प्रश्न 1: द्रोणाचार्य द्वारा बनाया गया चक्रव्यूह किसने तोड़ा?
उत्तर: द्रोणाचार्य द्वारा बनाया गया चक्रव्यूह अभिमन्यु ने तोड़ा।
प्रश्न 2: तेरहवें दिन अर्जुन को युद्ध के लिए किसने ललकारा?
उत्तर: तेरहवें दिन संशप्तकों (त्रिगर्ता) ने अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा।
प्रश्न 3: तेरहवें दिन अर्जुन लड़ता हुआ किस दिशा की ओर चले गए?
उत्तर: तेरहवें दिन अर्जुन लड़ता हुआ दक्षिण दिशा की ओर चले गए।
प्रश्न 4: द्रोण ने कर्ण को अभिमन्यु पर हमला करने का कौन सा उपाय बताया?
उत्तर: द्रोण ने कर्ण के पास आकर कहा-“इसका कवच भेदा नहीं जा सकता। ठीक से निशाना साधकर इसके रथ के घोड़ों की रास काट डालो और पीछे की ओर से इस पर अस्त्र चलाओ।”
प्रश्न 5: अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से चक्रव्यूह भेदने के बारे में क्या कहा?
उत्तर: अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से कहा-“महाराज, इस चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो मुझे आता है, पर प्रवेश करने के बाद कहीं कोई संकट आ गया तो व्यूह से बाहर निकलना मुझे याद नहीं है।”
प्रश्न 6: दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: अभिमन्यु की बाण-वर्षा से व्याकुल होकर जब सभी योद्धा पीछे हटने लगे, तो वीर लक्ष्मण अकेला जाकर अभिमन्यु से भिड़ गया। वह वीर बालक भाले की चोट से तत्काल मृत होकर गिर पड़ा।
प्रश्न 7: युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को किस प्रकार मदद करने का विश्वास दिलाया?
उत्तर: युधिष्ठिर ने कहा- "बेटा! व्यूह को तोड़कर एक बार तुम भीतर प्रवेश कर लो; फिर तो जिधर से तुम आगे बढ़ोगे, उधर से ही हम तुम्हारे पीछे-पीछे चले आएँगे और तुम्हारी मदद को तैयार रहेंगे।”
प्रश्न 8: पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से किसने और कैसे रोका?
उत्तर: सिंधु देश का पराक्रमी राजा जयद्रथ अपनी सेना को लेकर पांडव-सेना पर टूट पड़ा। जयद्रथ ने बड़ी कुशलता और बहादुरी से ठीक समय पर व्यूह की टूटी हुई किलेबंदी को फिर से पूरा करके मज़बूत बना दिया और पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया।
प्रश्न 9: युधिष्ठिर ने अभिमन्यु से चक्रव्यूह के बारे में क्या चर्चा की?
उत्तर: युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को बुलाकर कहा- "बेटा! द्रोण के रचे हुए चक्रव्यूह को तोड़ना हमारे और किसी वीर से हो नहीं सकता। अकेले तुम्हीं ऐसे हो, जिसके लिए द्रोण के बनाए इस व्यूह को तोड़ना संभव है। तुम द्रोण की सेना पर आक्रमण करने को तैयार हो?"।
प्रश्न 10: अभिमन्यु की वीरता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: द्रोणाचार्य के देखते-देखते उनका बनाया हुआ व्यूह को तोड़कर अभिमन्यु व्यूह के अंदर दाखिल हो गया। कौरव-वीर एक-एक करके अभिमन्यु का सामना करने आते गए और इस प्रकार कूच करते गए कि जैसे आग में पड़कर पतंगे भस्म हो जाते हैं। जो भी सामने आया, उस बालवीर के बाणों की मार से मारा गया। जयद्रथ ने बड़ी कुशलता से ठीक समय पर व्यूह की टूटी हुई किलेबंदी को फिर से पूरा करके मज़बूत बना दिया कि जिससे पांडव बाहर ही रह गए। परंतु अकेले अभिमन्यु ने व्यूह के अंदर ही कौरवों की उस विशाल सेना को तहस-नहस करना शुरू कर दिया। जो भी उसके सामने आता, खत्म हो जाता था। दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु भी अभिमन्यु से लड़ते हुए हुई। कर्ण ने पीछे की ओर से अभिमन्यु पर बाण चलाए। अभिमन्यु का धनुष कट गया। घोड़े और सारथी मारे गए। वह रथविहीन हो गया। अभिमन्यु टूटे हुए रथ का पहिया हाथ में उठा कर भयानक युद्ध करने लगा। इसी बीच दुःशासन का पुत्र ने गदा लेकर अभिमन्यु पर ज़ोर से प्रहार किया और गदा की मार से अभिमन्यु की मृत्यु हो गई।
प्रश्न 11: जयद्रथ की रक्षा के लिए किन्हें नियुक्त किया गया?
उत्तर: जयद्रथ के रक्षा के लिए भूरिश्रवा, कर्ण, अश्वत्थामा, शल्य, वृषसेन आदि महारथियों को नियुक्त किया गया।
प्रश्न 12: अभिमन्यु की मृत्यु के बाद अर्जुन ने क्या प्रतिज्ञा ली?
उत्तर: अभिमन्यु की मृत्यु के बाद अर्जुन ने प्रतिज्ञा ली कि “जिसके कारण मेरे प्रिय पुत्र की मृत्यु हुई है, उस जयद्रथ का मैं कल सूर्यास्त होने से पहले वध करके रहूँगा।”
प्रश्न 13: श्रीकृष्ण पर किसने प्रहार किया और उसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर: श्रुतायुध ने गदा उठाकर श्रीकृष्ण पर प्रहार किया। परंतु निःशस्त्र और युद्ध में शरीक न होनेवाले श्रीकृष्ण पर फेंककर मारी गई गदा श्रुतायुध को ही जा लगी और वह मृत होकर गिर पड़ा।
प्रश्न 14: जब युद्ध समाप्त करके अर्जुन और श्रीकृष्ण अपने शिविर को लौट रहे थे तब अर्जुन ने श्रीकृष्ण से क्या शंका व्यक्त की?
उत्तर: संशप्तकों (त्रिगर्ता) का संहार करने के बाद युद्ध समाप्त करके अर्जुन और श्री कृष्ण अपने शिविर को लौट रहे थे तब अर्जुन ने श्रीकृष्ण से बोला- “जनार्दन! मेरा मन घबराया हुआ है। मैं भ्रांत-सा हो रहा हूँ? सब भाई कुशल से तो होंगे? आज अभिमन्यु अपने भाइयों के साथ हँसता हुआ मेरा स्वागत करने क्यों नहीं दौड़ा आ रहा है?”
प्रश्न 15: जयद्रथ अपने देश क्यों चले जाना चाहता था और दुर्योधन ने उन्हें क्या कह कर रोका?
उत्तर: जयद्रथ को जब अर्जुन की प्रतिज्ञा का हाल मालूम हुआ, तो वह दुर्योधन के पास गया और बोला- “मुझे युद्ध की चाह नहीं है। मैं अपने देश चला जाना चाहता हूँ।” यह सुनकर दुर्योधन ने उसको धीरज बँधाया और बोला-” सैंधव! आप भय न करें। मेरी सारी सेना आपकी रक्षा करने के लिए नियुक्त की जाएगी, आप नि:शंक रहें।” दुर्योधन के इस प्रकार आग्रह करने पर जयद्रथ ने उसकी बात मान ली।
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1. अभिमन्यु कौन थे? |
2. अभिमन्यु की किसने मदद की थी लक्ष्मण रेखा पार करने में? |
3. अभिमन्यु का कौन-कौन से अस्त्र-शस्त्र थे? |
4. अभिमन्यु क्यों अर्जुन के बाद बहुत महत्वपूर्ण थे? |
5. अभिमन्यु का क्या कारण था उनकी पुरानी होने का? |
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