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तुम कब जाओगे अतिथि NCERT Solutions | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

प्रश्न-अभ्यास

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1:अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?
उत्तर: अतिथि चार दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है।

प्रश्न 2: कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?
उत्तर: कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही हैं। मानों वे भी अतिथि को बता रही हों कि तुम्हें यहाँ आए। दो-तीन दिन बीत चुके हैं।

प्रश्न 3: पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
उत्तर:
पति ने स्नेह से भीगी मुस्कान के साथ गले मिलकर और पत्नी ने आदर से नमस्ते करके उनका स्वागत किया।

प्रश्न 4: दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?
उत्तर: 
दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई।

प्रश्न 5: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
उत्तर: 
अतिथि ने तीसरे दिन कहा कि वह अपने कपड़े धोबी को देना चाहता है।

प्रश्न 6: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
उत्तर: 
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लेखक उच्च मध्यमवर्गीय डिनर से खिचड़ी पर आ गया। यदि इसके बाद भी अतिथि नहीं गया, तो लेखक को उपवास की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए।

प्रश्न 1: लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
उत्तर: लेखक अपने अतिथि को भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि अतिथि को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन तक जाया जाए। उसे बार-बार रुकने का आग्रह किया जाए, किंतु वह न रुके।

प्रश्न 2: पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए:
(क) अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
(ख) अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
(ग) लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।
(घ) मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
(ङ) एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।
उत्तर: (क) बिना सूचना दिए अतिथि को आया देख लेखक परेशान हो गया। वह सोचने लगा कि अतिथि की आवभगत में उसे अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा जो उसकी जेब के लिए भारी पड़ने वाला है।
(ख) अतिथि देवता होता है पर अपना देवत्व बनाए रखकरे। यदि अतिथि अगले दिन वापस नहीं जाता है और मेजबान के लिए पीड़ा का कारण बनने लगता है तो मनुष्य न रहकर राक्षस नज़र आने लगता है। देवता कभी किसी के दुख का कारण नहीं बनते हैं।
(ग) जब अतिथि आकर समय से नहीं लौटते हैं तो मेजबान के परिवार में अशांति बढ़ने लगती है। उस परिवार का चैन खो जाता है। पारिवारिक समरसता कम होती जाती है और अतिथि का ठहरना बुरा लगने लगता है।
(घ) पहले दिन के बाद से ही लेखक को अतिथि का रुकना भारी पड़ रहा था। दूसरा तीसरा दिन तो जैसे तैसे बीता पर अगले दिन वह सोचने लगा कि यदि अतिथि पाँचवें दिन रुका तो उसे गेट आउट कहना पड़ेगा।
(ड़) देवता कुछ ही समय ठहरते हैं और दर्शन देकर चले जाते हैं। अतिथि कुछ ही समय के लिए देवता होते हैं, ज्यादा दिन ठहरने पर मनुष्य के लिए वह भारी पड़ने लगता है तब किसी भी तरह अतिथि को जाना ही पड़ता है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 - 60 शब्दों में) लिखिए।

प्रश्न 1: कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: तीसरे दिन मेहमान का यह कहना कि वह धोबी से कपड़े धुलवाना चाहता है, एक अप्रत्याशित आघात था। यह फरमाइश एक ऐसी चोट के समान थी जिसकी लेखक ने आशा नहीं की थी। इस चोट का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस की तरह मानने लगा। उसके मन में अतिथि के प्रति सम्मान की बजाय बोरियत, बोझिलता और तिरस्कार की भावना आने लगी। वह चाहने लगा कि यह अतिथि इसी समय उसका घर छोड़कर चला जाए।


प्रश्न 2: 'संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना' − इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।
उत्तर: संबंधों का संक्रमण दौर से गुजरने का आशय है-संबंधों में बदलाव आना। इस अवस्था में कोई वस्तु अपना मूल स्वरूप खो बैठती है और कोई दूसरा रूप ही अख्तियार कर लेती है। लेखक के घर आया अतिथि जब तीन दिन से अधिक समय रुक गया तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई। लेखक ने उससे अनेकानेक विषयों पर बातें करके विषय का ही अभाव बना लिया था। इससे चुप्पी की स्थिति बन गई, जो बोरियत लगने लगी। इस प्रकार उत्साहजनक संबंध बदलकर अब बोरियत में बदलने लगे थे।

प्रश्न 3: जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर: जब अतिथि चार दिन के बाद भी घर से नहीं टला तो लेखक़ के व्यवहार में निम्नलिखित परिवर्तन आए:

  • उसने अतिथि के साथ मुसकराकर बात करना छोड़ दिया। मुस्कान फीकी हो गई। बातचीत भी बंद हो गई।
  • शानदार भोजन की बजाय खिचड़ी बनवाना शुरू कर दी।
  • वह अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने को तैयार हो गया। उसके मन में प्रेमपूर्ण भावनाओं की जगह गालियाँ आने लगीं।
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भाषा-अध्यन

प्रश्न 1: निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए:
चाँद, ज़िक्र, आघात, ऊष्मा, अंतरंग।
उत्तर: 

  • चाँद: राकेश, शशि।
  • ज़िक्र: उल्लेख, वर्णन।
  • आघात: हमला, चोट।
  • ऊष्मा: गर्मी, घनिष्ठता, ताप।
  • अंतरंग: घनिष्ठ, आंतरिक

प्रश्न 2: निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए −तुम कब जाओगे अतिथि NCERT Solutions | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)उत्तर:

तुम कब जाओगे अतिथि NCERT Solutions | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)


प्रश्न 3: निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए-
(क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी ज़मीन पर अंकित कर चुके
(ख) तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके
(ग) आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे
(घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए
(ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो।
उत्तर: 
छात्र स्वयं चुकना क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखें और वाक्य से रचना को समझें।

प्रश्न 4: निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए –
(क) लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो।
(ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है।
(ग) तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी।
(घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।
(ङ) भावनाएँ गलियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।
उत्तर: 
उपर्युक्त वाक्यों में ‘तुम’ के सभी प्रयोग लेखक के घर आए अतिथि के लिए हुए हैं।

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योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1: ‘अतिथि देवो भव’ उक्ति की व्याख्या करें तथा आधुनिक युग के संदर्भ में इसका आकलन करें।
उत्तर: 
भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता का दर्जा दिया गया है। उसे देवता के समान मानकर उसका आदर सत्कार किया जाता है। आज के युग में मनुष्य मशीनी जीवन जी रहा है। उसके पास अपने परिवार के लिए समय नहीं रह गया है तो अतिथि के लिए समय कैसे निकाले। इसके अलावा जब अपनी जरूरतें पूरी करना कठिन हो रहा है तो अतिथि का सत्कार जेब काटने लगता है। ऐसे में मनुष्य को अतिथि से दूर ही रहना चाहिए।

प्रश्न 2: विद्यार्थी अपने घर आए अतिथियों के सत्कार का अनुभव कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर: 
घर में मेहमान आने पर सबसे पहले मैं उन्हें अभिवादन करूँगा। इसके बाद मैं उनका परिचय जानकर ड्राइंग रूम में बैठाऊँगा। उनसे बात-चीत करूँगा। उनके पूछे जाने पर पिताजी के घर पर होने न होने के बारे में बताऊँगा। इसके साथ ही उन्हें जल लाकर दूँगा। कुछ देर बैठने के बाद उनके लिए अल्पाहार लेकर आऊँगा। इसके बाद उनके आने के उद्देश्य के बारे में पूछूँगा। यदि वे मेरी मदद चाहते हैं, तो मैं अवश्य करूँगा। अन्यथा, मैं पिताजी के आने का इंतजार करने के लिए उनसे विनम्रता से कहूँगा। यदि वे बैठना चाहेंगे तो ठीक है, नहीं तो उन्हें घर के दरवाजे तक छोड़कर उन्हें अभिवादन करके फिर पधारना कहकर वापस आ जाऊँगा।

प्रश्न 3: अतिथि के अपेक्षा से अधिक रूक जाने पर लेखक की क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ हुईं, उन्हें क्रम से छाँटकर लिखिए।
उत्तर: 
अतिथि के अपेक्षा से अधिक एक जाने पर लेखक परेशान एवं दुखी हो गया। उसने इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप-

  • अतिथि को एस्ट्रोनॉट्स के समान बताकर जल्द चले जाने के बारे में सोचा।
  • वह आतिथ्य सत्कार में होने वाले खर्च को सोचकर परेशान हो गया।
  • उसे अतिथि देवता कम, मानव और कुछ अंशों में दानवे नज़र आने लगा।
  • पाँचवें दिन रुकने पर उसने अतिथि को गेट आउट कहने तक का मन बना लिया।
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FAQs on तुम कब जाओगे अतिथि NCERT Solutions - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. "तुम कब जाओगे अतिथि" कहानी का मुख्य विषय क्या है?
Ans. "तुम कब जाओगे अतिथि" कहानी का मुख्य विषय अतिथि सत्कार और मानवीय संबंधों की महत्वपूर्णता है। यह कहानी एक ऐसे परिवार की है जो अपने अतिथि का स्वागत करने के लिए तत्पर रहते हैं और यह दर्शाती है कि कैसे एक साधारण अतिथि भी परिवार के सदस्यों के जीवन में खुशी और संवाद का स्रोत बन सकता है।
2. "तुम कब जाओगे अतिथि" में प्रमुख पात्र कौन हैं?
Ans. "तुम कब जाओगे अतिथि" में प्रमुख पात्रों में परिवार के सदस्य और अतिथि शामिल हैं। मुख्य पात्र एक परिवार है जिसमें माता-पिता और बच्चे हैं, और एक अतिथि जो परिवार के घर में आता है। ये पात्र विभिन्न भावनाओं और विचारों को व्यक्त करते हैं, जो कहानी को और भी रोचक बनाते हैं।
3. इस कहानी से हमें कौन-से नैतिक पाठ सीखने को मिलते हैं?
Ans. इस कहानी से हमें कई नैतिक पाठ सीखने को मिलते हैं, जैसे कि अतिथि का सम्मान करना, परिवार की एकता और प्रेम का महत्व, और कैसे छोटे-छोटे क्षणों में खुशियाँ छिपी होती हैं। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपने संबंधों को मजबूत बनाने के लिए समय निकालना चाहिए।
4. "तुम कब जाओगे अतिथि" कहानी में भावनाओं का क्या महत्व है?
Ans. "तुम कब जाओगे अतिथि" कहानी में भावनाओं का बहुत महत्व है। पात्रों की भावनाएँ जैसे खुशी, प्यार, और चिंता कहानी की गहराई को बढ़ाते हैं। ये भावनाएँ पाठकों को पात्रों के अनुभवों से जोड़ती हैं और उन्हें सोचने पर मजबूर करती हैं कि कैसे रिश्ते और संवाद जीवन को समृद्ध बनाते हैं।
5. कहानी में अतिथि के आगमन का परिवार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
Ans. कहानी में अतिथि के आगमन का परिवार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अतिथि का स्वागत परिवार के सदस्यों को एकजुट करता है और उनके बीच संवाद को प्रोत्साहित करता है। यह उनके जीवन में नई ऊर्जा और खुशी लाता है, जिससे वे एक-दूसरे के साथ अधिक समय बिताते हैं और अपने संबंधों को मजबूत करते हैं।
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