प्रश्न 1. ‘कुब्जा के सिवाय सभी पशु-पक्षी एक-दूसरे के मित्र थे।' क्यों?
उत्तर: सभी जानवर एक साथ मेल-मिलाप से रहते थे। परंतु कुब्जा का स्वभाव ईर्ष्यालु था। वह सभी को परेशान करती थी। वह सबको नीलकंठ से दूर करने की कोशिश करती रहती थी और इस कारण वह सभी जानवरों को अपनी चोंच से घायल कर देती थी। उसने राधा को भी घायल कर दिया था और उसके अंडे नष्ट कर दिये थे। उसके इस स्वभाव के कारण सभी कुब्जा से दूर रहते थे।
प्रश्न 2. 'इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा।' यह वाक्य लेखिका के मन में क्यों आता है? यह किस घटना का संकेत था?
उत्तर: 'इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा।' यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत करता है जब लेखिका बड़े मियाँ की दुकान से एक घायल मोरनी को अपने घर ले आई। उस मोरनी का नाम कुब्जा रखा गया। उसका स्वभाव ईर्ष्यालु होने के कारण उसे राधा और नीलकंठ का साथ रहना पसंद नहीं था। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी पर वह उससे दूर भागता। जो भी जानवर नीलकंठ के समीप आता, उसे कुब्जा अपनी चोंच से घायल कर देती थी। उसने अपनी चोंच से राधा को भी घायल कर दिया था और उसके अंडे तोड़ दिये थे। इस कारण नीलकंठ दुखी रहने लगा।
प्रश्न 3. दूसरी मोरनी का स्वभाव कैसा था? लेखिका ने उसको क्या नाम दिया था? लेखिका ने नीलकंठ और राधा को पिंजड़े में डालने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर: दूसरी मोरनी का स्वभाव ईर्ष्यालु था, अपने नाम के अनुकूल। लेखिका ने उसका नाम "कुब्जा" रखा। लेखिका ने इन कारणों से मोर के जोड़े को पिंजड़े में डालने का फैसला किया:
प्रश्न 4. वसंत में नीलकंठ जालीघर में क्यों नहीं रह पाता था?
उत्तर: वसंत ऋतु में नीलकंठ अपने आंतरिक स्वभाव के कारण अस्थिर हो जाता था। उसे फलों वाले पेड़ों से अधिक फूल और सुगंध वाले पेड़ भाते थे। वसंत में आम के पेड़ मंजरियों से भर जाते थे और अशोक के पेड़ पर लाल पत्तियाँ भर जाती थीं। उसे मालूम चल जाता था कि जल्द बादल छा जाएँगे और वर्षा में नाचने के लिए वह अधीर हो जाता था। इसी कारण वसंत में वह जालीघर में नहीं रह पाता था।
प्रश्न 5. नीलकंठ का कौन सा स्वभाव लेखिका को अच्छा लगता था?
उत्तर: लेखिका को नीलकंठ का यह स्वभाव बहुत अच्छा लगता था कि वह लेखिका को प्रसन्न करने का प्रयास करता था। जब भी वर्षा ऋतु में नीलकंठ अपने इंद्रधनुषी पंखों को फैलाकर राधा के संग नाचता था, तब यह दृश्य लेखिका को मंत्रमुग्ध कर देता था। नीलकंठ जान गया था कि लेखिका को उसका बहुत पसंद था। जब भी लेखिका नीलकंठ के पास होती तो वह नृत्य मुद्रा ले लेता था।
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