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दुःख का अधिकार NCERT Solutions | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

पृष्ठ संख्या. 17 


प्रश्न अभ्यास 

दुःख का अधिकार NCERT Solutions | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर एक-दो  पंक्तियों में दीजिए -

प्रश्न.1. किसी की पोशाक देखकर हमें क्या पता चलता है?
उत्तर. किसी की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसके अधिकार और दर्जे का पता चलता है।

प्रश्न.2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई ख़रबूज़े क्यों नही खरीद रहा था?
उत्तर. ख़रबूज़े बेचने वाली स्त्री से कोई ख़रबूज़े इसलिए नही खरीद रहा था क्योंकि वह मुँह छिपाए सिर को घुटनो पर रख फफक-फफककर रो रही थी।

प्रश्न.3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
उत्तर. उस स्त्री को देखकर लेखक के मन में एक व्यथा सी उठी और वो उसके रोने का कारण जानने का उपाय सोचने लगा।

प्रश्न.4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु खेत में पके खरबूज चुनते समय साँप के काटने से हुई

प्रश्न.5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नही देता? 
उत्तर. बुढ़िया के परिवार में एकमात्र कमाने वाला बेटा मर गया था। ऐसे में पैसे वापस न मिलने के डर के कारण कोई उसे उधार नही देता।


लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -

प्रश्न.1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?
उत्तर. 

  • मनुष्य के जीवन में पोशाक मात्र एक शरीर ढकने का साधन नही है बल्कि समाज में उसका दर्जा निश्चित करती है। 
  • पोशाक से मनुष्य की हैसियत, पद तथा समाज में उसके स्थान का पता चलता है। पोशाक मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है।


प्रश्न.2. पोशाक हमारे हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
उत्तर. पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन तब बन जाती है जब हम अपने से कम दर्ज़े या कम पैसे वाले व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न.3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नही जान पाया?
उत्तर. लेखक की पोशाक रोने का कारण जान पाने की बीच अड़चन थी। वह फुटपाथ पर बैठकर उससे पूछ नही सकता था। इससे उसके प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती। इस वजह से वह उस स्त्री के रोने का कारण नही जान पाया।

प्रश्न.4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर.  भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में खरबूज़ों को बोकर परिवार का निर्वाह करता था। खरबूज़ों की डालियाँ बाज़ार में पहुँचाकर लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता था।


प्रश्न 5. लड़के के मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी?
उत्तर. बुढ़िया बहुत गरीब थी। लड़के की मृत्यु पर घर में जो कुछ था सब कुछ खर्च हो गया। लड़के के छोटे-छोटे बच्चे भूख से परेशान थे, बहू को तेज़ बुखार था। ईलाज के लिए भी पैसा नहीं था। इन्हीं सब कारणों से वह दूसरे ही दिन खरबूज़े बेचने चल दी।

प्रश्न.6. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर. लेखक को बुढ़िया के दुःख को देखकर अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि उसके बेटे का भी देहांत हुआ था। दोनों के शोक मानाने का ढंग अलग था। धनी परिवार के होने की वजह से वह उसके पास शोक मनाने को असीमित समय था और बुढ़िया के पास शोक का अधिकार नही था।


(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -

प्रश्न.1. बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर. बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे थे। कोई घृणा से थूककर बेहया कह रहा था, कोई उसकी नीयत को दोष दे रहा था, कोई कमीनी, कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता, कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई मतलब नहीं है, परचून वाला लाला कह रहा था, इनके लिए अगर मरने-जीने का कोई मतलब नही है तो दुसरो का धर्म ईमान क्यों ख़राब कर रही है।

प्रश्न.2. पास-पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
उत्तर. पास-पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को पता चला कि बुढ़िया का जवान बेटा सांप के काटने से मर गया है। वह परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। उसके घर का सारा सामान बेटे को बचाने में खर्च हो गया। घर में दो पोते भूख से बिलख रहे थे। इसलिए वो खरबूजे बेचने बाजार आई है।


प्रश्न.3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने क्या- क्या उपाय किए ?
उत्तर. लड़के के मृत्यु होने पर बुढ़िया पागल सी हो गयी। वह जो कर सकती थी उसने किया। वह ओझा को बुला लायी | झाड़ना-फूंकना हुआ नागदेवता की पूजा भी हुई। घर में जितना अनाज था दान दक्षिणा में समाप्त हो गया। परन्तु उसका बेटा बच न सका।

प्रश्न.4. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाजा कैसे लगाया?
उत्तर. लेखक उस पुत्र-वियोगिनी के दु:ख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दु:खी माता की बात सोचने लगा जिसके पास दु:ख प्रकट करने का अधिकार तथा अवसर दोनों था परन्तु यह बुढ़िया तो इतनी असहाय थी कि वह ठीक से अपने पुत्र की मृत्यु का शोक भी नहीं मना सकती थी।


प्रश्न.5. इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. 

  • इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। 
  • गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं, समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी, भूख से बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। 
  • उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:ख न मना सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है।


पृष्ठ संख्या. 18

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -

प्रश्न.1.जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
उत्तर. यहाँ लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है। जिस प्रकार पतंग के कट जाने पर वायु की लहरें उसे कुछ समय के लिए उड़ाती रहती हैं, एकाएक धरती से टकराने नही देतीं ठीक उसी प्रकार किन्हीं ख़ास परिस्थतियों में पोशाक हमें नीचे झुकने से रोकती हैं।

प्रश्न.2. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई,धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
उत्तर. इस वाक्य में गरीबी पर चोट की गयी है। गरीबों को कमाने के लिए रोज घर से निकलना पड़ता है । परन्तु लोग कहते हैं उनके लिए रिश्ते-नाते कोई मायने नही रखते हैं। वे सिर्फ पैसों के गुलाम होते हैं। रोटी कमाना उनके लिए सबसे बड़ी बात होती है।

प्रश्न.3. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर. 

  • शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। 
  • जबकि गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इसलिए उसे दु:ख का अधिकार भी नहीं होता है।


भाषा अध्यन

2. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −

दुःख का अधिकार NCERT Solutions | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

उत्तर.
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प्रश्न.3. निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए -

उत्तर.
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प्रश्न.4. पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए −बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।
उत्तर.

  • बंद दरवाज़े खोल देना − प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं।
  • निर्वाह करना − परिवार का भरण-पोषण करना
  • भूख से बिलबिलाना − बहुत तेज भूख लगना (व्याकुल होना)
  • कोई चारा न होना − कोई और उपाय न होना
  • शोक से द्रवित हो जाना − दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।


प्रश्न.5. निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
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उत्तर.
(क)
(i) छन्नी-ककना − मकान बनाने में उसका छन्नी-ककना तक बिक गया।
(ii) अढ़ाई-मास − वह विदेश में अढ़ाई-मास ही रहा।
(iii) पास-पड़ोस − पास-पड़ोस अच्छा हो तो समय अच्छा कटता है।
(iv) दुअन्नी-चवन्नी − आजकल दुअन्नी-चवन्नी को कौन पूछता है।
(v) मुँह-अँधेरे − वह मुँह-अँधेरे उठ कर चला गया।
(vi) झाड़-फूँकना − गाँवों में आजकल भी लोग झाँड़ने-फूँकने पर विश्वास करते हैं।
(ख)
(i) फफक-फफककर − बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे।
(ii) तड़प-तड़पकर − आंतकियों के लोगों पर गोली चलाने से वे तड़प-तड़पकर मर रहे थे।
(iii) बिलख-बिलखकर − बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।
(iv) लिपट-लिपटकर − बहुत दिनों बाद मिलने पर वह लिपट-लिपटकर मिली।


प्रश्न.6. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए :
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उत्तर.
(क)
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(ख)
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FAQs on दुःख का अधिकार NCERT Solutions - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. पाठ 1 - दुःख का अधिकार के बारे में सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्न क्या हैं?
उत्तर: दुःख का अधिकार के पाठ में दुःख का अधिकार क्या है और इसका महत्व क्या है, इस पर कुछ प्रमुख प्रश्न हैं जो लोग ज्यादातर पूछते हैं। कुछ उदाहरण इस प्रकार हो सकते हैं: - दुःख का अधिकार क्या होता है? - दुःख का अधिकार क्यों महत्वपूर्ण है? - दुःख का अधिकार और खुशी का अधिकार में क्या अंतर है? - दुःख का अधिकार को बदलने के लिए हमें क्या करना चाहिए? - दुःख का अधिकार के उदाहरण दीजिए।
2. पाठ 1 - दुःख का अधिकार के बारे में अधिक जानने के लिए प्रश्न क्या हो सकते हैं?
उत्तर: पाठ 1 - दुःख का अधिकार से संबंधित अधिक विस्तृत जानकारी के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछे जा सकते हैं: - दुःख का अधिकार क्या है और इसकी परिभाषा क्या है? - दुःख का अधिकार के पाठ में दिए गए उदाहरणों में से कौन-सा उदाहरण आपको सबसे अधिक प्रभावित किया गया और क्यों? - दुःख का अधिकार के पाठ में दिए गए किसी चरित्र या व्यक्ति के बारे में अधिक जानने के लिए आप क्या करेंगे? - दुःख का अधिकार के साथ-साथ खुशी का अधिकार की भूमिका क्या होती है? - आपको लगता है कि दुःख का अधिकार के बारे में कौन-सी सबसे महत्वपूर्ण बातें होनी चाहिए?
3. दुःख का अधिकार के पाठ में उल्लेखित व्यक्ति कौन हैं और उनकी भूमिका क्या है?
उत्तर: पाठ 1 में दुःख का अधिकार के बारे में विचार करते समय परे हुए शान्तिनाथ जी के विचार और कथा का उल्लेख किया गया है। शान्तिनाथ जी जैन धर्म के प्रमुख तीर्थंकर हैं और उनकी भूमिका इस पाठ में छात्रों को दुःख के महत्व को समझाना है। उन्होंने दुःख का अधिकार और खुशी का अधिकार के बीच अंतर को समझाया है।
4. दुःख का अधिकार के पाठ में दुःख का अधिकार क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: दुःख का अधिकार महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें समझाता है कि दुःख जीवन का अविभाज्य हिस्सा है और हमें उससे सामर्थ्य से निपटना चाहिए। यह हमें स्वीकार करने पर मजबूर करता है कि हमें जीवन में सुख के साथ-साथ दुःख की भी उपस्थिति को भी महत्व देना चाहिए। इसके बिना हम खुशी को सही ढंग से महसूस नहीं कर सकते और जीवन की सभी पहलुओं का असली महत्व समझ नहीं सकते।
5. दुःख का अधिकार के पाठ में दुःख का अधिकार को बदलने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर: दुःख का अधिकार को बदलने के लिए हमें अपने जीवन में ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमें दुःख क
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