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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - तुलसीदास

पाठ के साथ

प्रश्न 1: कवितावली में उद्दृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है।
उत्तर: 
कवितावली में उद्दृत छंदों से यह ज्ञात होता है कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है। उन्होंने समकालीन समाज का यथार्थपरक चित्रण किया है। उन्होंने देखा कि उनके समय में बेरोजगारी की समस्या से मजदूर, किसान, नौकर, भिखारी आदि सभी परेशान थे। गरीबी के कारण लोग अपनी संतानों तक को बेच रहे थे। सभी ओर भूखमरी और विवशता थी।

प्रश्न 2: पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है – तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर: तुलसी ने कहा है कि पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है। मनुष्य का जन्म, कर्म, कर्म-फल सब ईश्वर के अधीन हैं। निष्ठा और पुरुषार्थ से ही मनुष्य के पेट की आग का शमन हो सकता है। फल प्राप्ति के लिए दोनों में संतुलन होना आवश्यक है। पेट की आग बुझाने के लिए मेहनत के साथ-साथ ईश्वर कृपा का होना जरूरी है।

प्रश्न 3: तुलसी ने यह कहने की ज़रूरत क्यों समझी?
धूत कहौअवधूत कहौरजपूतु कहौजोलहा कहौ कोऊ / काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब, काहूकी जाति बिगार न सोऊ।
इस सवैया में काहू के बेटासों बेटी न ब्याहब कहते तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आता?
उत्तर: तुलसी इस सवैये में यदि अपनी बेटी की शादी की बात करते तो सामाजिक संदर्भ में अंतर आ जाता क्योंकि विवाह के बाद बेटी को अपनी जाति छोड़कर अपनी पति की ही जाति अपनानी पड़ती है। दूसरे यदि तुलसी अपनी बेटी की शादी न करने का निर्णय लेते तो इसे भी समाज में गलत समझा जाता और तीसरे यदि किसी अन्य जाति में अपनी बेटी का विवाह संपन्न करवा देते तो इससे भी समाज में एक प्रकार का जातिगत या सामाजिक संघर्ष बढ़ने की संभावना पैदा हो जाती।

प्रश्न 4: धूत कहौ… वाले छंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी की भीतरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर: हम इस बात से सहमत है कि तुलसी स्वाभिमानी भक्त हृदय व्यक्ति है क्योंकि ‘धूत कहौ…’ वाले छंद में भक्ति की गहनता और सघनता में उपजे भक्तहृदय के आत्मविश्वास का सजीव चित्रण है, जिससे समाज में व्याप्त जात-पाँत और दुराग्रहों के तिरस्कार का साहस पैदा होता है। तुलसी राम में एकनिष्ठा रखकर समाज के रीती-रिवाजों का विरोध करते है तथा अपने स्वाभिमान को महत्त्व देते हैं।

प्रश्न 5: व्याख्या करें –
(i) मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता।
जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहिं ओहू।।

उत्तर:  लक्ष्मण के मूर्छित होने पर राम विलाप करते हुए बोले – हे भाई! तुम मुझे कभी दुःखी नहीं देख सकते थे। तुम्हारा स्वभाव सदा से ही कोमल था। मेरे हित के लिए तुमने माता-पिता को भी छोड़ दिया और वन में जाड़ा, गरमी और हवा सब सहन किया। वह प्रेम अब कहाँ है? मेरे व्याकुलतापूर्वक वचन सुनकर उठते क्यों नहीं? यदि मुझे ज्ञात होता कि वन में मैं अपने भाई से बिछड़ जाऊँगा मैं पिता का वचन (जिसका मानना मेरे लिए परम कर्तव्य था) उसे भी न मानता और न तुम्हें साथ लेकर आता।

(ii) जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही।।
उत्तर: मूर्च्छित लक्ष्मण को गोद में लेकर विलाप कर रहे हैं कि तुम्हारे बिना मेरी दशा ऐसी हो गई है जैसे पंख बिना पक्षी, मणि बिना सर्प और सूँड बिना श्रेष्ठ हाथी की स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाती है। यदि तुम्हारे बिना कहीं जड़ दैव मुझे जीवित रखे तो मेरा जीवन भी ऐसा ही होगा।

(iii) माँगि कै खैबोमसीत को सोइबोलैबोको एकु न दैबको दोऊ।।
 उत्तर: 
तुलसीदास को समाज की उलाहना से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। वे किसी पर आश्रित नहीं है। वे श्री राम का नाम लेकर दिन बिताते हैं और मस्जिद में सो जाते हैं।

(iv) ऊँचे नीचे करमधरम-अधरम करिपेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।।
उत्तर: तुलसीदास ने समकालीन समाज का यथार्थपरक चित्रण किया है। उन्होंने देखा कि उनके समय में बेरोजगारी की समस्या से मजदूर, किसान, नौकर, भिखारी आदि सभी परेशान थे। अपनी भूख मिटाने के लिए सभी अनैतिक कार्य कर रहे हैं। अपने पेट की भूख मिटाने के लिए लोग अपनी संतानों तक को बेच रहे थे। पेट भरने के लिए मनुष्य कोई भी पाप कर सकता है।

प्रश्न 6: भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर: हाँ, हम इससे सहमत हैं क्योंकि लक्ष्मण के वियोग में विलाप करते राम निसंदेह मानवीय भावनाओं को दर्शा रहे हैं। वे कहते है – यदि मुझे ज्ञात होता कि वन में मैं अपने भाई से बिछड़ जाऊँगा मैं पिता का वचन (जिसका मानना मेरे लिए परम कर्तव्य था) उसे भी न मानता और न तुम्हें साथ लेकर आता। ये बातें उनके मानवीय असहनीय दुःख और प्रलाप को दर्शाती है।

प्रश्न 7: शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?
उत्तर: लक्ष्मण के मूर्च्छित होने पर हनुमान संजीवनी बूटी लेने हिमालय पर्वत जाते है उन्हें आने में विलंब हो जाने पर सब बहुत चिंतित व दुखी हो जाते है। जब हनुमान संजीवनी बूटी के साथ हिमालय पर्वत लेकर आ जाते है तब करुण रस के बीच वीर रस का संचार हो जाता है।

प्रश्न 8: जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाइ गँवाई।।
बरु अपजस सहतेउँ जग माहीं। नारि हानि बिसेष छति नाहीं।।
भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप-वचन में स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है?
उत्तर: भाई के शोक में डूबे राम ने के स्त्री के लिए प्यारे भाई को खोकर, मैं कौन सा मुँह लेकर अवध जाऊँगा? मैं जगत में बदनामी भले ही सह लेता। स्त्री की हानि से (इस हानि को देखते) कोई विशेष क्षति नहीं थी। स्त्री का विकल्प हो सकता है पर भाई का नहीं। उस समय का समाज पुरुषप्रधान था। नारी को समाज में समानता का अधिकार नहीं था।

पाठ के आस - पास

प्रश्न 1: कालिदास के रघुवंश महाकाव्य में पत्नी (इंदुमती) के मृत्यु-शोक पर अज तथा निराला की सरोज-स्मृति में पुत्री (सरोज) के मृत्यु-शोक पर पिता के करुण उद्गार निकले हैं। उनसे भ्रातृशोक में डूबे राम के इस विलाप की तुलना करें।
उत्तर: निराला की सरोज-स्मृति में पुत्री (सरोज) के मृत्यु-शोक तथा भ्रातृशोक में डूबे राम के इस विलाप की तुलना करें तो श्रीराम का शोक कम प्रतीत होता है क्योंकि निराला की बेटी की मृत्यु हो चुकी थी जबकि लक्ष्मण अभी केवल मूर्छित ही थे अभी भी उनके जीवित होने की संभावना बची हुई थी। साथ ही संतान का शोक अन्य किसी शोक से बढ़कर नहीं होता।

प्रश्न 2: पेट ही को पचतबेचत बेटा-बेटकी तुलसी के युग का ही नहीं आज के युग का भी सत्य है। भुखमरी में किसानों की आत्महत्या और संतानों (खासकर बेटियों) को भी बेच डालने की हृदय-विदारक घटनाएँ हमारे देश में घटती रही हैं। वर्तमान परिस्थितियों और तुलसी के युग की तुलना करें।
उत्तर: तुलसीदास के समय में बेरोजगारी के कारण अपनी भूख मिटाने के लिए सभी अनैतिक कार्य कर रहे थे। अपने पेट की भूख मिटाने के लिए लोग अपनी संतानों तक को बेच रहे थे। वे कहते है कि पेट भरने के लिए मनुष्य कोई भी पाप कर सकता है। वर्तमान समय में भी बेरोजगारी और गरीबी के कारण समाज में अनैतिकता बढ़ती जा रही है। आज भी कई लोग अपने बच्चों को पैसे के लिए बेच देते है।

प्रश्न 3: तुलसी के युग के बेकारी के क्या कारण हो सकते हैं? आज की बेकारी की समस्याओं के कारणों के साथ उसे मिलाकर परिचर्चा करें।
उत्तर:
बेकारी एक ऐसी समस्या है जो अभी भी समाप्त नहीं हुई है। बेकारी की समस्या तुलसीदास के युग के साथ-साथ आज के युग में भी देखी जा रही है। बेकारी वही है परंतु कारण बदल सकते हैं। जैसे कि तुलसीदास के युग में बेकारी के अलग कारण थे और अब बेकारी के अलग कारण हैं। तुलसीदास के युग में बड़े एवं धनवान लोग, गरीब लोगों की हक छीन लिया करते थे। इससे क्या होता था कि अमीर और अमीर होते थे और गरीब और गरीब होते जाते थे। अमीरों द्वारा पिछड़े वर्गों को शोषण का शिकार होना पड़ता था। अमीर लोग गरीबों की मदद नहीं करते थे और जिसके कारण उन्हें बेरोजगारी हाथ लगती थी। इस युग में देखा जाए तो अभी भी बेरोजगारी पूर्ण तरह से हटी नहीं है। इस युग में बेरोजगारी के अलग कारण हैं। जैसे कि शिक्षित ना होना। आज के युग में शिक्षित होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति शिक्षित है वह किसी भी तरह से अपने पेट की आग बुझाने के लिए कमा सकता है परंतु जो अशिक्षित है उन्हें बेरोजगारी ही हाथ लगती है।

प्रश्न 4: यहाँ कवि तुलसी के दोहाचैपाईसोरठाकवित्तसवैया – ये पाँच छंद प्रयुक्त हैं। इसी प्रकार तुलसी साहित्य में और छंद तथा काव्य-रूप आए हैं। ऐसे छंदों व काव्य-रूपों की सूची बनाएँ।
उत्तर: तुलसी साहित्य में निम्नलिखित व काव्य-रूप का भी प्रयोग हुआ है –

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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - तुलसीदास

1. Who was Tulsidas?
Ans. Tulsidas was a 16th-century poet and philosopher who is best known for his epic work, the Ramcharitmanas. He was born in 1532 in a Brahmin family in the city of Rajapur, Uttar Pradesh. Tulsidas is considered one of the greatest poets in the Hindi language and his works are still widely read and respected today.
2. What is the Ramcharitmanas?
Ans. The Ramcharitmanas is an epic poem written by Tulsidas that tells the story of Lord Rama in the form of a devotional song. It is considered one of the most important works of Hindi literature and is still widely read and revered today. The Ramcharitmanas is divided into seven books, each of which is dedicated to a different aspect of Lord Rama's life.
3. What is the significance of Tulsidas in Indian literature?
Ans. Tulsidas is widely regarded as one of the most important figures in Indian literature. His works, particularly the Ramcharitmanas, are considered to be masterpieces of Hindi literature and have had a profound impact on Indian culture and society. Tulsidas' poetry is known for its simplicity, clarity, and devotion, and his writing style has influenced many other poets and writers in the Hindi language.
4. What are some of the key themes in Tulsidas' works?
Ans. Tulsidas' works are known for their emphasis on devotion, morality, and the importance of leading a virtuous life. He often explores themes such as the nature of love, the role of fate in human life, and the importance of faith and devotion in achieving spiritual enlightenment. Tulsidas' writing is characterized by a deep sense of compassion and empathy for all living beings, and his works often emphasize the need to treat others with kindness and respect.
5. How has Tulsidas' legacy influenced Indian culture?
Ans. Tulsidas' legacy has had a profound impact on Indian culture and society. His works have played a key role in shaping the Hindi language and literature, and his poetry continues to be widely read and revered today. Tulsidas' emphasis on devotion, morality, and the importance of leading a virtuous life has also had a lasting impact on Indian spirituality and religious practices. Additionally, Tulsidas' works have been adapted into numerous plays, films, and other forms of popular culture, further cementing his status as one of India's most important literary figures.
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