प्रश्न-1: अर्जुन ने अपनी प्रतिज्ञा के बारे में क्या बताया?
उत्तर: अर्जुन बोला-“वीरो! तुम सब मेरी प्रतिज्ञा जानते हो। मेरे बाणों की पहुँच तक अपने किसी भी मित्र या साथी का शत्रु के हाथों वध न होने देने का प्रण मैंने कर रखा है। इसलिए सात्यकि की रक्षा करना मेरा धर्म था।”
प्रश्न-2: भूरिश्रवा की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: अर्जुन की बातें सुनकर भूरिश्रवा ने भी शांति से सिर नवाया और जमीन पर टेक दिया। इन बातों में कोई दो घड़ी का समय बीत गया था। सब लोगों के मना करते हुए भी सात्यकि ने भूरिश्रवा का सिर धड़ से अलग कर दिया।
प्रश्न-3: अर्जुन भूरिश्रवा पर बाण चलाने के लिए क्यों विवश हो गए?
उत्तर: ज्योंही अर्जुन ने सात्यकि की ओर मुड़कर देखा, तो पाया कि सात्यकि जमीन पर पड़ा हुआ था और भूरिश्रवा उसके शरीर को एक पाँव से दबाकर और दाहिने हाथ में तलवार लेकर उस पर वार करने को उद्यत ही था। यह देखकर अर्जुन से रहा न गया। उसने उसी क्षण भूरिश्रवा पर तानकर बाण चलाया। बाण लगते ही भूरिश्रवा का दाहिना हाथ कटकर तलवार समेत दूर ज़मीन पर जा गिरा।
प्रश्न-4: अपना हाथ कट जाने पर जब भूरिश्रवा ने कृष्ण की निंदा की, तो अर्जुन ने क्या तर्क दिया?
उत्तर: अर्जुन बोला “वृद्ध भूरिश्रवा! तुमने मेरे प्रिय मित्र सात्यकि का वध करने की कोशिश की है और वह भी उस समय जबकि वह घायल और अचेत-सा होकर जमीन पर नि:शस्त्र पड़ा हुआ था। उस अवस्था में तुमने उसे तलवार से मारना चाहा। जिसके हथियार टूट चुके थे, कवच नष्ट हो चुका था और जो इतना थका हुआ था कि जिसके लिए खड़ा रहना भी दूभर था, ऐसे मेरे कोमल बालक अभिमन्यु का वध होने पर तुम सभी लोगों ने विजयोत्सव मनाया था। तुम्हीं बताओ कि ऐसा करना किस धर्म के अनुसार उचित था?”
प्रश्न-5: द्रोणाचार्य को किसने मारा?
उत्तर: द्रोणाचार्य को धृष्टद्युम्न ने मारा।
प्रश्न-6: जयद्रथ के वध के संबंध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से क्या कहा?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा-“अर्जुन! जयद्रथ सूर्य की तरफ़ देखने में लगा है और मन में समझ रहा है कि सूर्य डूब गया। परंतु अभी तो सूर्य डूबा नहीं है। अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का तुम्हारे लिए यही अवसर है।”
प्रश्न-7: श्रीकृष्ण अर्जुन से आचार्य द्रोण के संबंध में क्या बोले?
उत्तर: श्रीकृष्ण अर्जुन से बोले- “अर्जुन! कुछ कुचक्र रचकर ही इनको परास्त करना होगा। आज अगर परास्त न हुए तो ये हमारा सर्वनाश कर देंगे। इसलिए किसी को आचार्य के पास जाकर यह खबर पहुँचानी चाहिए कि अश्वत्थामा मारा गया।”
प्रश्न-8: कर्ण ने किस परिस्थिति में इंद्र की दी हुई शक्ति का प्रयोग किया और उसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर: घटोत्कच ने कर्ण को इतनी पीड़ा पहुँचाई थी कि वह आपे में न रहा और इंद्र की दी हुई शक्ति का, जिसे उसने अर्जुन का वध करने के उद्देश्य से यत्नपूर्वक सुरक्षित रखा था, घटोत्कच पर प्रयोग कर दिया। इससे अर्जुन का संकट तो टल गया, परंतु भीमसेन का प्रिय एवं वीर पुत्र घटोत्कच मारा गया।
प्रश्न-9: जयद्रथ का सिर कहाँ जा कर गिरा और उसके पश्चात क्या हुआ?
उत्तर: जयद्रथ के पिता राजा वृद्धक्षत्र अपने आश्रम में बैठे संध्या वंदना कर रहे थे तभी जयद्रथ का सिर ध्यानमग्न राजा की गोद में जा गिरा। ध्यान समाप्त होने पर जब वृद्धक्षत्र की आँखें खुली और वह उठे, तो जयद्रथ का सिर उनकी गोद से जमीन पर गिर पड़ा और उसी क्षण वृद्धक्षत्र के सिर के भी सौ टुकड़े हो गए।
प्रश्न-10: आचार्य द्रोण की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: उनका पुत्र अश्वत्थामा मारा गया। यह सुनकर वह विचलित हो गए। उन्होंने युधिष्ठिर से पूछा। युधिष्ठिर के मुँह से यह सुनते ही चारों ओर हाहाकार मच गया और इसी हाहाकार के बीच धृष्टद्युम्न ने ध्यानमग्न आचार्य की गरदन पर खड्ग से जोर का वार किया। आचार्य द्रोण का सिर तत्काल ही धड़ से अलग होकर गिर पड़ा और द्रोण की मृत्यु हो गई।
प्रश्न-11: आचार्य द्रोण का वध करने के लिए पांडवों ने क्या कुचक्र रचा?
उत्तर: श्रीकृष्ण अर्जुन से बोले- “अर्जुन! कुछ कुचक्र रचकर ही इनको परास्त करना होगा। आज अगर परास्त न हुए तो ये हमारा सर्वनाश कर देंगे। इसलिए किसी को आचार्य के पास जाकर यह खबर पहुँचानी चाहिए कि अश्वत्थामा मारा गया।” इस व्यवस्था के अनुसार भीम ने गदा-प्रहार से अश्वत्थामा नाम के एक भारी लड़ाके हाथी को मार डाला। फिर द्रोण की सेना के पास जाकर ज़ोर से चिल्लाने लगा–“मैंने अश्वत्थामा को मार डाला है।”
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