प्रश्न 1. रज़ा के चित्र प्रदर्शनी में कितने रुपए में बिके थे?
रज़ा के चित्र 40–40 रुपए में बिके थे।
प्रश्न 2. कौन से वर्ष रज़ा के लिए अच्छे नहीं थे?
वर्ष 1947 और 1948 रज़ा के लिए अच्छे नहीं थे ।
प्रश्न 3. ‘पिकासो के काम के बारे में तुम्हारा क्या विचार है ?’ फ्रेंच दूतावास के सांस्कृतिक सचिव के इस प्रश्न का रज़ा ने क्या जवाब दिया?
रज़ा ने उत्तर दिया कि “पिकासो का हर दौर महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिकासो जीनियस है।”
प्रश्न 4. रज़ा कब फ्रांस पहुंचे?
रज़ा 2 अक्टूबर 1950 को फ्रांस के मार्सेई पहुंचे।
प्रश्न 5. रज़ा श्रीनगर कब गए थे?
रज़ा 1948 में श्रीनगर गए थे ।
प्रश्न 6. रुडॉल्फ वान ऱेडेन ने रजा के चित्रों के लिए क्या प्रशंसा की थी?
रूडॉल्फ ने रज़ा की प्रशंसा में कहा कि रज़ा के एक दो जलरंग लुभावने है ।उनमें संयोजन और रंगो के दक्ष प्रयोग की जबरदस्त समझदारी है।
प्रश्न 7. रज़ा के चित्र किस प्रदर्शनी में शामिल किए गए थे?
रज़ा के पहले दो चित्र 1943 मे आर्टस सोसाइटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में शामिल किए गए थे ।
प्रश्न 8. रज़ा मुंबई में किसके कमरे में सोते थे?
रज़ा के भाई का एक दोस्त मुंबई में रहता था जो कि टैक्सी ड्राइवर था रज़ा इसके कमरे में सोते थे इसके बाद वह आर्ट डिपार्टमेंट के कमरे में सोता था ।
प्रश्न 9. वेनिस अकादमी के किस प्रोफेसर से रज़ा कि मुलाकात हुई थी उन्होंने रज़ा के काम के लिए क्या कहा था?
वेनिस अकादमी के वॉल्टर लैंगम्हैमर प्रोफेसर से रज़ा की मुलाकात हुई थी उन्होंने रज़ा के काम के लिए कहा “आई लफ्ड यूअर स्टफ़ मिस्टर रत्ज़ा । ”
प्रश्न 10. फ्रेंच दूतावास के सांस्कृतिक सचिव ने जब रज़ा से पूछा “ तुम्हारा पसंदीदा कलाकार ? ” तब रज़ा ने क्या उत्तर दिया?
फ्रेंच दूतावास के सांस्कृतिक सचिव ने जब रज़ा से उनके पसंदीदा कलाकार के नाम पूछे तो रज़ा ने बताया सेजॉ ,वान गाँग ,गोगॉ पिकासो मातीस शागाल और ब्रॉक।
प्रश्न 11. रज़ा को श्रीनगर में किसने तथा क्या सलाह दी थी?
रज़ा को श्रीनगर में प्रख्यात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिये ब्रेसाँ ने सलाह दी थी कि तुम प्रतिभाशील हो, तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है, तुम्हें मालूम होना चाहिए कि चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है आधार , नीव, दिवारे, बीम, छत और तब जाकर वह टिकता है। तुम सेजा का काम ध्यान से देखो ।
प्रश्न 12. रज़ा को कौन सी नौकरी की पेशकश हुई थी और उन्होंने क्यों वह पेशकश स्वीकार नहीं की थी?
रज़ा को अकोला में ड्राइविंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की गई लेकिन उन्होंने वह पेशकश स्वीकार नहीं की क्योंकि उन्हें बंबई शहर पसंद आया, वहां का वातावरण गैलरिया और शहरों में अपने पहले दोस्त पसंद आए।
प्रश्न 13. सरकार द्वारा लेखक को ड्राइंग टीचर की नौकरी की पेशकश क्यों किया गया।
रज़ा को ‘जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट ’ में अध्याय के लिए मध्य प्रांत की सरकारी छात्रवृत्ति मिली थी लेकिन रज़ा ने अमरावती के गवर्मेंट नॉर्मल स्कूल से त्याग पत्र दे दिया । रज़ा बम्बई के जे. जे. स्कूल में दाखिला लेना चाहता था लेकिन रज़ा जब तक वहां पहुंचा दाखिला बंद हो चुका था। इसलिए सरकार ने रज़ा को ड्राइंग टीचर की नौकरी की पेशकश की ।
प्रश्न 14. सैयद हैदर रज़ा का संक्षिप्त परिचय दीजिए?
सैयद हैदर रज़ा का जन्म सन् 1922 में मध्यप्रदेश के बावरिया गांव में हुआ था। उन्हें ‘ ग्रेड ऑव ऑफिसर ऑव द ऑर्डर ऑव आर्ट्स एंड लेटर्स ’ सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने चित्रकला की शिक्षा नागपुर स्कूल ऑफ आर्ट व सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट मुंबई से प्राप्त की है। आधुनिक भारतीय चित्रकला को नया और आधुनिक मुहावरा देने में रज़ा का नाम महत्वपूर्ण है। रज़ा कई देश और शहरों में ड्राइंग अध्यापक के पद पर रह चुके है । इनकी मृत्यु सन् 2016 में हुई थी।
प्रश्न 15. रज़ा जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट का नियमित छात्र कब बना?
सन् 1947 में रज़ा जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट का नियमित छात्र बन गए थे क्योंकि अब वह नौकरी किए बिना भी अपनी फीस और रहने का खर्चा उठा सकते थे ।पहले उन्हें काम कर के अपनी फीस भरनी पड़ती थी।
प्रश्न 16. बंबई में रज़ा क्या करने गए थे तथा कौन कौन सा संघर्ष किया?
बंबई में रज़ा जे. जे. स्कूल में दाखिला लेने गए थे जब वह वहां पहुंचे तब दाखिला बंद हो चुके थे और सरकार द्वारा दी गई छात्रवृत्ति भी वापस ले ली गई थी । फिर उन्हे एक्सप्रेस ब्लॉक स्टूडियो में डिजाइनर की नौकरी करनी पड़ी। साल भर में स्टूडियो के मालिक ने रज़ा को मुख्य डिजाइनर बना दिया । सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक दफ्तर में काम करना पड़ता था।फिर रज़ा अध्ययन के लिए मोहन आर्ट क्लब जाने लगे फिर रज़ा के भाई के एक दोस्त ने अपने घर में रज़ा को सोने की जगह दे दी। एक रात जब रज़ा घर आते है वह बाहर एक पुलिस वाले को खड़ा पाते है वो पुलिस वाला उन्हें अंदर जाने नहीं देता है वह भागते हुए पुलिस कमिश्नर के पास जाते है और सब कह सुनाते है फिर कमिश्नर उन्हें आर्ट डिपार्टमेंट में रहने की जगह देते है उसके बाद उनके लिए नई जगह का इंतजाम किया जाता जाता है वहां वह पूरे मन से अपने काम में लग जाते हैं इन सब संघर्षों के बाद 1948 में रज़ा को बॉम्बे आर्ट्स सोसाइटी का स्वर्ण पदक मिला।
प्रश्न 17. कौन से वर्ष रज़ा के लिए कठिन वर्ष थे और क्यों?
वर्ष 1947 और 1948 रज़ा के लिए कठिन वर्ष थे क्योंकि कल्याण वाले घर में उनकी मां का देहांत हो गया उनके बाद उनके पिता उनके पास से मंडला चले गए और मई 1948 में उनका भी देहांत हो गया । इस समय भारत में उत्साह था ,उदासी भी थी। जिस प्रकार देश का विभाजन महात्मा गांधी की हत्या क्रूर घटनाएं थी। उसी प्रकार व्यक्तिगत स्तर पर लेखक के माता – पिता की मृत्यु भी ऐसी ही क्रूर घटना थी।
प्रश्न 18. हैदर रज़ा के चित्रों को देखकर ‘हेनरी कार्तिये – ब्रेसॉ ने क्या कहा ? तथा उनकी कही बातों का रज़ा पर क्या प्रभाव पड़ा?
सैयद हैदर रज़ा के चित्रों को देखकर कार्तिए – ब्रेसाँ ने कहा कि तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। तुम्हे मालूम होना चाहिए कि चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है – आधार ,नीव दीवार ,बीम, छत और तब जाकर वह टिकता है । तुम सेजा का काम ध्यान से देखो । इस बातो का रज़ा पर गहरा प्रभाव पड़ा वह बंबई लौटकर फ्रेंच सीखने के लिए अलियांस फ्रांस में दाखिला ले लिया। उन्हें फ्रेंच पेंटिंग में रुचि थी लेकिन वह इसे और अच्छे से समझना चाहते थे।
प्रश्न 19. रज़ा को आर्ट डिपार्टमेंट में कमरा कैसे मिला?
रज़ा जब मुंबई पहुंचे तब वह अपने भाई के मित्र के घर पर रहते थे ।एक रात जब वह घर पहुंचते है वह बाहर पुलिस वाले को खड़ा पाते है पुलिस वाला बोलता कि यहाँ हत्या हुई है तुम अंदर नहीं जा का सकते तब रज़ा कमिश्नर के पास जाता है और सब कुछ कह सुनाता है तब कमिश्नर उसे आर्ट डिपार्टमेंट में रहने का इंतजाम कराते है वहां रज़ा जमीन पर सोते है।
प्रश्न 20. पहली बार रज़ा के बनाए चित्र किस प्रदर्शनी में शामिल हुए थे तथा उन्हें क्या प्रतिक्रिया मिली थी?
पहली बार रज़ा के बनाए चित्र नवंबर 1943 में आर्ट्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में शामिल किए गए थे। उद्घाटन में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था क्योंकि अभी वह इतने मशहूर नही हुए थे। अगले दिन वह ‘ द टाइम्स ऑफ इंडिया ’ समाचार को पढ़ते है जिसमें रुडॉल्फ वॉन लेडेन ने उनके चित्रों की तारीफ की थी। तारीफ करते हुए रुडॉल्फ ने कहा कि एस. एच. रज़ा के नाम के छात्र के एक दो जलरंग लुभावने है उनमें संयोजन और रंगो के दक्ष प्रयोग की जबरदस्त समझदारी दिखती है।
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