Table of contents | |
भोला-भाला | |
शहर की तरफ | |
तुम सेर, मैं सवा सेर | |
सिंग और जौ | |
बात को कहने के तरीके | |
नाम दो |
प्रश्न 1 . तिब्बत के मंत्री अपने बेटे के भोलेपन से चिंतित रहते थे
(क) तुम्हारे विचार से वह किन किन बातों के बारे में सोच कर परेशान होते थे?
उत्तर- तिब्बत के मंत्री का बेटा बहुत सीधा-सादा व भोला था। उसे होशियारी छूकर भी नहीं गई थी। इसलिए वह परेशान रहते कि मेरे बाद इसका क्या होगा।
(ख) तुम तिब्बत के मंत्री की जगह होती तो क्या उपाय करती?
उत्तर- यदि मैं तिब्बत के मंत्री की जगह होती तो बेटे को बहुत प्यार व समझदारी से समझाती और समझदारी से काम करने के लिए प्रेरित करती।
उत्तर- शहर के लोग ज्यादा होशियार और सूझबूझ वाले होते हैं। ऐसे लोगों के बीच रहकर भोलाभाला व्यक्ति
भी होशियार और सूझ-बूझ वाला बन जाता है। इसी कारण उसने अपने बेटे को शहर में
भेजा।
(ख) उसने अपने बेटे को भेड़ों के साथ शहर में ही क्यों भेजा?
उत्तर- उसने अपने बेटे को भेड़ो के साथ शहर में इसलिए भेजा क्योंकि वह उसे कुछ चतुर और समझदार बनना चाहता था|
(ग) तुम्हारे घर के बड़े लोग पहले कहाँ रहते थे? घर में पता करो। आस-पड़ोस में भी किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में पता करो जो किसी दूसरी जगह जाकर बस गया हो। उनसे बताचीत करो और जानने की कोशिश करो कि क्या वे अपने निर्णय से खुश हैं। क्यों? एक पुरुष, एक महिला और एक बच्चे से बात करो। यह भी पूछो कि उन्होंने वह जगह क्यों छोड़ दी?
उत्तर- पहले मेरे दादाजी उत्तराखण्ड के गाँव में रहते थे। वे वहीं के निवासी थे। काम की तलाश में उन्हें गाँव से शहर आना पड़ा था। मेरे पिताजी का जन्म भी गाँव में हुआ था। परन्तु पिताजी की अच्छी पढ़ाई के लिए दादाजी उन्हें भी अपने साथ शहर ले लाए। तबसे लेकर अब तक वे सब शहर दिल्ली में रहते हैं। हमारे पड़ोस में एक दक्षिण भारतीय परिवार रहता है। उनका घर तमिलनाडु के एक गाँव में है। उनका परिवार छोटा है। उन्हें भी नौकरी की तलाश में दिल्ली में आना पड़ा। मैंने उनके परिवार के सारे सदस्यों से बात की है। उनका उत्तर यहाँ पर लिख रही हूँ। पहले वे यहाँ आकर थोड़े दुखी थे क्योंकि उनके सभी सगे-संबंधी वहीं रहते हैं। वे दिल्ली जैसे शहर में अकेले हैं। आरंभ में उन्हें यहाँ बहुत परेशानी हुई क्योंकि उन्हें हिन्दी नहीं आती थी। परन्तु धीरे-धीरे उन्होंने हिन्दी सीख ली हैं। अब वे सब खुश हैं। यहाँ आकर उन्हें वे सब सुख-सुविधाएँ प्राप्त हुई हैं, जो उनके गाँव में नहीं थी।
(नोट: (ग) प्रश्न का उत्तर छात्र अपनी समझदारी से करें।)
प्रश्न 2. ‘जौ’ एक तरह का अनाज है जिसे कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। इसकी रोटी बनाई जाती है, सत्तू बनाया जाता है और सूखा भूनकर भी खाया जाता है। अपने घर में और स्कूल में बातचीत करके कुछ और अनाजों के नाम पता करो।
गेहूं, जौ
….. ……
…… ……
उत्तर- गेहूं, जौ
बाजरा, चना
मक्का, सोयाबीन
प्रश्न 3. गेहूँ और जौ अनाज होते हैं और ये तीनों शब्द संज्ञा हैं। ‘गेहूँ’ और ‘जौ’ अलग-अलग किस्म के अनाजों के नाम हैं इसलिए ये दोनों व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं और ‘अनाज’ जातिवाचक संज्ञा है। इसी प्रकार ‘रिमझिम’ व्यक्तिवाचक संज्ञा है। और ‘पाठ्यपुस्तक’ जातिवाचक संज्ञा है।
(क) नीचे दी गई संज्ञाओं का वर्गीकरण इन दो प्रकार की संज्ञाओं में करो –
उत्तर- व्यक्तिवाचक संज्ञा – लेह, शेरवानी, ताँबा, खिचड़ी|
जातिवाचक संज्ञा – धातु, भोजन, शहर, वेशभूषा|
(ख) ऊपर लिखी हर जातिवाचक संज्ञा के लिए तीन-तीन व्यक्तिवाचक संज्ञाए खुद सोचकर लिखो|
उत्तर- धातु – सोना, चाँदी, ताँबा
भोजन – रोटी, दाल, चावल|
शहर –दिल्ली, जयपुर, गाज़ियाबाद
वेशभूषा – कुर्त्ता, पजामा, साड़ी
तुम ऐसा कोई काम ढूँढ़ो जिसे करने के लिए सूझबूझ की ज़रूरत हो। उसे एक कागज़ में लिखो और तुम सभी अपनी-अपनी चिट को एक डिब्बे में डाल दो। डिब्बे को बीच में रखकर उसके चारों ओर गोलाई में बैठ जाओ। अब एक-एक करके आओ, उस डिब्बे से एक चिट निकालकर पढ़ो और उसके लिए कोई उपाय सुझाओ। जिस बच्चे ने सबसे ज़्यादा उपाय सुझाए वह तुम्हारी कक्षा का ‘बीरबल’ होगा।
उत्तर- बच्चे इस प्रश्न का उत्तर स्वयं करें। वे इसे इस प्रकार कर सकते हैं; जैसे – एक बार एक मित्र ने कहा कि तुम पानी का पत्थर लाओ अपने हाथ पर थोड़ी देर रखो। मैंने बर्फ का टुकड़ा अपने हाथ पर रख लिया। इसी तरह अपनी सूझ-बूझ से कोई खेल बना सकते हैं।
प्रश्न 2. मंत्री ने अपने बेटे से कहा “पिछली बार भेड़ों के बाल उतार कर बेचना मुझे जरा भी पसंद नहीं आया |” क्या मंत्री को सचमुच यह बात पसंद नहीं आई थी? अपने उत्तर का कारण भी बताओ |
उत्तर- मंत्री को यह तो बहुत पसंद आया था कि बेटा उसका दिया काम कर आया है। लेकिन जब उसे पता चला होगा कि यह काम उसके बेटे के स्थान पर एक लड़की ने किया है, तो उसे बहुत दुख हुआ होगा। वह अपने बेटे को समझदार और चालाक बनाना चाहता था। लेकिन लड़की के कारण ऐसे हो नहीं पाया।
प्रश्न 1. पहली बार में मंत्री के बेटे ने भेड़ों के बाल बेच दिए और दूसरी बार में भेड़ों के सीन्ग बेच डाले | जिन लोगों ने यह चीजें खरीदी होगी, उन्होंने भेड़ों के बालों सींगों का क्या किया होगा? अपनी कल्पना से बताओ|
उत्तर- भेड़ों के बालों से ऊन और सींगों से सजावटी सामान बनाया जाता है। जिन लोगों ने ये चीज़ें खरीदी होंगी, उन्होंने भी इसका यही इस्तेमाल किया होगा।
(नोट: इस प्रश्न का उत्तर बच्चे अपनी कल्पना से करें।)
(क) चैन से जिंदगी चल रही थी |
(ख) होशियारी उसे छूकर भी नहीं गई थी |
(ग) मैं इसका हल निकाल देती हूं |
(घ) उनकी अपनी चालाकी धरी रह गई |
उत्तर- (क) जिंदगी आराम से कट रही थी |
(ख) वह होशियार नहीं था |
(ग) मैं इसके लिए उपाय बता देती हूं |
(घ) उनकी अपनी चालाकी किसी काम नहीं आई |
प्रश्न 2.‘लोनपो गार का बेटा होशियार नहीं था |’
(क) ‘होशियार’ और ‘चालाक’ में क्या फर्क होता है? किस आधार पर किसी को तुम चालाक या होशियार कह सकती हो? इसी प्रकार ‘भोला’ और ‘बुध्दू’ के बारे में भी सोचो और कक्षा में चर्चा करो |
उत्तर-
होशियार तथा चालाक- होशियार का अर्थ है समझदार। होशियार व्यक्ति हर काम होश से करता है। वह काम को जल्दी में नहीं करता। वह कार्य के हर अच्छे-बुरे परिणाम को सोचकर निर्णय लेता है। चालाक का अर्थ है चतुर। चालाक व्यक्ति चालाकी से अपना काम निकालता है। इसके लिए वह हर युक्ति अपना सकता है। फिर वह अच्छी हो या बुरी। वैसे प्रायः आम बोलचाल में लोग समझदार और चालाक को एक ही रूप में लेते हैं। परन्तु ऐसा नहीं है।
भोला और बुद्धू- जो सीधा-सादा होता है, उसे भोला कहते हैं। उसे चालाकी छू भी नहीं गई होती है। बुद्धू का अर्थ बेवकूफ होता है। उसे किसी प्रकार का ज्ञान नहीं होता है। होशियार और चालाकी शब्दों की तरह ही भोला और बुद्धू शब्दों को लोग एक ही रूप में लेते हैं।
(ख) लड़की को तुम समझदार कहोगी या बुद्धिमान क्यों?
उत्तर- लड़की को हम समझदार तथा बुद्धिमान दोनों कहेंगे। लड़की ने लड़के की सहायता करने से पहले उसकी हर बात समझदारी से सुनी। उसके बाद बड़ी बुद्धिमानी से उस समस्या का बिलकुल उचित हल निकाला। लड़की ने अपनी समझदारी और बुद्धि से हर समस्या पर विजयी पायी।
प्रश्न 1. कहानी में लोनपो गार के बेटे और लड़की को कोई नाम नहीं दिया गया है। नीचे तिब्बत में बच्चों के नामकरण के बारे में बताया गया है। यह परिचय पढ़ो और मनपसंद नाम छाँटकर बेटे और लड़की को कोई नाम दो।
नायिमा, डावा, मिगमार, लाखपा, नुखू, फू दोरजे—ये क्या हैं? कोई खाने की चीज़ या घूमने की जगहों के नाम। जी नहीं, ये हैं तिब्बती बच्चों के कुछ नाम। ये सारे नाम तिब्बत में शुभ माने जाते हैं। ‘नायिमा’ नाम दिया जाता है रविवार को जन्म लेने वाले बच्चों को। मानते हैं कि इससे बच्चे को उस दिन के देवता सूरज जैसी शक्ति मिलेगी और जब-जब उसका नाम पुकारा जाएगा, वह शक्ति बढ़ती जाएगी। सोमवार को जन्म लेने वाले बच्चों का नाम ‘डावा’ रखा जाता है। यह लड़का-लड़की दोनों का नाम हो सकता है। तिब्बती भाषा में डावा के दो मतलब होते हैं, सोमवार और चाँद। यानी डावा चाँद जैसी रोशनी फैलाएगी और अँधेरा दूर करेगी। तिब्बत में बुद्ध के स्त्री-पुरुष रुपों पर भी नामकरण करते हैं खासकर दोलमा नाम बहुत मिलता है। यह बुद्ध के स्त्री रूप तारा का ही तिब्बती नाम है।
उत्तर- लोनपो गार के बेटे का नाम ‘नुखू’ व लड़की के लिए ‘डावा’ नाम उचित लगता है।
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