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Important Questions: सूरदास के पद | Hindi Class 8 PDF Download

दी गई पंक्तियों पढ़े और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखें।

मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, है है लाँबी-मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सी भुइँ लोटी।
काँचौ दूध पियावत पचि-पचि, देति न माखन-रोटी।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।

प्रश्न 1: मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी? यह कौन पूछ रहा है?
उत्तर: मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी? यह कृष्ण अपनी माता से पूछ रहे हैं।

प्रश्न 2:  कृष्ण दूध क्यों नहीं पीना चाहते?
उत्तर: कृष्ण को दूध पीना पसंद नहीं है।

प्रश्न 3:  माता कृष्ण दूध पिए इसलिए क्या कहती है?
उत्तर: कृष्ण दूध पिए इसलिए माता कहती है कि अगर तुम दूध नहीं पियोगे तो तुम्हारी चोटी लंबी नहीं होगी।

प्रश्न 4:  कान्हा को क्या पसंद है?
उत्तर: कान्हा को माखन पसंद है।

प्रश्न / उत्तर

प्रश्न 1: श्रीकृष्ण किस पर चढ़ कर माखन चुराते थे?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ऊखल पर चढ़ कर माखन चुराते थे।

प्रश्न 2: 'सूरदास के पद' में किस भाषा का प्रयोग हुआ है?
उत्तर:
'सूरदास के पद' में ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है। 

प्रश्न 3: दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?
उत्तर: 
दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन-रोटी को अधिक पसंद करते हैं।

प्रश्न 4: श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर: 
श्रीकृष्ण के पर्यायवाची शब्द – घनश्याम, मुरारी, माधव, गोपाल, मुरलीधर।

प्रश्न 5: श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।
उत्तर: 
माखनचोर

प्रश्न 6: श्रीकृष्ण दोपहर में माखन क्यों चुराते थे?
उत्तर: 
दोपहर के समय घर सूना होता था। सब अपने - अपने काम पर चले जाते थे इसलिए श्रीकृष्ण दोपहर में माखन चुराते थे।

प्रश्न 7: दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
उत्तर: 
दूसरे पद को पढ़कर लगता है कि उस समय श्रीकृष्ण की उम्र सात - आठ वर्ष रही होगी।

प्रश्न 8: बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए? 
उत्तर: 
बालक श्रीकृष्ण इस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए कि उनके बालों की चोटी भी बलराम भाई की चोटी के समान लंबी और मोटी हो जाएगी। उनकी चोटी भी नागिन की समान लोटती दिखाई देगी।

प्रश्न 9: श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?
उत्तर: 
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि इतने समय से वह दूध पी रहे हैं फिर भी उनकी चोटी छोटी है, कब उनकी चोटी बलराम भैया की तरह लंबी और मोटी होगी? कब उनकी चोटी नागिन की तरह लहराने लगेगी?

प्रश्न 10: ‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
उत्तर:
यहाँ पर ग्वालन के हृदय में यशोदा के लिए क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। ग्वालिन माँ यशोदा को उलाहना देते हुए कहती हैं कि उनका पुत्र अनोखा है कि मना करने पर भी चोरी करता है और पकड़े जाने पर अपनी गलती नहीं मानता।

प्रश्न 11: दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर:
दोनों पदों में प्रथम पद सबसे अच्छा लगता है। इस पद में श्रीकृष्ण का अपनी माता से नाराज़गी व्यक्त करना, दूध न पीने का हट करना, दाउ (बलराम) भैया की तरह चोटी पाने का हट करना हृदय को बड़ा ही आनंदित करता है।

प्रश्न 12: मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?
उत्तर:
मक्खन थोड़ी ऊँचाई पर रखा होता था, जिस तक पहुँचने में श्रीकृष्ण को कठिनाई होती थी। वह माखन चुराते समय आधा माखन खुद खाते थे व आधा अपने सखाओं (मित्रों) को खिलाते थे । यही कारण था कि थोड़ा-सा मक्खन ज़मीन पर बिखरा होता था।

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FAQs on Important Questions: सूरदास के पद - Hindi Class 8

1. सूरदास कौन थे और उनके पदों की विशेषता क्या है ?
Ans. सूरदास एक प्रसिद्ध संत कवि थे, जिन्होंने भक्तिकाल में कृष्ण भक्ति परंपरा को आगे बढ़ाया। उनके पदों की विशेषता सरल भाषा, भावनात्मक गहराई और कृष्ण के प्रति अपार प्रेम में निहित है। सूरदास के पदों में भावनात्मकता और भक्ति का अद्वितीय समन्वय देखने को मिलता है।
2. सूरदास के कौन-कौन से प्रसिद्ध पद हैं ?
Ans. सूरदास के कई प्रसिद्ध पद हैं, जिनमें "मोसे न छोडो", "आयो रे नंदलाला", और "कन्हैया मेरे नंदलाला" शामिल हैं। ये पद भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके प्रति भक्तों की भक्ति को दर्शाते हैं।
3. सूरदास के पदों में कौन-से भावनात्मक तत्व प्रमुख हैं ?
Ans. सूरदास के पदों में प्रेम, भक्ति, विरह, और आनंद के भावनात्मक तत्व प्रमुख हैं। उनके पदों में भक्त का अपने प्रिय कृष्ण के प्रति गहरा प्रेम और उनके साथ बिताए पल की स्मृतियाँ होती हैं, जो भक्त को भावुक कर देती हैं।
4. सूरदास की लेखनी का प्रभाव क्या रहा है ?
Ans. सूरदास की लेखनी ने भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी कविताएँ न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये प्रेम और मानवता के भावों को भी उजागर करती हैं। उनके पदों ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है।
5. सूरदास के पदों को पढ़ने का महत्व क्यों है ?
Ans. सूरदास के पदों को पढ़ने का महत्व इसलिए है क्योंकि ये न केवल धार्मिक भावनाओं को जगाते हैं, बल्कि जीवन के गहरे अर्थों को भी समझाते हैं। उनकी कविताएँ संतोष, प्रेम और शांति का संदेश देती हैं, जो आज के समय में भी प्रासंगिक हैं।
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