प्रश्न 1: पाठ में किन दो नदियों की विशेषता बताई गई है?
उत्तर: सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियों की पाठ में विशेषता बताई गई है।
प्रश्न 2: निबंध हिमालय की बेटियां के लेखक का नाम लिखो।
उत्तर: "नागार्जुन" निबंध हिमालय की बेटियां के लेखक हैं।
प्रश्न 3: किसने नदियों को लोकमाता कहा है?
उत्तर: नदियों को लोकमाता काका कालेलकर ने कहा है।
प्रश्न 4: हिमालय को...... कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।
उत्तर: हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती।
प्रश्न 5: प्राकृतिक दृष्टि से कौन नदियां बहुत महत्वपूर्ण है?
उत्तर: भौगोलिक और प्राकृतिक दृष्टि से सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियां बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 6: सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियों के भौगोलिक महत्व बताएं?
उत्तर: यह नदियां सिंचाई के लिए उत्तम साधन है। यह नदियां डेल्टाफार्म करने के लिए, मछली पालन और चावल की फसल के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 7: काका कालेलकर द्वारा नदियों को लोकमाता का नाम क्यों दिया गया है?
उत्तर: नदिया का जल आदिकाल से ही फसलों की सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है एक इसी कारण काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है क्योंकि यह मां की तरह हमारा भरण पोषण करती हैं और नदियों की प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए भी लेखक ने ऐसा कहा है।
प्रश्न 8: पाठ के लेखक क नदियों में किस के रूप प्रतीत होते हैं?
उत्तर: पाठ में लेखक को नदियों कभी उनको मां का रूप दिखाई देता है, कभी बेटी का, कभी प्रेमिका का और कभी बहन का रूप दिखाई देता है। इस तरह लेखक को नदियों में स्त्री के सभी रूपों में प्रतीत होती हैं।
प्रश्न 9: लेखक को कालिदास की कौन सी बात याद आ गई थी?
उत्तर: कालिदास में विरही यक्ष में अपने मेरे मेघदूत से कहा था कि तुम अपने प्रेम का प्रतिदान वेत्रावती नदी करते जाना तुम्हारी तुम्हारी प्रेमिका तुम्हें पाकर अवश्य ही प्रसन्न होगी। लेखक को कालिदास की यह बात याद आ गई।
प्रश्न 10: कहां ये भागी जा रही है? वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है? इस वाक्य का क्या अर्थ है?
उत्तर: लेखक जब नदियों को देखते हैं तो उनके मन में यह प्रश्न उठते हैं कि यह नदियां कहां जा रही हैं और किसक लिए और इनका लक्ष्य क्या है और किसको यह मिलने के लिए बेचैन रहती हैं लेखक नदियों को देखकर सोचते हैं कि यह नदियां समुंदर की ओर जा रही हैं और समुंदर को ही मिलने के लिए बेचैन रहती हैं।
प्रश्न 11: लेखक हिमालय की बहुत प्रशंसा क्यों करते हैं?
उत्तर: हिमालय नदियों का उद्गम स्थल है। नदिया का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। नदिया हमारी धरती को उपजाओ बनाती हैं। लेखक हिमालय के प्रशंसा इसलिए भी करते हैं क्योंकि लेखक को हिमालय यात्रा के लुभावने दृश्यों ने बहुत प्रभावित किया है।
प्रश्न 12: लेखक नदियों को हिमालय की बेटी क्यों कहते हैं ?
उत्तर: लेखक नदियों को स्त्री रूप में देखता है नदियां हिमालय से निकलती है इसलिए वह नदियों को हिमालय की बेटी की तरह देखता है। नदियां हिमालय की गोद में लेखक को खेलती हुई नजर आती हैं इसलिए वह उनको हिमालय की बेटी मानता है।
प्रश्न 13: लेखक नदियों को प्रेमी के रूप में क्यों बुलाता है?
उत्तर: जिस तरह एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए बेचैन होता है उसी तरह यह नदियां सागर से मिलने के लिए बेचैन रहती हैं इसलिए लेखक नदियों को प्रेमी के रूप में बुलाता है।
प्रश्न 14: लेखक को नदियां नदियों की कौन सी बात हैरान करती है?
उत्तर: जब नदियां हिमालय से निकलकर समतल मैदानों में आ जाती हैं तो वह विशाल रूप धारण कर लेती हैं जब लेखक हिमालय के कंधे पर चढ़कर जय दृश्य देखता है तो उसे हैरानी का अनुभव होता है।
प्रश्न 15: वास्तव में सिंधु और ब्रह्मपुत्र स्वयं कुछ नहीं है लेखक ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर: सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियां हिमालय की के पिघले हुए दिल की एक एक बूंद से बनी है जो समुद्र की ओर प्रभावित होती हैं क्योंकि लेखक हिमालय को पिता मानता है इसलिए रेखा कहता है कि वास्तव में यह नदियां स्वयं कुछ नहीं है इसकी उत्पत्ति हिमालय से हुई है।
प्रश्न 16: हमारे जीवन में नदियों का क्या महत्व है?
उत्तर: नदियों के बिना धरती पर जीवन संभव ही नहीं है क्योंकि नदियां ही हमें पीने से लेकर नहाने तक के दैनिक कार्य लिए पानी देती हैं और धरती को उपजाऊ बनाते हैं जो खेती के लिए बहुत उपयोगी हैं। मनुष्य ही नहीं जीव जंतु और पेड़ - पौधे सब नदियों पर निर्भर करते हैं। नदिया पर बांध बना कर बिजली भी पैदा की जाती है यह हमारे आवागमन का साधन भी हैं।
प्रश्न 17: लेखक नदियों को किन किन रूप में देखता है?
उत्तर: लेखक नदियों को निम्न रूप में देखता है -
लेखक नदियों को संभ्रांत महिला की तरह देखता है और उनके प्रति लेखक के दिल में आदर और श्रद्धा के भाव हैं। उन्हें मां और दादी मौसी और मम्मी की गोद के रूप में देखता है जिसकी धारा में डुबकियां लगाया करता है।
लेखक नदियों को हिमालय की बेटियां के रूम में भी देखता है जो अपनी इन नटखट बेटियों के लिए कितना ही सिर धुनता होगा और जो बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चा बनकर खेला करती हैं।
लेखक नदियों को प्रेयसी के रूप में देखता है।
लेखक को नदियों को बहन के रूम में भी देखता है।
प्रश्न 18: लेखक ने हिमालय को दयालु क्यों कहा है?
उत्तर: लेखक ने हिमालय को दयालु इसलिए कहा है क्योंकि हिमालय के पिघले हुए दिल को एक एक बूंद ना जाने कब से इकट्ठा होकर इन दो महानदियो के रूप में समुद्र की ओर प्रभावित होती रहती हैं और यह दो नदियां बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चा बनकर खेला करती हैं।
प्रश्न 19: हिमालय के लिए लेखक नागार्जुन कौन-कौन कौन सी पंक्ति गुनगुनाते हैं?
उत्तर: " जय हो सतलज बहन तुम्हारी
लीला अचरज बहन तुम्हारी
हुआ मुदित मन हटा खुमारी
जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी
तुम बेटी यह बाप हिमालय
चिंतित पर, चुपचाप हिमालय
प्रकृति नदी चित्रित पट पर
अनुपम अद्भुत छाप हिमालय
जय हो सतलज बहन तुम्हारी!"
प्रश्न 20: लेखक को हिमालय की यात्रा में क्या-क्या अच्छा लगता है?
उत्तर: लेखक को हिमालय से निकलती हुई नदियों की अठखेलियां अच्छी लगती हैं। बर्फ से ढकी पहाड़ियों की सुंदरता और पेड़ पौधों से भरी हरी-भरी घाटियां अच्छी लगती हैं। इसके इलावा लेखक को देवदार, चीड़, चिनार, सफैदा आदि पौधों से भरे जंगल भी अच्छे लगते हैं और लेखक को हिमालय की सुंदरता बहुत प्रभावित करती है।
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