प्रश्न 2: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन - कौन पढ़ पाते हैं ? सोच कर लिखिए।
उत्तर: पक्षी और बादल द्वारा लायी गई चिट्ठियों को पेड़ - पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं। प्रकृति के ये विविध उपादान पक्षी और बादल से प्रभावित होते हैं। इन्हें उनकी भाषा भली प्रकार समझ में आ जाती हैं।
प्रश्न 3: किन पंक्तियों का भाव है -
(क) पक्षी और बादल प्रेम , सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
(ख) प्रकृति देश-देश में भेद भाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर: (क) पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधें, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।
(ख) और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
प्रश्न 4: पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं ?
उत्तर: कवि का कहना है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश लाने का काम करते हैं। पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और सद्भावना के संदेश को पढ़ पाते हैं। इसपर अमल करते नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने पानी को बाँटती है। पहाड़ भी समान रूप से सबके साथ खड़ा होता है। पेड़-पौधें समान भाव से अपने फल, फूल व सुगंध को बाँटते हैं, कभी भेदभाव नहीं करते।
प्रश्न 5: ''एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है''-कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: एक देश की धरती अपने सुगंध व प्यार को पक्षियों के माध्यम से दूसरे देश को भेजकर सद्भावना का संदेश भेजती है। धरती अपनी भूमि में उगने वाले फूलों की सुगंध को हवा से, पानी को बादलों के रूप में भेजती है। हवा में उड़ते हुए पक्षियों के पंखों पर प्रेम-प्यार की सुगंध तैरकर दूसरे देश तक पहुँच जाती है। इस प्रकार एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
प्रश्न 2: आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इन्टरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इन्टरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों में भगवान द्वारा भेजा गया संदेश होता है, क्योंकि ये चिट्ठियाँ भगवान की होती हैं। इन चिट्ठियों को मनुष्य नहीं पढ़ पाता है। इनको प्रकृति के विभिन्न अंग पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं। इन चिट्ठियों में निहित संदेश किसी व्यक्ति या स्थान विशेष पर रहने वालों के लिए नहीं होता है। सामान्यतया इनमें विश्वबंधुत्व, प्रेम, सद्भाव तथा एकता का संदेश निहित होता है। इसके विपरीत इंटरनेट वर्तमान में प्रचलित संचार के साधनों में प्रमुख है। यह विज्ञान की अद्भुत खोज है। जिसकी मदद से संदेश भेजा तथा प्राप्त किया जा सकता है। इससे व्यक्ति अपने जान-पहचान वालों को जब चाहे, जहाँ चाहे संदेशों का आदान-प्रदान कर सकता है। ये संदेश नितांत निजी होते हैं, जिन्हें आसानी से पढ़ा जा सकता है। इससे संदेशों का आदान-प्रदान तुरंत हो जाता है।
प्रश्न 3: हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका पर दस वाक्य लिखिए।
उत्तर: डाकिया वह सरकारी कर्मचारी होता है जिसका हमारे जीवन से घनिष्ठ संबंध होता है। वह पत्र, मनीऑर्डर आदि हम तक पहुँचाता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है। डाकिए का महत्त्व आज के दौर में और भी बढ़ जाता है। जब संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, और लोग अपनी रोटी-रोजी के लिए दूरदराज शहरों में बस रहे हैं। वह हमारे प्रियजनों, निकट संबंधियों की सभी खबरें लाता है जो कभी तो मनुष्य को खुशी से भर देती हैं तो कभी गम के सागर में डुबो देती हैं हमारी अर्थव्यवस्था में मनीऑर्डर के महत्त्व को ग्रामीण लोगों से बेहतर भला कौन समझ सकता है। दूरदराज तथा ग्रामीण क्षेत्रों में मनीऑर्डर हेतु डाकिए की राह देखी जाती है कि कब वह ‘देवदूत’ आए और घरों का चूल्हा जले। इसके अलावा वे अपनी अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी डाकिए का इंतजार करते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि डाकिए का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
प्रश्न: डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू. WWW.) तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। “चिट्ठियों की अनूठी दुनिया” पाठ का सहयोग ले सकते हैं।
उत्तर: डाकिया खार्की वर्दी पहने, कंधे पर झोला लटकाए एक व्यक्ति होता है। हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। डाकिए को डाकिया भैया, पोस्टमैन, चिट्ठीरसा और जाने कितने नाम से जाना जाता है। डाकिया हमें दूसरे स्थानों पर रहने वाले हमारे रिश्तेदारों व मित्रों से जोड़ने का भी काम करता है। क्योंकि वह उनके द्वारा भेजे गए संदेशों को हम तक पहुँचाता हैं। डाकिये केवल पत्र बांटते ही नहीं, बल्कि अशिक्षित ग़रीबों को उसे पढकर सुनाते भी हैं। तथा उनका पत्र लिखने में मदद करते है। डाकिया का कार्य बड़ा कठिन होता है। वह सुबह से शाम तक चलता ही रहता है। डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम परिश्रम और लगन के साथ समाप्त करता है। गर्मी, सर्दी और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है।
इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब: वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) एक सिस्टम है जो संगठन तथा सम्बन्ध स्थापित करने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। इसके माध्यम से इंटरनेट फाइल्स, स्रोत तथा सुविधाओं का उपयोग किया जा सकता है। वेब एक इंटरनेट आधारित संचालन सिस्टम है हम अपने संवाद को बड़ी ही सुगमता व सुविधापूर्वक इंटरनेट के माध्यम से भेज व पा सकते हैं इंटरनेट संदेश भेजने का आज का आधुनिक माध्यम हैं। हम कुछ पलों में ही इंटरनेट के माध्यम से अपना संदेश एक स्थान पर ही नहीं अपितु दूसरे देश में भी भेज सकते हैं और इसमें ज्यादा समय भी नहीं लगता।
पक्षी और बादल: पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिये है, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते है। हम तो समझ नहीं पाते है मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़-पौधे, पहाड़ और जल अच्छी तरह से पढ़ पाते हैं ।
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1. "भगवान के डाकिये" कहानी का मुख्य विषय क्या है? | ![]() |
2. इस कहानी में मुख्य पात्र कौन-कौन हैं? | ![]() |
3. "भगवान के डाकिये" कहानी से हमें क्या सीख मिलती है? | ![]() |
4. इस कहानी में भगवान का डाकिया किस प्रकार से लोगों की मदद करता है? | ![]() |
5. कहानी में दयालुता का क्या महत्व बताया गया है? | ![]() |