निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1 विद्यार्थी अवस्था में महादेव भाई क्या करते थे ? महादेव भाई की साहित्यिक गतिविधियों में क्या देन है? बताइए।
उत्तरः महादेव भाई पहले सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे। 1917 में वे गाँधी जी के पास आए और उनके वैयक्तिक सहायक बन गए।
महादेव भाई को शिष्ट सम्पन्न भाषा और मनोहारी लेखन शैली की ईश्वरीय देन मिली थी। गाँधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ (मूल गुजराती) का अंग्रेजी अनुवाद महादेव भाई ने किया। टैगोर के नाटक ‘विदाई का अभिशाप’ और शरत बाबू की कहानियों का अनुवाद आपकी साहित्यिक देन है।
प्रश्न 2. ”अपना परिचय उनके पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।“ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः महादेव भाई का समूचा जीवन और उनके सारे कामकाज गाँधी जी के साथ एकरूप होकर इस प्रकार गुँथ गए थे कि गाँधी जी से अलग करके अकेले उनकी कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। वे गाँधी जी के लिए ही सारा काम करते थे। वे अत्यन्त विनम्र थे। अपनी बातों से किसी को ठेस नहीं पहुँचाते थे। वे स्वयं को गाँधी जी का भक्त, उनका खाना बनाने वाला, उनके लिए रास्ते पर पानी छिड़कने वाला तथा गधे के समान गाँधी जी के हर काम को करने के लिए तैयार रहने वाला कहकर खुद को गौरवान्वित महसूस करते थे अर्थात् उन्हें अभिमान छू भी न सका था।
प्रश्न 3. महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया?
उत्तरः महादेव को उनके निम्नलिखित गुणों ने सबका लाड़ला बना दिया था-
(i) महादेव गाँधी जी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते थे।(ii) वे गाँधी जी के खिलाफ लिखने वालों पर टिप्पणी करते थे।
(iii) बेजोड़ कलम, भरपूर, चैकसाई ऊँचे-से-ऊँचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परम्पराओं को अपनाकर चलने का गाँधी जी का आग्रह और कट्टर विरोधियों के साथ भी सत्यनिष्ठा, विनय से विवाद करने की गाँधी जी की तालीम आदि गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था।
प्रश्न 4. गाँधी जी ने महादेव भाई को अपना वारिस कब घोषित किया तथा क्यों किया? स्पष्ट कीजिए
अथवा
गाँधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?
उत्तरः महादेव 1917 ई. में गाँधी जी के पास आए थे। गाँधी जी ने उनके विशेष गुणों को तत्काल पहचान लिया और उन्हें अपने उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया। सन् 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के दिनों में पंजाब जाते समय गाँधी जी को पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया। उसी समय उन्होंने महादेव को अपना वारिस कहा था।
प्रश्न 5. ”देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्र तारे की तरह अचानक अस्त हो गए।“ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः आकाश में अगणित तारे होते है, पर उनके बीच शुक्र तारा अलग ही अपनी चमक बिखेरता है। इसे चन्द्रमा का साथी माना गया है। शुक्र तारे की चमक का वर्णन कवियों द्वारा भी किया गया है। यह तारा कुल मिलाकर सुबह शाम में घंटे-दो-घंटे ही दिखता है, ठीक इसी तरह महादेव भाई भी स्वतंत्रता की प्रभात बेला में अपने कार्य एवं मधुर व्यवहार से लोगों के बीच लाड़ले बन गए थे। गाँधी जी के लिए वे सारे कार्य करते रहते थे। वे गाँधी जी तथा लोगों के दिलों में अपनी जगह बना चुके थे। उनकी असमय मृत्यु से विशेषकर गाँधी जी दुःखी थे। शुक्र तारे की तरह कम समय में ही अपने व्यवहार से सबको प्रभावित करते हुए अस्त हो गए।
प्रश्न 6. ”उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वायसराय लम्बी साँस-उसाँस लेने लगते थे।“ आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः भारत में उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। वायसराय के नाम जाने वाले गाँधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे। बडे़-बड़े सिविलियन और गर्वनर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में महादेव के समान अक्षर लिखने वाला कहीं खोजने पर नहीं मिलता था। महादेव भाई गाँधी जी को जो पत्र लिखते थे, उनके पास ऐसा व्यक्ति देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वायसराय लम्बी साँस लेते थे, क्योंकि उनके पास सुन्दर अक्षर लिखने वाला कोई लेखक नहीं था।
प्रश्न 7. ‘यंग इण्डिया’ और ‘नवजीवन’ नामक साप्ताहिक पत्रों से सम्बन्धित सारी व्यवस्था का कामकाज लेखक के कन्धों पर क्यों आ पड़ा ?
उत्तरः ‘यंग इण्डिया’ और ‘नवजीवन’ दोनों साप्ताहिक-पत्रों का काम बढ़ने पर गाँधी जी व महादेव भाई का अधिकांश समय देश भ्रमण में बीतने लगा, जिसकी वजह से सम्पादन सहित दोनों साप्ताहिकों की और छापाखाने की सारी व्यवस्था लेखक के जिम्मे आ पड़ी।
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