प्रश्न 1: वारणावत जाते समय विदुर ने युधिष्ठिर को गूढ़ भाषा में क्या बताया?
उत्तर: वारणावत जाते समय विदुर ने युधिष्ठिर को दुर्योधन के षड्यंत्र और उससे बचने का उपाय गूढ़ भाषा में बताया।
प्रश्न 2: युधिष्ठिर ने भीम को सावधान करते हुए क्या कहा?
उत्तर: युधिष्ठिर ने भीम को सावधान करते हुए कहा कि यद्यपि यह साफ़ मालूम हो गया है कि यह स्थान खतरनाक है, फिर भी हमें विचलित नहीं होना चाहिए। पुरोचन को इस बात का ज़रा भी पता न लगे कि उसके षड्यंत्र का भेद हम पर खुल गया है। मौका पाकर हमें यहाँ से निकल भागना होगा। पर अभी हमें जल्दी से ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे शत्रु के मन में ज़रा भी संदेह पैदा होने की संभावना हो।
प्रश्न 3: कौन-कौन वारणावत गए?
उत्तर: पाँचों पांडव और माता कुंती वारणावत गए।
प्रश्न 4: किसने युधिष्ठिर को दुर्योधन के षड्यंत्र से बचने का उपाय बताया?
उत्तर: विदुर ने युधिष्ठिर को दुर्योधन के षड्यंत्र से बचने का उपाय बताया।
प्रश्न 5: वारणावत के लोगों ने पांडवों के आगमन पर क्या किया?
उत्तर: वारणावत के लोग पांडवों के आगमन की खबर पाकर बड़े खुश हुए और उनके वहाँ पहुँचने पर उन्होंने बड़े ठाठ से उनका स्वागत किया।
प्रश्न 6: जब तक लाख का भवन बनकर तैयार हुआ तब तक पांडव कहाँ रहा करते थे?
उत्तर: जब तक लाख का भवन बनकर तैयार हुआ, पांडव दूसरे घरों में रहते रहे, जहाँ पुरोचन ने पहले से ही उनके ठहरने का प्रबंध कर रखा था।
प्रश्न 7: ध्यानपूर्वक देखने पर युधिष्ठिर को भवन के बारे में क्या पता चला?
उत्तर: ध्यान से देखने पर युधिष्ठिर को पता चल गया कि यह घर जल्दी आग लगनेवाली चीज़ों से बना हुआ है।
प्रश्न 8: विदुर ने युधिष्ठिर की मदद के लिए वारणावत किसे भेजा?
उत्तर: विदुर ने युधिष्ठिर की मदद के लिए वारणावत सुरंग बनानेवाला कारीगर को भेजा।
प्रश्न 9: पुरोचन ने अपने रहने का स्थान कहाँ बनवाया था?
उत्तर: पुरोचन ने लाख के भवन के द्वार पर ही अपने रहने का स्थान बनवाया था।
प्रश्न 10: किसने किससे कहा?
(i) “यद्यपि यह साफ़ मालूम हो गया है कि यह स्थान खतरनाक है, फिर भी हमें विचलित नहीं होना चाहिए।”
उत्तर: युधिष्ठिर ने भीम से कहा।
(ii) “यही मेरे सच्चे मित्र होने का सबूत है। आप मुझ पर भरोसा रखें।”
उत्तर: कारीगर ने पांडवों से कहा।
प्रश्न 11: लाख के भवन से बचकर पांडव कहाँ चले गए?
उत्तर: लाख के घर को जलता हुआ छोड़कर पाँचों भाई माता कुंती के साथ बच निकले और जंगल में चले गए।
प्रश्न 12: लाख के भवन में आग किसने लगाई?
उत्तर: लाख के भवन में आग भीमसेन ने लगाई।
प्रश्न 13: युधिष्ठिर के सलाह पर माता कुंती ने क्या किया?
उत्तर: युधिष्ठिर की सलाह से माता कुंती ने एक बड़े भोज का प्रबंध किया और नगर के सभी लोगों को भोजन कराया।
प्रश्न 14: पाँचों भाई माता कुंती के साथ लाख के भवन से बाहर कैसे निकले?
उत्तर: आधी रात के समय भीमसेन ने भवन में कई जगह आग लगा दी और फिर पाँचों भाई माता कुंती के साथ सुरंग के रास्ते अँधेरे में रास्ता टटोलते-टटोलते बाहर निकल गए।
प्रश्न 15: पुरोचन की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: आधी रात के समय भीमसेन ने भवन में कई जगह आग लगा दी। वही आग पुरोचन के रहने के मकान में भी लग गई। पुरोचन का मकान और स्वयं पुरोचन भी आग की भेंट हो गया।
प्रश्न 16: पांडवों के भवन को भयंकर आग की भेंट होते देखकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर: पांडवों के भवन को भयंकर आग की भेंट होते देखकर लोग हाहाकार मचाने लगे। कौरवों के अत्याचार से जनता क्षुब्ध हो उठी और तरह-तरह से कौरवों की निंदा करने लगी। लोग क्रोध में अनाप-शनाप बकने लगे, हाय-तौबा मचाने लगे।
प्रश्न 17: भवन जलने की खबर हस्तिनापुर कैसे पहुँची?
उत्तर: वारणावत के लोगों ने तुरंत ही हस्तिनापुर में खबर पहुँचा दी कि पांडव जिस भवन में ठहराए गए थे, वह जलकर राख हो गया है और भवन में कोई भी जीवित नहीं बचा।
प्रश्न 18: धृतराष्ट्र और उनके बेटों ने पांडवों की मृत्यु के बारे में सुनकर क्या किया?
उत्तर: धृतराष्ट्र और उनके बेटों ने पांडवों की मृत्यु पर बड़ा शोक मनाया। वे गंगा-किनारे गए और पांडवों तथा कुंती को जलांजलि दी।
प्रश्न 19: पांडवों की मृत्यु से शोकग्रस्त पितामह को किसने और कैसे चिंतामुक्त किया?
उत्तर: पितामह भीष्म तो मानो शोक के सागर ही में थे, पर उनको विदुर ने धीरज बँधाया और पांडवों के बचाव के लिए किए गए अपने सारे प्रबंध का हाल बताकर उन्हें चिंतामुक्त कर दिया।
प्रश्न 20: महाबली भीम ने माता कुंती और चारों भाई को थका देख क्या किया?
उत्तर: महाबली भीम ने माता को उठाकर अपने कंधे पर बैठा लिया और नकुल एवं सहदेव को कमर पर ले लिया। युधिष्ठिर और अर्जुन को दोनों हाथों से पकड़ लिया और वह उस जंगली रास्ते में तेज़ी से चलने लगा।
प्रश्न 21: भीमसेन का हृदय दग्ध क्यों हो उठा?
उत्तर: माता और भाइयों का प्यास और नींद से बुरा हाल देखकर क्षोभ के मारे भीमसेन का हृदय दग्ध हो उठा।
प्रश्न 22: माता और भाइयों का प्यास से बुरा हाल देखकर भीमसेन ने क्या किया?
उत्तर: माता और भाइयों का प्यास से बुरा हाल देखकर भीमसेन उस भयानक जंगल में बेधड़क घुस गया और इधर-उधर घूम-घामकर उसने एक जलाशय का पता लगा लिया। उसने पानी लाकर माता व भाइयों की प्यास बुझाई।
प्रश्न 23: पांडवों ने अपने आपको युधिष्ठिर के षड्यंत्र से बचाने के लिए क्या किया?
उत्तर: वे ब्राह्मण ब्रह्मचारियों का वेश धरकर एकचक्रा नगरी में जाकर एक ब्राह्मण के घर में रहने लगे।
प्रश्न 24: माता कुंती के साथ पाँचों पांडव एकचक्रा नगरी में किस प्रकार अपना गुज़र करते थे?
उत्तर: माता कुंती के साथ पाँचों पांडव एकचक्रा नगरी में भिक्षा माँगकर अपना गुज़र करते थे।
प्रश्न 25: कुम्हार ने भीम को क्या बनाकर दिया?
उत्तर: कुम्हार ने भीम को एक बड़ी भारी हाँडी बनाकर दी।
प्रश्न 26: भिक्षा में मिले भोजन के कुंती कितने हिस्से करती और उन्हें किस प्रकार बाँटती?
उत्तर: पाँचों भाई भिक्षा में जितना भोजन लाते, कुंती उसके दो हिस्से कर देती। एक हिस्सा भीमसेन को दे देती और बाकी आधे में से पाँच हिस्से करके चारों बेटे और खुद खा लेती थी।
प्रश्न 27: बच्चे भीमसेन को देख कर क्यों हँसते-हँसते लोटपोट हो जाते?
उत्तर: बच्चे भीमसेन का विशाल शरीर और उसकी वह विलक्षण हाँडी देखकर हँसते-हँसते लोटपोट हो जाते।
प्रश्न 28: पत्नी की व्यथाभरी बातें सुनकर ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से क्या कहा?
उत्तर: पत्नी की व्यथाभरी बातें सुनकर ब्राह्मण से न रहा गया। वह बोला-“हे प्रिये! मुझसे बड़ा दुरात्मा और पापी कौन होगा, जो तुम्हें राक्षस की बलि चढ़ा दे और खुद जीवित रहे?”
प्रश्न 29: सबको रोते देखकर ब्राह्मण के बालक ने क्या किया?
उत्तर: सबको रोते देखकर ब्राह्मण का नन्हा सा बालक पास में पड़ी हुई सूखी लकड़ी हाथ में लेकर घुमाता हुआ बोला-“उस राक्षस को तो मैं ही इस लकड़ी से इस तरह ज़ोर से मार डालूँगा।”
प्रश्न 30: बकासुर कौन था?
उत्तर: बकासुर एक बड़ा अत्याचारी राक्षस था।
प्रश्न 31: बकासुर और लोगों में क्या समझौता हुआ?
उत्तर: बकासुर और लोगों में समझौता हुआ कि लोग बारी-बारी से एक-एक आदमी और खाने की चीजें हर सप्ताह उसे पहुँचा दिया करेंगें।
प्रश्न 32: कितने वर्षों से बकासुर लोगों पर जुल्म ढा रहा था?
उत्तर: पिछले तेरह वर्षों से वह नगरी के लोगों पर जुल्म ढा रहा था।
प्रश्न 33: किसने किससे कहा?
(i) “विप्रवर, आप इस बात की चिंता छोड़ दें।”
उत्तर: कुंती ने ब्राह्मण से कहा।
(ii) “कितनी ही बार मैंने तुम्हें समझाया कि इस अंधेर नगरी को छोड़कर कहीं और चले जाएँ, पर तुम नहीं मानीं।”
उत्तर: ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा।
(iii) “प्राणनाथ! मुझे मरने का कोई दुख नहीं है।”
उत्तर: ब्राह्मण की पत्नी ने ब्राह्मण से कहा।
(iv) “पिताजी, अच्छा तो यह है कि राक्षस के पास आप मुझे भेज दें।”
उत्तर: ब्राह्मण की बेटी ने ब्राह्मण से कहा।
(v) “क्या आप कृपा करके मुझे बता सकते हैं कि आप लोगों के इस असमय दुख का कारण क्या है?”
उत्तर: कुंती ने ब्राह्मण से कहा।
प्रश्न 34: कुंती ने ब्राह्मण को कौन सी बात को गुप्त रखने को कहा और क्यों?
उत्तर: कुंती ने ब्राह्मण को भीमसेन को बकासुर के पास भेजने की बात को गुप्त रखने को कहा क्योंकि कुंती को डर था कि यदि यह बात फैल गई, तो दुर्योधन और उनके साथियों को पता लग जाएगा कि पांडव एकचक्रा नगरी में छिपे हुए हैं।
प्रश्न 35: कुंती किसे बकासुर के पास भोजन सामग्री ले कर भेजना चाहती थी और क्यों?
उत्तर: कुंती भीमसेन को बकासुर के पास भोजन सामग्री ले कर भेजना चाहती थी क्योंकि वह भीम की शक्ति और बल से अच्छी तरह से परिचित थी।
प्रश्न 36: कुंती ब्राह्मण की मदद क्यों करना चाहती थी?
उत्तर: कुंती ने सोचा कि इस ब्राह्मण के घर में उन्होंने कई दिन आराम से बिताए हैं। तो मनुष्य होने के नाते कुंती और पांडवों को भी ब्राह्मण की इस विपदा की घड़ी में मदद करनी चाहिए।
प्रश्न 37: भीमसेन ने नगरवासियों को किससे छुटकारा दिलवाया और कैसे?
उत्तर: भीमसेन ने बकासुर को मार कर नगरवासियों को उससे छुटकारा दिलवाया।
प्रश्न 38: किसने किससे कहा?
(i) “आप भी कैसी बात कहती हैं! आप हमारी अतिथि हैं।”
उत्तर: ब्राह्मण ने कुंती से कहा।
(ii) “यह तुम कैसा दुस्साहस करने चली हो, माँ!”
उत्तर: युधिष्ठिर ने कुंती से कहा।
(iii) “दुष्ट राक्षस! ज़रा विश्राम तो करने दे।”
उत्तर: भीमसेन ने बकासुर से कहा।
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1. पांडवों की रक्षा किसने की थी? |
2. पांडवों की रक्षा क्यों जरूरी थी? |
3. पांडवों की रक्षा कैसे हुई? |
4. पांडवों की रक्षा का महत्व क्या था? |
5. पांडवों की रक्षा से संबंधित किस पुस्तक में जानकारी मिल सकती है? |
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