प्रश्न 1. हमारे जीवन में नदियों का क्या महत्व है?
उत्तर: नदियों के बिना धरती पर जीवन संभव ही नहीं है क्योंकि नदियां ही हमें पीने से लेकर नहाने तक के दैनिक कार्य लिए पानी देती हैं और धरती को उपजाऊ बनाते हैं जो खेती के लिए बहुत उपयोगी हैं। मनुष्य ही नहीं जीव जंतु और पेड़ - पौधे सब नदियों पर निर्भर करते हैं। नदिया पर बांध बना कर बिजली भी पैदा की जाती है यह हमारे आवागमन का साधन भी हैं।
प्रश्न 2. लेखक ने हिमालय को दयालु क्यों कहा है?
उत्तर: लेखक ने हिमालय को दयालु इसलिए कहा है क्योंकि हिमालय के पिघले हुए दिल को एक एक बूंद ना जाने कब से इकट्ठा होकर इन दो महानदियो के रूप में समुद्र की ओर प्रभावित होती रहती हैं और यह दो नदियां बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चा बनकर खेला करती हैं।
प्रश्न 3. लेखक को हिमालय की यात्रा में क्या-क्या अच्छा लगता है?
उत्तर: लेखक को हिमालय से निकलती हुई नदियों की अठखेलियां अच्छी लगती हैं। बर्फ से ढकी पहाड़ियों की सुंदरता और पेड़ पौधों से भरी हरी-भरी घाटियां अच्छी लगती हैं। इसके इलावा लेखक को देवदार, चीड़, चिनार, सफैदा आदि पौधों से भरे जंगल भी अच्छे लगते हैं और लेखक को हिमालय की सुंदरता बहुत प्रभावित करती है।
प्रश्न 4. लेखक नदियों को किन किन रूप में देखता है?
उत्तर: लेखक नदियों को निम्न रूप में देखता है -
प्रश्न 5. हिमालय के लिए लेखक नागार्जुन कौन-कौन कौन सी पंक्ति गुनगुनाते हैं?
उत्तर: " जय हो सतलज बहन तुम्हारी
लीला अचरज बहन तुम्हारी
हुआ मुदित मन हटा खुमारी
जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी
तुम बेटी यह बाप हिमालय
चिंतित पर, चुपचाप हिमालय
प्रकृति नदी चित्रित पट पर
अनुपम अद्भुत छाप हिमालय
जय हो सतलज बहन तुम्हारी!"
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