प्रश्न 1. मीराबाई का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए ।
उत्तर: मीराबाई का जन्म सन् 1498 में राजस्थान के मेड़ता में हुआ। इनकी मृत्यु के बारे में किसी को सही जानकारी प्राप्त नहीं है। ऐसा माना जाता है कि ये अंतिम क्षणों में श्री कृष्ण भगवान की मूर्ति में ही समा गई थीं। मीरा बाई श्री कृष्ण की परम भक्त थी । ये शादी के कुछ वर्ष के बाद ही विधवा हो गईं और कृष्ण-भक्ति में लीन हो गईं। इनकी प्रमुख रचनाएं नरसी का मायरा, राग सोरठा के पद, राग गोविंद आदि हैं। मीरा के पद एक ग्रन्थ में भी संकलित हैं।
प्रश्न 2. उमड़-घुमड़ चहुँदिस से आया
दामिन दमकै झर लावन की।।
नन्हीं-नन्हीं बूंदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।।
निम्न पक्तियों का भावार्थ लिखिए ।
उत्तर: इन पक्तियों में मीरा बाई कहती है कि उमड़-घुमड़ कर बादल आसमान में सभी दिशाओं में बिखर जाते हैं और आसमान में बिजली भी गरज रही है। आसमान से बारिश की छोटी छोटी बूंदें गिर रही हैं। ठंडी पवन चल रही हैं जो मीराबाई को ऐसा महसूस करवाती हैं कि मानो श्रीकृष्ण स्वयं चलकर उनके निकट चले आ रहे हैं।
प्रश्न 3. माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर , सरण आयाँ को तारै।। निम्न
पक्तियों का भावार्थ लिखिए ।
उत्तर: यशोदा माता कान्हा जी से कहती हैं कि उठो कान्हा और देखो तुम्हारे सभी मित्र हाथ में माखन और रोटी लिए द्वार पर प्रतीक्षा कर रहे हैं और तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। वह सब गाय चराने जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। इसलिए उठ जाओ कान्हा ।
प्रश्न 4. "बरसे बदरिया सावन की।
सावन की, मन-भावन की।।"
सावन में उमग्यो मेरो मनवा , भनक सुनी हरि आवन की।
निम्न पक्तियों का भावार्थ लिखिए ।
उत्तर: निम्न पक्तियों में मीरा बाई सावन की खूबसूरती का चित्रण कर रही है | मीरा बाई को सावन का मौसम बहुत ही प्रिय है। सावन में उनका मन उमंग व खुशी से भर जाता है। मीरा बाई को सावन का मौसम हरी अर्थात कृष्ण के आने का संदेश लगता है।
प्रश्न 5. गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।
उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे।
ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल
जय-जय सबद उचारै।।
निम्न पक्तियों का भावार्थ लिखिए ।
उत्तर: निम्न पक्तियों में यशोदा जी कहती है कि उठो और देखो कान्हा सभी गोपियाँ माखन मथ रही है | उनके कंगना कि ध्वनि सुनो यह सब तुम्हारे लिए ही मक्खन बना रही है। हमारे द्वार पर देवता और सभी मनुष्य तुम्हारे दर्शन करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं।
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