेज का विश्वास हासिल करने की चालाकी में बिलवासी जी ने लाला जी को खतरनाक पागल तक कह दिया। तब लाला झाऊलाल को बिलवासी जी पर अत्यधिक गुस्सा आने लगा। उस समय ऐसा लग रहा था कि लाला जी बिलवासी जी को आँखों से ही खा जाएँगे।
प्रश्न 5: बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध किस प्रकार किया था?
View Answerउत्तर: बिलवासी जी ने लाला झाऊलाल की मदद करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से चोरी करके रूपयों का प्रबंध किया था। पर समस्या का हल हो जाने पर उन्होंने वे रूपए वापस अपनी पत्नी के संदूक में रख दिए।
उत्तर: पंडित बिलवासी मिश्र ने सच्चे मित्र की भूमिका निभाई है जिसे मित्रता की दृष्टि से तो सही कह सकते है लेकिन नैतिकता की दृष्टि से इसे उचित नहीं कह सकते। बिलवासी जी ने अपने मित्र की सहायता हेतु पत्नी के संदूक से रुपये चुराए और एक साधारण लोटे को ऐतिहासिक ‘अकबरी लोटा’ बनाकर अंग्रेज को बेवकूफ बनाया। यदि मैं बिलवासी जी के स्थान पर होता तो, मैं ऐसी भूमिका नहीं निभा पाता अपितु मैं अपनी पत्नी के संदूक में रखे रुपयों की कभी भी चोरी नहीं करता। अपनी पत्नी को विश्वास में लेकर, उससे सहायता करने का आग्रह करता और फिर अपने मित्र की सहायता करता। अंग्रेज के साथ किया गया व्यवहार पूरी तरह से अनुचित तो नहीं था क्योंकि उसमें तार्किक बुद्धि नहीं थी। फिर भी नैतिक दृष्टि से मैं इस तरह का व्यवहार भी नहीं कर सकता था क्योंकि यह गलत होता।
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1. कक्षा 8 के लिए अकबरी लोटा अत्यंत महत्वपूर्ण पाठ के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण सवाल दीजिए। |
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