प्रश्न 1: भीष्म ने युधिष्ठिर के संधि प्रस्ताव को सुनकर क्या सलाह दी?
उत्तर: भीष्म ने सलाह दी कि पांडवों को उनका राज्य वापस देना ही न्यायोचित होगा।
प्रश्न 2: संधि प्रस्ताव के विषय में अंत में धृतराष्ट्र ने क्या निश्चय किया?
उत्तर: सारे संसार की भलाई को ध्यान में रखकर धृतराष्ट्र ने अपनी तरफ़ से संजय को दूत बनाकर पांडवों के पास भेजने का निश्चय किया।
प्रश्न 3: युधिष्ठिर ने संजय द्वारा धृतराष्ट्र को क्या संदेश भेजा?
उत्तर: युधिष्ठिर ने संजय द्वारा धृतराष्ट्र को संदेश भेजा कि "कम-से-कम हमें पाँच गाँव ही दे दें। हम पाँचों भाई इसी से संतोष कर लेंगे और संधि करने को तैयार होंगे।”
प्रश्न 4: धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को संधि के विषय में क्या समझाया?
उत्तर: धृतराष्ट्र ने संतप्त होकर दुर्योधन को समझाया - "बेटा, भीष्म पितामह जो कहते हैं, वही करने योग्य है। युद्ध न होने दो। संधि करना ही उचित है।"
प्रश्न 5: श्रीकृष्ण स्वयं हस्तिनापुर क्यों जाना चाहते थे?
उत्तर: श्रीकृष्ण स्वयं हस्तिनापुर जाकर शांति स्थापित करने का प्रयास करना चाहते थे जिससे कि किसी के यह कहने की गुंजाइश ही न रहे कि उन्होंने शांति स्थापित करने का प्रयास नहीं किया।
प्रश्न 6: धृतराष्ट्र ने संजय को बुलाकर क्या कहा?
उत्तर: धृतराष्ट्र ने संजय को बुलाकर कहा "संजय, तुम पांडु पुत्रों के पास जाओ। वहाँ श्रीकृष्ण, सात्यकि, विराट आदि राजाओं से भी कहना कि मैंने सप्रेम उन सबकी कुशल पूछी है। वहाँ जाकर मेरी ओर से युद्ध न होने की चेष्टा करो।”
प्रश्न 7: कर्ण ने संधि के प्रस्ताव के संदर्भ में क्या बोला?
उत्तर: कर्ण बड़े क्रोध के साथ बोला-“तेरहवाँ बरस पूरा होने से पहले ही उन्होंने प्रतिज्ञा भंग करके अपने आपको प्रकट कर दिया है। इसलिए शर्त के अनुसार उनको फिर से बारह बरस के लिए वनवास भोगना पड़ेगा।”
प्रश्न 8: पांडवों और कौरवों ने अपनी सेना किस प्रकार इकठ्ठी की?
उत्तर: उपप्लव्य नगर में रहते हुए पांडवों ने अपने मित्र राजाओं को दूतों द्वारा संदेश भेजकर कोई सात अक्षौहिणी सेना एकत्र की। उधर कौरवों ने भी अपने मित्रों द्वारा काफ़ी बड़ी सेना इकट्ठी कर ली, जो ग्यारह अक्षौहिणी तक हो गई थी।
प्रश्न 9: संधि प्रस्ताव के प्रति कर्ण की राय को सुनकर भीष्म क्या बोले?
उत्तर: भीष्म बोले-“राधा-पुत्र ! तुम बेकार की बातें कर रहे हो। यदि हम युधिष्ठिर के दूत के कहे अनुसार संधि नहीं करेंगे, तो निश्चय ही युद्ध छिड़ जाएगा और उसमें दुर्योधन आदि सबको पराजित होकर मृत्यु के मुँह में जाना पड़ेगा।”
प्रश्न 10: युधिष्ठिर ने किसे दूत बनाकर भेजा और उसने धृतराष्ट्र से क्या कहा?
उत्तर: युधिष्ठिर ने पांचाल नरेश के पुरोहित को दूत बनाकर भेजा। वह पांडवों की ओर से संधि का प्रस्ताव करते हुए बोले-“युधिष्ठिर का विचार है कि युद्ध से संसार का नाश ही होगा और इसी कारण वे युद्ध से घृणा करते हैं। वे लड़ना नहीं चाहते। इसलिए न्याय तथा पहले के समझौते के अनुसार यह उचित होगा कि आप उनका हिस्सा देने की कृपा करें। इसमें विलंब न कीजिए।”
प्रश्न 11: किसने किससे कहा?
(i) “मैं तो सुई की नोंक के बराबर भूमि भी पांडवों को नहीं देना चाहता हूँ।”
उत्तर: दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा।
(ii) “बेटा, भीष्म पितामह जो कहते हैं, वही करने योग्य है।”
उत्तर: धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से कहा।
(iii) “धर्मपुत्र! मैं दुर्योधन से भली-भाँति परिचित हूँ। फिर भी हमें प्रयत्न करना ही चाहिए।”
उत्तर: श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा।
(iv) “बेटा, जब पाँच गाँव देने से ही युद्ध टलता है, तो बाज़ आओ युद्ध से।”
उत्तर: धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से कहा।
40 videos|122 docs
|
1. किसने राजदूत संजय की शानदार कहानी लिखी? |
2. राजदूत संजय का असली नाम क्या है? |
3. राजदूत संजय की कहानी का मुख्य संदेश क्या है? |
4. राजदूत संजय की कहानी किस प्रकार की है? |
5. राजदूत संजय की कहानी किस राज्य में घटित हुई थी? |
|
Explore Courses for Class 7 exam
|