प्रश्न 1. तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान । कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान ॥ निम्न पक्तियों का अर्थ लिखो ।
उत्तर: रहीम दास जी कहते हैं, कि पेड़ अपने फल नहीं खाते हैं और झील (तालाब) भी अपना पानी नहीं पीते हैं। इसी तरह अच्छे और सज्जन पुरुष वे हैं, जो दूसरों के काम के लिए संपत्ति जमा करते हैं। समय आने पर सबकी सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं| अर्थात सज्जन लोगो के मन को उजागर किया गया है । दोहे में पेड़ और तालाब का उदाहरण लिया गया है,रहीम दस जी कहते है कि पेड़ कभी खुद के फल नहीं खाते और तालाब कभी स्वयं का जल नहीं पीते |उनकी तुलना सज्जन व्यक्ति के चरित्र से है | भाव ये है, पेड़ और तालाब कि भाती सज्जन व्यक्ति भी जीवन पर्यन्त दुसरो के लिए ही समर्पित होते है | अपनी संपत्ति को भी निस्वार्थ भावना से दूसरो कि सहायता के लिए खर्च कर देते है।
प्रश्न 2. धरती की सी रीत है, सीत घाम औ मेह। जैसी परे सो सहि रहै, त्योंरी रहीम यह देह” ॥ निम्न पंक्तियों का अर्थ लिखो ।
उत्तर: इस दोहे में रहीम दास जी ने धरती के साथ मानव शरीर की स्थायी शक्ति का वर्णन किया है। वह कहते हैं, कि इस शरीर की क्षमता धरती की तरह है । जिस तरह धरती सर्दी- गर्मी बारिश की प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करती है । उसी तरह मानव शरीर भी जीवन में आने वाले सुख और दुख को सहन करने की शक्ति रखता है । अर्थात इस दोहे में रहीम दस जी ने धरती के साथ मनुष्य की सहन शक्ति की तुलना कि है | मनुष्य भी धरती के समान प्रत्येक विषम परिस्थिति को सहन करने में सक्षम होता है | धरती से प्रेरणा मिलती है, कि कभी मनुष्य धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए |
प्रश्न 3. “थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात धनी पुरुष निर्धन भये, करें पाछिली बात” ॥ निम्न पक्तियों का अर्थ लिखो ।
उत्तर: रहीम दास जी कहते हैं, कि क्वार महीने जिस तरह से बिन पानी का एक बादल गरजता है। उसी तरह जब एक अमीर व्यक्ति गरीब हो जाता है, तो वह बार-बार अपने आप ती के बारे में बात करता है। अर्थात क्वार के महीने में जिस प्रकार आकाश में घने बादल दिखते है, पर बिना बारिश के को वो केवल गडगडाहट की अवाज करते है। उसी प्रकार जब कोई आमिर व्यक्ति गरीब हो जाता है या कंगाल हो जाता है, उसके मुख से केवल बड़ी बड़ी घमंडी बाते ही सुन ने को मिलती है जिनका कोई मूल्य नहीं होता । अतः रहीम दस जे ने बादल कि तुलना खोखले आमिर व्यक्ति से है | धन के अभाव में व्यक्ति और जल के अभाव में बादल का मोल खोखला हो जाता है | केवल तेज आवाज में बाते करना या गर्जना ही पर्याप्त नै होता |
प्रश्न 4. “ कहि 'रहीम' संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति । बिपति कसोटी जे कसे, सोई सांचे मीत ॥ निम्न पक्तियों का अर्थ लिखो ।
उत्तर: रहीम दास जी कहते है, कि अगर धन है, तो कई लोग रिश्तेदार बन जाते हैं। लेकिन एकमात्र सच्चे दोस्त वे हैं, जो प्रतिकूलता की कसौटी पर खड़े हैं। जैसे सोना खरा या खोटा उसको घिसने पर पता चल जाता है, उसी तरह मुसीबत के समय जो साथ दे वही सच्चा मित्र है और खरा सोना है | अर्थात रहीम दस जी कहते है, कि सच्चे मित्र कि पहचान केवल दुःख के समय होती है, जब हमे किसी के सहारे कि आवश्यकता होती है तब हमारे समक्ष कोई नहीं आता, हमारी सहायता के लिए अर्थात सुख में सब रिश्तेदार मित्र साथ देते परन्तु जो व्यक्ति दुःख के समय साथ हो वही सच्चा मित्र होता है | और मित्रता की कसौटी पर खरा उतरता है |
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