Humanities/Arts Exam  >  Humanities/Arts Notes  >  Hindi Class 12  >  NCERT Solutions - फणीश्वर नाथ ‘रेणु’

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - फणीश्वर नाथ ‘रेणु’

पाठ के साथ

प्रश्न 1: कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल थापाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।
उत्तरकुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्टन के दाँव-पेंच में अद्भुत सामंजस्य था। लुट्टन को ढोल की प्रत्येक थाप एक नया दाँव-पेंच सिखाती थी।
लुट्टन की ढोल और दाँव-पेंच में निम्नलिखित तालमेल था।

  • चट धा, गिड़ धा- आजा भिड़ जा।
  • चटाक चट धा- उठाकर पटक दे।
  • चट गिड़ धा- मत डरना।
  • धाक धिना तिरकट तिना- दाँव काटो,बाहर हो जाओ।
  • धिना धिना, धिक धिना- चित करो।

ढोल के ध्वन्यात्मक शब्द हमारे मन में उत्साह के संचार के साथ आनंद का संचार भी करते हैं।

प्रश्न 2: कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तरकहानी में लुट्टन के जीवन में अनेक परिवर्तन आए –

  • माता-पिता का बचपन में देहांत होना।
  • सास द्वारा उसका पालन-पोषण किया जाना और सास पर हुए अत्याचारों का बदला लेने के लिए पहलवान बनना।
  • बिना गुरु के कुश्ती सीखना। ढोलक को अपना गुरु समझना।
  • पत्नी की मृत्यु का दुःख सहना और दो छोटे बच्चों का भार संभालना।
  • जीवन के पंद्रह वर्ष राजा की छत्रछाया में बिताना परंतु राजा के निधन के बाद उनके पुत्र द्वारा राजमहल से निकाला जाना।
  • गाँव के बच्चों को पहलवानी सिखाना।
  • अपने बच्चों की मृत्यु के असहनीय दुःख को सहना।
  • महामारी के समय अपनी ढोलक द्वारा लोगों में उत्साह का संचार करना।

प्रश्न 3: लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहींयही ढोल है?
 उत्तर
लुट्टन ने कुश्ती के दाँव-पेंच किसी गुरु से नहीं बल्कि ढोल की आवाज से सीखे थे। ढोल से निकली हुई ध्वनियाँ उसे दाँव-पेच सिखाती हुई और आदेश देती हुई प्रतीत होती थी। जब ढोल पर थाप पड़ती थी तो पहलवान की नसें उत्तेजित हो जाती थी वह लड़ने के लिए मचलने लगता था। इसलिए लुट्टन पहलवान ने ऐसा कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है।

प्रश्न 4: गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?
उत्तरगाँव में महामारी और सूखे के कारण निराशाजनक माहौल तथा मृत्यु का सन्नाटा छाया हुआ था। इसी प्रकार का सन्नाटा पहलवान के मन में अपने बेटों की मृत्यु के कारण छाया था। ऐसे दुःख के समय में पहलवान की ढोलक निराश गाँव वालों के मन में उमंग जागती थी। ढोलक जैसे उन्हें महामारी से लड़ने की प्रेरणा देती थी। इसलिए शायद गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान महामारी को चुनौती, अपने बेटों का दुःख कम करने और गाँव वालों को लड़ने की प्रेरणा देने के लिए ढोल बजाता रहा।

प्रश्न 5: ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था?
उत्तरढोलक की आवाज़ से रात की विभीषिका और सन्नाटा कम होता था महामारी से पीड़ित लोगों की नसों में बिजली सी दौड़ जाती थी, उनकी आँखों के सामने दंगल का दृश्य साकार हो जाता था और वे अपनी पीड़ा भूल खुशी-खुशी मौत को गले लगा लेते थे। इस प्रकार ढोल की आवाज, मृतप्राय गाँववालों की नसों में संजीवनी शक्ति को भर बीमारी से लड़ने की प्रेरणा देती थी।

प्रश्न 6: महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?
उत्तरमहामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में बड़ा अंतर होता था। सूर्योदय के समय कलरव, हाहाकार तथा हृदय विदारक रुदन के बावजूद भी लोगों के चेहरे पर चमक होती थी लोग एक-दूसरे को सांत्वना बँधाते रहते थे परन्तु सूर्यास्त होते ही सारा परिदृश्य बदल जाता था। लोग अपने घरों में दुबक कर बैठ जाते थे। तब वे चूँ भी नहीं कर सकते थे। यहाँ तक कि माताएँ अपने दम तोड़ते पुत्र को ‘बेटा’ भी कह नहीं पाती थी। ऐसे समय में केवल पहलवान की ढोलक की आवाज सुनाई देती थी जैसे वह महामारी को चुनौती दे रही हो।

प्रश्न 7: कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वारा विशेष सम्मान दिया जाता था –
(i) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?
(ii) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?
(iii) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?
उत्तर1. पहले मनोरंजन के नवीनतम साधन अधिक न होने के कारण कुश्ती को मनोरंजन का अच्छा साधन माना जाता था इसलिए राजा-महाराजा कुश्ती के दंगलों का आयोजन करते रहते थे। जैसे-जैसे मनोरंजन के नवीन साधनों का चलन बढ़ता गया वैसे-वैसे कुश्ती की लोकप्रियता घटती गई और फिर पहले की तरह राजा-महाराजा भी नहीं रहे जो इस प्रकार के बड़े दंगलों का आयोजन करते।
2. आज कुश्ती के स्थान आधुनिक खेल, क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस आदि खेलों ने ले लिया।
3. कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए हमें एक बार पुन: कुश्ती के दंगल,पहलवानों को उचित प्रशिक्षण, उनके खान-पान का उचित ख्याल, खिलाड़ियों को उचित धनराशि तथा नौकरी में वरीयता,खेल का मीडिया में अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार आदि कुछ उपाय कर सकते हैं।

प्रश्न 8: आशय स्पष्ट करें –
आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।
उत्तरप्रस्तुत पंक्ति का आशय लोगों के असहनीय दुःख से है। तारे के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि अकाल और महामारी से त्रस्त गाँव वालों की पीड़ा को दूर करने वाला कोई नहीं था। प्रकृति भी गाँव वालों के दुःख से दुखी थी। आकाश से टूट कर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर आना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी।लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि स्थिर तारे चमकते हुए प्रतीत होते हैं और टूटा तारा समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 9: पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।
(i) अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।
उत्तरआशय – यहाँ पर रात का मानवीकरण किया गया है गाँव में हैजा और मलेरिया फैला हुआ था। महामारी की चपेट में आकार लोग मर रहे थे। चारों ओर मौत का सन्नाटा छाया था ऐसे में ओस की बूंदें आँसू बहाती सी प्रतीत हो रही थी।

(ii) अन्य तारे अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।
उत्तरआशय – यहाँ पर तारों को हँसता हुआ दिखाकर उनका मानवीकरण किया गया है। यहाँ पर तारे मज़ाक उड़ाते हुए प्रतीत हो रहें हैं।

पाठ के आस - पास

प्रश्न 1: पाठ में मलेरिया और हैज़े से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आप ऐसी किसी अन्य आपद स्थिति की कल्पना करें और लिखें कि आप ऐसी स्थिति का सामना कैसे रेंगे/करेंगी?
उत्तरपाठ में मलेरिया और हैजे से पीडि़त गाँव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आजकल ‘मलेरिया और डेंगू’ जैसी बीमारी ने आम जनता को अपने शिकंजे में कस लिया है।
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए मैं अपनी ओर से निम्न प्रयास करूँगा।

  • लोगों को इन बीमारियों से अवगत करूँगा।
  • इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को उचित इलाज करवाने की सलाह दूँगा।
  • स्वच्छता अभियान में सहायता करूँगा।

प्रश्न 2: ढोलक की थाप मृत-गाँव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी – कला से जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिए।
उत्तरकला व्‍यक्ति के मन में बसी हुई स्‍वार्थ, परिवार, धर्म, भाषा और जाति आदि की सीमाएँ को मिटाकर मानव मन को विस्‍तृता और व्‍यापकता प्रदान करती है। व्‍यक्ति के मन को उदात्‍त बनाती है।
कला ही है जिसमें मानव मन में संवेदनाएँ उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़ने, अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता है। आत्मसंतोष एवं आनंद की अनुभूति भी इसके ज्ञानार्जन से ही होती है और इसके मंगलकारी प्रभाव से व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है। जब यह कला संगीत के रुप में उभरती है तो कलाकार गायन और वादन से स्‍वयं को ही नहीं श्रोताओं को भी अभिभूत कर देता है। मनुष्‍य आत्‍मविस्‍मृत हो उठता है। दीपक राग से दीपक जल उठता है और मल्‍हार राग से मेघ बरसना यह कला की साधना का ही चरमोत्‍कर्ष है।
भाट और चारण भी जब युद्धस्‍थल में उमंग, जोश से सरोबार कविता-गान करते थे तो वीर योद्धाओं का उत्‍साह दोगुना हो जाता था तो युद्धक्षेत्र कहीं हाथी की चिंघाड़, तो कहीं घोड़ों की हिनहिनाहट तो कहीं शत्रु की चीत्‍कार से भर उठता था यह गायन कला की परिणति ही तो है। इसी प्रकार मानव कला के हर एक रूप काव्य, संगीत, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला, स्थापत्य कला और रंगमंच से अटूट संबंध है।

प्रश्न 3: चर्चा करें – कलाओं का अस्तित्व व्यवस्था का मोहताज नहीं है।
उत्तरकलाओं को फलने-फूलने के लिए भले व्यवस्था की जरुरत महसूस होती है परन्तु कलाओं का अस्तित्व केवल और केवल व्यवस्था का मोहताज नहीं होता है क्योंकि यदि कलाकार व्यवस्था द्वारा पोषित है और अपनी कला के प्रति समर्पित नहीं है तो वह कभी भी जनमानस में अपना स्थान नहीं बना पाएगा और कुछ ही समय बाद गायब हो जाएगा। किसी भी कला को विकसित होने में कलाकार का अपनी कला के प्रति एकनिष्ठ भाव, समर्पण भावना, उसकी अथक मेहनत और जन-सामान्य का प्यार, सरहाना आवश्यक तत्व होते हैं है। जिस किसी ने भी इन उपर्युक्त गुणों को पा लिया वह व्यवस्था के बिना भी सदैव अपने स्थान पर टिका रहता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1: हर विषयक्षेत्र, परिवेश आदि के कुछ विशिष्ट शब्द होते हैं। पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली का बहुतायत प्रयोग हुआ है। उन शब्दों की सूची बनाइए। साथ ही नीचे दिए गए क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले कोई पाँच-पाँच शब्द बताइए –

  • चिकित्सा
  • क्रिकेट
  • न्यायालय
  • या अपनी पसंद का कोई क्षेत्र

उत्तर:

  • कुश्ती – दंगल, दाँव-पेंच, चित-पट।
  • चिकित्सा – डॉक्टर, नर्स, इलाज, परहेज, औषधि, जाँच।
  • क्रिकेट – बल्ला, गेंद, विकेट, अंपायर, चौका।
  • न्यायालय – जज, वकील, अभियुक्त, केस, जमानत।
  • विज्ञान – आविष्कार, वैज्ञानिक, जानकारी, उपकरण, पुरस्कार।

प्रश्न 2: पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न केवल भाषाई सर्जनात्मकता को बढ़ावा देता है बल्कि कथ्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों, वाक्यांशों के स्थान पर किन्हीं अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवतः वह अर्थगत चमत्कार और भाषिक सौंदर्य उद्घाटित न हो सके। कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं –

  • फिर बाज की तरह उस पर टूट पड़ा।
  • राजा साहब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए।
  • पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।
  • इन विशिष्ट भाषा-प्रयोगों का प्रयोग करते हुए एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तरआज रामपुर का दंगल दर्शनीय था। पहलवान शमशेर और रघुवीर दोनों ही रत्तीभर भी एक दूसरे से कम न थे परंतु अचानक शमशेर ने बाज की तरह रघुवीर पर हमला बोल दिया और उसे चारों खाने चित्त कर दिया। दर्शकों ने अखाड़े को तालियों की चीत्कार से भर दिया। श्रोताओं में राजा साहब भी थे जिन्हें शमशेर ने अपनी कला से मंत्र-मुग्ध कर दिया था। राजा साहब ने भी अपनी स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए। इस प्रकार शमशेर राज पहलवान घोषित होकर राजा की कृपा दृष्टि का पात्र बना और सुखमय जीवन व्यतीत करने लगा परंतु कुछ समय बाद ही पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।

प्रश्न 3: जैसे क्रिकेट की कमेंट्री की जाती है वैसे ही इसमें कुश्ती की कमेंट्री की गई है? आपको दोनों में क्या समानता और अंतर दिखाई पड़ता है?
उत्तर

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - फणीश्वर नाथ ‘रेणु’

The document NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ is a part of the Humanities/Arts Course Hindi Class 12.
All you need of Humanities/Arts at this link: Humanities/Arts
88 videos|166 docs|36 tests

Top Courses for Humanities/Arts

FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - फणीश्वर नाथ ‘रेणु’

1. कौन है फणीश्वर नाथ ‘रेणु’?
उत्तर: फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और नाटककार थे। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से समाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर जोर दिया।
2. ‘रेणु’ की कविताएं क्या मुख्यत: किस विषय पर आधारित हैं?
उत्तर: ‘रेणु’ की कविताएं मुख्यत: प्रेम, विरह, समाजिक और राष्ट्रीय विषयों पर आधारित हैं। उन्होंने अपने काव्य में समस्याएं और मानवीय भावनाएं व्यक्त की हैं।
3. ‘रेणु’ के लेखन की विशेषता क्या है?
उत्तर: फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ का लेखन अत्यंत गहरा और भावुक है। उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी दृष्टि रखी है और उन्होंने उन्हें अपने लेखन के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
4. क्या ‘रेणु’ का कोई नाटक है?
उत्तर: हां, ‘रेणु’ का एक नाटक है जिसका नाम ‘अश्रुधारा’ है। यह नाटक समाज में दोहरी मान्यताओं और दुःख की स्थिति पर आधारित है।
5. फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ का जीवन परिचय किस पुस्तक में मिलेगा?
उत्तर: फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ का जीवन परिचय उनकी आत्मकथा ‘मेरे संदेश’ में मिलेगा। इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों का वर्णन किया है।
88 videos|166 docs|36 tests
Download as PDF
Explore Courses for Humanities/Arts exam

Top Courses for Humanities/Arts

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

ppt

,

study material

,

Important questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

past year papers

,

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - फणीश्वर नाथ ‘रेणु’

,

shortcuts and tricks

,

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - फणीश्वर नाथ ‘रेणु’

,

pdf

,

Semester Notes

,

practice quizzes

,

Extra Questions

,

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - फणीश्वर नाथ ‘रेणु’

,

Sample Paper

,

MCQs

,

Free

,

Exam

,

mock tests for examination

,

Summary

,

Objective type Questions

,

Viva Questions

,

video lectures

;