प्रश्न 1. अजंता की गुफाएं किस शताब्दी की हैं?
यह गुफाएं चौथी से छठी शताब्दी के बीच गुप्त साम्राज्य के शासन काल के दौर में बनाई गई थी। इन गुफाओं पर बौद्ध भिक्षुओं ने अपनी कला का प्रदर्शन भी किया था।
प्रश्न 2. प्राचीन चित्रकला के प्रमाण कहां मिलते हैं?
मध्य प्रदेश में स्थित भीम बेटका की गुफाओं में प्राचीन चित्र कलाओं के प्रमाण मिलते हैं।गुफाओं में शैल-चित्रों के जरिए मनुष्य की उस समय की रोजमर्रा की जिंदगी को बहुत ही सुंदर ढंग से चित्रित किया गया है।
प्रश्न 3. भारत में संगीत कला का जन्म कब हुआ?
उत्तर: विद्वानों के अनुसार भारत में संगीत कला का जन्म लगभग 5000 इ० वर्ष पूर्व हुआ था। यद्यपि हमें प्राचीनतम संगीत के बारे में व्याख्यान वैदिक काल से ही मिली मिलने लगा है।
प्रश्न 4. भरतनाट्यम और टिप्पणी नृत्य के बारे में बताइए।
उत्तर: केरल के कुरूवांजी नृत्य को भरतनाट्यम का प्रेरणा स्रोत माना जाता है ।गुजरात का टिप्पणी नृत्य भी समूह के साथ होता है। यह फसल की कटाई के बाद खलिहान में किया जाता है।
प्रश्न 5. प्राचीन भारत में संगीत कितने प्रकार के होते थे?
उत्तर: प्राचीन भारत में संगीत के दो प्रकारों का उल्लेख मिलता है- एक मार्गी तथा दूसरा देसी ।मार्गी संगीत धार्मिक समारोहों से जुड़ा था और नियम और अनुशासन से बंधा हुआ था। देसी लोक से जुड़ा था लोक रूचि के अनुसार यह समूह में ही गाया जाता था।
प्रश्न 6. भारतीय कला का जुड़ाव प्रकृति से है ।स्पष्ट करें।
उत्तर: भारतीय कला का जुड़ाव प्रकृति से है इसके हमें कई प्रमाण मिलते हैं। जैसे - वीणा, जलतरंग रवाब, दोतार या बांसुरी सुनकर हम इसे समझ सकते हैं ।इन सब में प्रयोग किए जाने वाली चीजें हमारे आसपास के रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली हैं । इस अद्भुत विशेषता के कारण यहां की कला सबसे अलग है । यह सहजता और प्रकृति से जुड़ाव भारतीय कला की विशेषता को प्रदर्शित करती है।
प्रश्न 7. पाठ के आधार पर लघुचित्रों पर टिप्पणी करें।
उत्तर: लघु चित्र दो प्रकार के होते हैं एक - स्थायी जो कपड़ों, किताबों ,लकड़ी या कागज पर किया जाता है। इनमें आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कलमकारी, पंजाब की फुलकारी, महाराष्ट्र की वरली इत्यादि प्रसिद्ध हैं। इसमें प्रयोग होने वाली सभी सामग्री प्राकृतिक ही होती हैं।और दूसरा अस्थाई कला जिनमें कोहबर ,ऐपण, अल्पना रंगोली जैसी कलाएं काफी प्रचलित हैं। इन कलाओं का संबंध शादी- त्यौहार और उत्सवों से है।इन्हें क्षेत्रीय भाषाओं में अलग अलग नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 8. नृत्य कला के बारे में विस्तृत जानकारी दें।
भारतीय संगीत की तरह नृत्य में भी कम बदलाव आए हैं। इसका भी मूलशास्त्र भरतमुनि l का ‘नाट्यशास्त्र ’ही रहा है। हर राज्य के अलग-अलग समुदायों की अपनी नृत्यकला रही हैं जो हमारे रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी हुई हैं। जीवन में जितने अनुष्ठान हैं उन सब से नृत्य कलाओं का भी संबंध है। कश्मीर से दार्जिलिंग तथा समूचे हिमालय क्षेत्र में एक ओर शास्त्रों और युद्ध को नृत्य कला शालीनता से प्रस्तुत करते हैं तो दूसरी ओर गेहूं की फसल बोने को भी एक उत्सव बना देते हैं। सभी लोक नृत्य में एक गोलाई में नर्तक हाथ में हाथ मिलाए तरह-तरह के करतब करते हैं। पंजाब की महिलाएं गिद्दा करती हैं, राजस्थानी महिलाएं घूमर, गुजरात में गरबा नृत्य तो महाराष्ट्र का लावणी नृत्य अपने अद्भुत आकर्षण के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 9. भारतीय कलाओं के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी करें।
भारत की विविधता इसकी पहचान है। हमारी कलाओं को त्योहारों ,उत्सवों से अलग नहीं किया जा सकता। यह कलाएं जन्मोत्सव से लेकर शादी-ब्याह पूजा तथा खेतीबाड़ी से भी जुड़ी है । मनुष्य के जीवन से जुड़ी होने के कारण ही भारत की ये विशिष्ट कलाएं विरासत के प्रति हमें उत्साह और विश्वास से भर देती हैं। शुरुआती दौर में सभी कलाओं का संबंध लोक या समूह से ही था बाद में इनका संबंध व्यवसाय से जुड़ने के कारण व्यक्ति केंद्रित होती चली गयीं।मध्यकाल तक आते-आते साहित्य, चित्र, संगीत नृत्यकलाएंं राजाओं और विभिन्न शासकों के संरक्षण में जाने के कारण शास्त्रीय नियमों में बँधी। शास्त्र ने कलाओं को शास्त्रीय कलाओं का स्वरूप दिया। फिर भी लोक कलाएं अपनी जड़ों से पूरी तरह जुड़ी रहीं। आज की कलाओं की जड़ लोक में ही है चाहे ।
प्रश्न 10. गुप्तकाल को स्वर्ण युग क्यों कहा गया?
गुप्तकाल को कलाओं के लिए स्वर्ण युग कहा गया है। अजंता और एलोरा की गुफाएं इस समय की कलाकृतियों के लिए विख्यात हैं। इस काल में भारत में संगीत, चित्र ,साहित्य और नृत्य कला का सबसे अधिक विकास हुआ । इस काल की चित्रकला विकास और समृद्धि के प्रमाण हैं । मध्यप्रदेश में भीमबेटका की गुफाएं जो शैल चित्रों के लिए जानी जाती हैं । उनमें रोजमर्रा की गतिविधियां शिकार ,नृत्य ,संगीत, जानवर ,युद्ध साज सज्जा सभी प्रदर्शित होता है। गुफाओं में कला सृजन की अति प्राचीन परंपरा रही है । अजंता की गुफाएं उन्हीं दिनों की मानी जाती हैं ,जिन की दीवारों पर चित्रण किया गया ।वे इतनी मनमोहक और आकर्षक थे कि आज तक कलाकारों पर उनका गहरा प्रभाव रहता है। बाग और बादामी की गुफाएं भी इसी समय की मानी जाती हैं । एलीफेंटा की गुफाएं और दक्षिण भारत के महाबलीपुरम की विशाल मूर्ति कला और तंजौर की चित्रकला, कला कौशल के अद्भुत उदाहरण हैं।
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