प्रश्न.1. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है ?
उत्तर. कवि को ब्रजभूमि से गहरा प्रेम है। वह इस जन्म में ही नहीं, अगले जन्म में भी ब्रजभूमि का वासी बने रहना चाहता है। इश्वर अगले जन्म में उसे ग्वाला बनाएँ, गाय बनाएँ, पक्षी बनाएँ या पत्थर - वह हर हाल में ब्रजभूमि में रहना चाहता है। वह ब्रजभूमि के वन, बाग़, सरोवर और करील-कुंजों पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को भी तैयार है।
प्रश्न.2. कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?
उत्तर. कवि का ब्रज के वन, बाग़ और तालाब को इसलिए निहारना चाहता है क्योंकि इसके साथ कृष्ण की यादें जुड़ी हुई है। कभी कृष्ण इन्हीं में विहार किया करते थे। इसलिए कवि उन्हें देखकर धन्य हो जाते है।
प्रश्न.3. एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?
उत्तर. श्री कृष्ण रसखान जी के आराध्य देव हैं। उनके द्वारा डाले गए कंबल और पकड़ी हुई लाठी उनके लिए बहुत मूल्यवान है। श्री कृष्ण लाठी व कंबल डाले हुए ग्वाले के रुप में सुशोभित हो रहे हैं। जो कि संसार के समस्त सुखों को मात देने वाला है और उन्हें इस रुप में देखकर वह अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं। भगवान के द्वारा धारण की गई वस्तुओं का मूल्य भक्त के लिए परम सुखकारी होता है।
प्रश्न.4. सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था ? अपने शब्दों में वर्णन कीजिये।
उत्तर. सखी ने गोपी से आग्रह किया था कि वह कृष्ण के समान सर पर मोरपंखों का मुकुट धारण करें। गले में गुंजों की माला पहने। तन पर पीले वस्त्र पहने। हाथों में लाठी थामे और पशुओं के संग विचरण करें।
प्रश्न.5. आपके विचार से कवि पशु, पक्षी, पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है ?
उत्तर. मेरे विचार से रसखान कृष्ण के अनन्य भक्त हैं। उन्हें किसी भी रूप में कृष्ण सान्निध्य प्राप्त करना है। इसमें उनकी भक्ति-भावना तृप्त होती है। इसलिए वे पशु, पक्षी या पहाड़ बनकर भी कृष्ण का संपर्क चाहतें हैं।
प्रश्न.6. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं ?
उत्तर. चौथे सवैये के अनुसार कृष्ण का रूप अत्यंत मोहक है तथा उनकी मुरली की धुन बड़ी मादक है। इन दोनों से बचना गोपियों के लिए अत्यंत कठिन है। गोपियाँ कृष्ण की सुन्दरता तथा तान पर आसक्त हैं इसलिए वे कृष्ण के समक्ष विवश हो जाती हैं।
प्रश्न.7. भाव स्पष्ट कीजिए:
(क) 'कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।'
(ख) 'माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।'
उत्तर. (क) भाव यह है कि रसखान जी ब्रज की काँटेदार झाड़ियों व कुंजन पर सोने के महलों का सुख न्योछावर करदेना चाहते हैं। अर्थात् जो सुख ब्रज की प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने में है वह सुख सांसारिक वस्तुओं को निहारने में दूर-दूर तक नहीं है।
(ख) भाव यह है कि कृष्ण की मुस्कान इतनी मोहक है कि गोपी से वह झेली नहीं जाती है अर्थात् कृष्ण की मुस्कान पर गोपी इस तरह मोहित हो जाती है कि लोक लाज का भी भय उनके मन में नहीं रहता और गोपी कृष्ण की तरफ़ खीची चली जाती है।
प्रश्न.8. 'कालिंदी कूल कदम्ब की डारन' में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर. 'कालिंदी कूल कदम्ब की डारन' में 'क' वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न.9. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिये: 'या मुरली मुरलीधर की अधरन धरी अधरा न धरौंगी।'
उत्तर.
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1. इस कविता में किस विषय पर चर्चा की गई है? |
2. कवि ने कैसे समझाया है कि प्रकृति का संबंध हमारे मन से है? |
3. कविता में कौन-कौन सी चीजें प्रकृति की सुंदरता को दर्शाती हैं? |
4. कवि की भावनाएं किस प्रकार किसी उच्च स्थान पर हैं? |
5. क्या कवि का कहना है कि मनुष्य किसी तरह से प्रकृति के बिना रह सकता है? |
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