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NCERT Solution, पाठ - 11 विद्रोही और राज, इतिहास, कक्षा 12 - Humanities/Arts PDF Download

विद्रोही और राज

प्रश्न - 1857 के जन विद्रोह से पहले कुछ सालों में भारतीय सिपाहियों के अंग्रेज अफसरों के साथ संबधों की समीक्षा कीजिये |

उत्तर - 1857 के जन विद्रोह से पहले के कुछ वर्षों में भारतीय सिपाहियों के अपने अंग्रेज अफसरों के साथ काफी बदल चुके थे | 1820 के दसक में अंग्रेज अधिकारी सिपाहियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबधों पर जोर देते थे | वे उनके मौज -मस्ती में शामिल होते थे | उनके साथ तलवार बाजी करते और युद्ध पर जाते थे | उनमे अफसर की कड़क और अभिभावक का स्नेह दोनों ही शामिल थे |

     परन्तु 1840 के दसक में स्थिति बदलने लगी |अफसर सिपाहियों को निकृष्ट नसल का मानने लगे | वे उनकी भावनाओं की जरा सी भी परवाह नही करते थे | विश्वास का स्थान संदेह ने ले लिया | चर्बी वाले कारतूसों की घटना इसका एक अच्छा उदहारण थी |

 

प्रश्न - 1857 के दौरान विद्रोहियों द्वारा वैकल्पिक शक्ति का ढाँचा खड़ा करने का जो प्रयास किया गया था, उसका वर्णन कीजिये |

उत्तर - भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाने के बाद दिल्ली, लखनऊ और कानपूर आदि स्थानों पर विद्रोहीयों ने समान सत्ता और शासन स्थापित करने का प्रयास किया | इसके लिए उन्होंने पुरानी दरबार संस्कृति का सहारा लिया | विभिन्न पदों पर नियुक्तियां की गयी | भू राजस्व वसूली और सैनिकों के वेतन की भुगतान की व्यवस्था की गयी | नई व्यवस्था उन सभी बातों का प्रतिक बन गयी जो उनसे छिन्न चुकी थी | विद्रोहियों द्वारा स्थापिर शासन संरचना का प्राथमिक उद्देश्य युद्ध की अरुरतों को पूरा करना था | परन्तु अधिकतर मामलों में ये संरचनाए अधिक देर तक टिक नही पाई और विद्रोह का दमन कर दिया गया |

 

प्रश्न - सन् 1801 में अंग्रेजों द्वारा अवध पर अधिग्रहण निति के प्रावधानों को स्पष्ट कीजिये |

उत्तर - 1801 ई॰ अवध पर अधिग्रहण निति के निम्नलिखित प्रावधान थे - 

(1) इस संधि में यह शर्त थी की नवाब अपनी सेना समाप्त कर दे |

(2) वह रियासत में अंग्रेज टुकड़ियों को तैनात करे |

(3) अपने सैनिक शक्ति से वंचित हो जाने के बाद नवाब अपनी रियासत में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए दिनोदिन अंग्रेजों पर निर्भर होता जा रहा था | अब विद्रोही मुखियाओं पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रहा था |

(4) वह अपने दरबार में विराजमान ब्रिटिश रेजिडेंट की सलाह पर काम करे |

 

प्रश्न - 1857 ई॰ के विद्रोह का विस्तार किस प्रकार हुआ ?

उत्तर - सिपाहियों ने किसी ना किसी विशेष संकेत के साथ अपनी कारवाही आरंभ की | कई स्थानों पर शाम के समय तोपों का गोला दागा गया तो कही बिगुल बजाकर विद्रोह का संकेत दिया गया | सबसे पहले विद्रोहियों ने शास्त्रों पर कब्ज़ा किया और सरकारी खजानों को लुटा | इसके बाद उन्होंने दफ्तर, जेल, रिकॉर्ड रूम, बंगलों तथा सरकारी इमारतों पर हमले किए | गोरों से सम्बंधित हर चीज को और हर व्यक्ति हमले का निशाना बना | वे लोग अपने प्राण और घर -बार बचाने में लगे हुए थे | एक ब्रिटिश अधिकारी ने लिखा, ब्रिटिश शासन "ताश के किले की तरह बिखर गया |"

 

प्रश्न - 1857 के विद्रोह के सन्देश का प्रसार कैसे हुआ ?

उत्तर - 1. 1857 के विद्रोह के नेता सभी स्थानों पर दरबारों से जुड़े व्यक्ति अर्थात रानियाँ, राजा, नवाब आदि नही थे | विद्रोह का सन्देश प्रायः आम पुरुषों और महिलाओं के माध्यम से और कुछ स्थानों पर धार्मिक लोगों द्वारा फिला रहा था |

2. मेरठ से खबरें आ रही थी कि वहाँ हाथी पर सवार एक फ़क़ीर को देखा गया था जिससे सिपाही रोज मिलने जाते थे |

3. छोटानागपुर स्थित सिंघभूम में एक आदिवासी काश्तकार गोनू ने प्रदेश के कोल आदिवासियों का नेतृत्व संभाला हुआ था |

4. लखनऊ में अवध पर कब्जे के बाद बहुत से धार्मिक नेता और स्वयंभू प्रचारक ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का प्रचार कर रहे थे |

5. अन्य स्थानों पर कई स्थानीय नेताओं ने, किसानों, जमींदारों और आदिवासियों को विद्रोह के लिए तैयार किया |

 

प्रश्न - सहायक संधि क्या है ?

उत्तर - सहायक संधि लार्ड वेलेजली द्वारा 1798 में आरंभ की गई एक व्यवस्था थी | अंग्रेजों के साथ यह संधि करने वाले राजा को निम्नलिखित शर्ते माननी पड़ती थी -

1. सहयोगी पक्ष को इस टुकड़ी के रख रखाव की व्यवस्था करनी होगी |

2. सहयोगी पक्ष ना किसी ओर के साथ संधि कर सकेगा और न ही अंग्रेजों की अनुमति के बिना किसी से युद्ध कर सकेगा |

3. सहयोगी पक्ष के भू क्षेत्र में एक ब्रिटिश सैनिक टुकड़ी तैनात रहेगी |

4. सहयोगी राजा के दरबार में एक अंग्रेज रेजिडेंट नियुक्त किया जायेगा |

बदले में अंग्रेज अपनी सहयोगी की बाहरी और आंतरिक चुनौतियों से रक्षा करेंगे |

 

प्रश्न - अंग्रेजी नीति से अवध के ताल्लुकदार किस तरह प्रभावित हुए ? पाँच तरीके बताओं |

उत्तर - अंग्रेजी नीति से अवध के ताल्लुकदार निम्नलिखित ढंग से प्रभावित हुए -

(1) ताल्लुकदारों के किले ध्वस्त कर दिए गए और उनकी सेनाओं को भंग कर दिया गया |

(2) उनकी स्वतंत्रता छिन ली गयी |

(3) जमीने छिन जाने उनकी शक्ति और सम्मान को भारी क्षति पहुंची |

(4) राजस्व की माँग लगभग दो गुनी कर दी गयी जिससे तल्लुक्दारों में रोष फैला गया |

(5) 1856 की एकमुश्त बनोबस्त के अधीन उन्हें उनकी जमीनों से बेदखल किया जाने लगा | कुछ ताल्लुकदारों के तो आधे से भी अधिक गाँव हाथ से जाते रहे |

 

प्रश्न - ताल्लुकदारों के हटाये जाने से अवध के किसानों की स्थिति और भी ख़राब हो गयी | स्पष्ट कीजिये |

उत्तर - अंग्रेजों से पहले ताल्लुकदार ही जनता का उत्पीड़न करते थे, परन्तु जनता की नजर में बहुत से ताल्लुकदार सीधे होने की छवि भी रखते थे | वे किसानों से तरह तरह से पैसा वसूलते थे, परन्तु बुरे वक्त में किसानों के मदद भी करते थे | अब अंग्रेजी राज में किसान मनमानी राजस्व वसूली तथा गैर -लचीली व्यवस्था के अंतर्गत बुरी तरह पिसने लगे थे | अब इस बात की ओई गारंटी नहीं थी की सरकार कठिन समय में या फसल ख़राब हो जाने पर राजस्व माँग में कोई कमी करेगी | वसूली को कुछ समय के लिए टाल देना भी मुश्किल था | न ही किसानों को इस बात की आशा थी की उन्हें तीज -त्योहारों पर कोई सहायता मिल पाएगी जो पहले ताल्लुकदारों से मिल जाती थी |

 

प्रश्न - लार्ड डलहौजी की अवध अधिग्रहण निति की आलोचनात्मक कीजिए |

उत्तर - लार्ड डलहौजी ने अवध का अधिग्रहण 1856 ई॰ में किया | उसने अव्ध्ग के नवाब पर कुशासन का आरोप लगाया और उन्हें गद्दी से हटाकर अवध को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया | ब्रिटिश सरकार ने यह निराधार निष्कर्ष निकल लिया था कि वाजिद अली शाह लोकप्रिय नही है | परन्तु यह सच है की लोग उसे दिल चाहते थे | इस भावनात्मक उथल -पुथल को भौतिक क्षति के कारण और बल मिला | राज्य के ताल्लुकदारों तथा किसानों में भी रोष फ़ैल गया |

 

प्रश्न - 1857 में भारतीय सिपाहियों के विद्रोह के क्या कारण थे ?

उत्तर - 1857 में भारतीय सिपाहियों ने निम्नलिखित कारणों से विद्रोह किया -

1. 1857 ई॰ में एक ऐसा सैनिक कानून पास किया गया जिसके अनुसार सैनिकों को लड़ने के लिए समुद्र पार भेजा जा सकता था, परन्तु हिन्दू सैनिक समुद्र के पार जाना अपने धर्म के विरुद्ध समझते थे |

2. भारतीय सैनिकों को अंग्रेज सैनिकों की अपेक्षा बहुत कम वेतन दिया जाता था | इस कारण उनमे असंतोष फैला हुआ था |

3. सैनिकों को प्रयोग करने के लिए चर्बी वाले कारतूस दिए गए | मंगल पाण्ड्य ने क्रोध में आकर एक अंग्रेज सैनिक की हत्या कर दी | इसी आरोप में उसे फाँसी दे दी गयी | अन्य भारतीय सैनिक इस घटना से क्रोधित हो उठे और उन्होंने अंग्रेजो के विरुद्ध विद्रोह कर दिया |

4. अंग्रेज अधिकारी भारतीय सैनिकों के सामने ही उनकी सभ्यता और संस्कृति का मजाक उड़ाया करते थे |भारतीय सैनिक इस अपमान का बदला लेना चाहते थे |

5. परेड के समय भारतीय सैनिक के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता था | भृत्य सैनिक ओईस अपमान को अधिक देर तक सहन नही कर सकते थे |

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FAQs on NCERT Solution, पाठ - 11 विद्रोही और राज, इतिहास, कक्षा 12 - Humanities/Arts

1. पाठ - 11 विद्रोही और राज क्या है?
उत्तर - "पाठ - 11 विद्रोही और राज" हिंदी माध्यम कक्षा 12 के इतिहास पाठ का नाम है। यह पाठ विद्रोही आंदोलनों और राष्ट्रीय उद्यानों के विकास के बारे में बताता है।
2. पाठ - 11 विद्रोही और राज में कौन-कौन से विषय शामिल हैं?
उत्तर - पाठ - 11 विद्रोही और राज में "न्यायपालिका और विद्रोही आंदोलनों के बीच संघर्ष", "अस्पृश्य राजनीतिक संरचना", "बंटवारे का क्रूरतापूर्ण प्रणाली", "राष्ट्रीय उद्यान और उनकी आपातकालीन रचनाएँ" जैसे विषय शामिल हैं।
3. विद्रोही आंदोलनों के बारे में "पाठ - 11 विद्रोही और राज" में क्या बताया गया है?
उत्तर - "पाठ - 11 विद्रोही और राज" में विद्रोही आंदोलनों के बीच के संघर्ष के बारे में बताया गया है। इसमें छत्तीसगढ़, जबलपुर, असम, उड़ीसा, गुजरात और तमिलनाडु के विद्रोही आंदोलनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
4. "पाठ - 11 विद्रोही और राज" के आधार पर राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में क्या कहा जा सकता है?
उत्तर - "पाठ - 11 विद्रोही और राज" में राष्ट्रीय उद्यानों के विकास और उनकी आपातकालीन रचनाएँ पर विचारशीलता रखी गई है। इसमें कान्हेरी, चिन्नर, बृहदीश्वर और सुंदरबंड राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
5. "पाठ - 11 विद्रोही और राज" क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर - "पाठ - 11 विद्रोही और राज" महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भारतीय इतिहास के अहम पहलुओं को समझाने का प्रयास किया गया है। यह पाठ छात्रों को विभिन्न विद्रोही आंदोलनों के बारे में ज्ञान प्रदान करता है और उन्हें राष्ट्रीय उद्यानों के महत्व के बारे में जागरूक करता है।
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