लेखक ने गंभीर बीमारी और अर्ध-मृत्यु की अवस्था में अपनी किताबों के कमरे में रहने की जिद ठानी। |
Card: 2 / 32 |
लेखक ने परी कथाओं में क्या पढ़ा था जो उनके निजी पुस्तकालय के संदर्भ में महत्वपूर्ण था? |
Card: 3 / 32 |
लेखक ने परी कथाओं में पढ़ा था कि एक राजा के प्राण उसके शरीर में नहीं बल्कि तोते में रहते थे, और उन्हें भी ऐसा लगता था कि उनके प्राण उनकी किताबों में बस गए हैं। |
Card: 4 / 32 |
लेखक के पिता आर्य समाज रानीमंडी के प्रधान थे और उनकी माँ ने स्त्री-शिक्षा के लिए आदर्श कन्या पाठशाला की स्थापना की थी। |
Card: 6 / 32 |
लेखक ने आर्यमित्र साप्ताहिक, वदेादेम, सरस्वती, गृहिणी और बाल पत्रिकाएँ 'बाल सखा' एवं 'चमचम' पढ़ीं। |
Card: 8 / 32 |
लेखक की निजी पुस्तकालय की शुरुआत तब हुई जब उनके पिता जी ने अपनी लाइब्रेरी के एक खाने को लेखक के लिए सुरक्षित कर दिया। |
Card: 14 / 32 |
लेखक ने माँ के कहने पर देवदास फिल्म देखने का निश्चय किया और वहाँ से बचाए गए दो रुपयों में से एक रुपए में 'देवदास' की किताब खरीदी। |
Card: 16 / 32 |
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लेखक की निजी लाइब्रेरी में हिंदी और अंग्रेजी के उपन्यास, नाटक, कथा-संकलन, जीवनियाँ, संस्मरण, इतिहास, कला, पुरातत्व, और राजनीति की हजारों किताबें शामिल हैं। |
Card: 18 / 32 |
लेखक के पिता जी ने लेखक के लिए लाइब्रेरी का जो हिस्सा सुरक्षित किया, उसे क्या कहा? |
Card: 21 / 32 |
लेखक के पिता जी ने कहा, 'आज से यह खाना तुम्हारी अपनी किताबों का है, यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी है।' |
Card: 22 / 32 |
लेखक की लाइब्रेरी में हिंदी के कबीर, सूर, तुलसी, रसखान, जायसी, प्रेमचंद, पंत, निराला, महादेवी की कृतियाँ शामिल हैं। |
Card: 30 / 32 |
हाँ, यह सच है। लेखक ने बीमारी की हालत में अपने महापुरुषों को मान्यता दी और उनके आशीर्वाद का आभार व्यक्त किया। |
Card: 32 / 32 |