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साखियाँ एवं सबद NCERT Solutions | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij) PDF Download

साखियाँ एवं सबद NCERT Solutions | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

प्रश्न-अभ्यास

साखियाँ 

प्रश्न 1: ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: ‘मानसरोवर’ से कवि का आशय हृदय रुपी तालाब से है। जो हमारे मन में स्थित है।

प्रश्न 2: कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है ?
उत्तर: कवि के अनुसार, सच्चा प्रेमी वह है जो अपने प्रेम में निरंतर समर्पित रहता है और सभी प्रकार के कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने प्रेम को निभाता है।

प्रश्न 3: तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है ?
उत्तर: तीसरे दोहे में कवि ने आत्मज्ञान को महत्व दिया है। कवि का मानना है कि सच्चा ज्ञान वही है जो आत्मा के भीतर से आता है और जिससे मनुष्य को अपनी वास्तविक पहचान और जीवन का सही उद्देश्य समझ में आता है। यह ज्ञान व्यक्ति को अज्ञान और माया के भ्रम से मुक्त कर, सच्चाई की ओर अग्रसर करता है। आत्मज्ञान से ही व्यक्ति को सही और गलत का भेद समझ में आता है, और वह सत्य के मार्ग पर चल पाता है।

प्रश्न 4: इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
उत्तर: इस संसार में सच्चा संत वही कहलाता है जो सत्य के मार्ग पर चलता है, सच्चाई को अपनाता है, और अपने कर्मों में ईमानदारी और निष्पक्षता रखता है। जो व्यक्ति सत्य के मार्ग पर अडिग रहता है और किसी भी प्रकार के छल-कपट से दूर रहता है, वही सच्चा संत कहलाता है।

प्रश्न 5: अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है ?
उत्तर: अंतिम दोहों के माध्यम से कबीर ने उन संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है जो मनुष्य को सत्य और ईश्वर से दूर ले जाती हैं। उन्होंने जाति, धर्म, और कुल के आधार पर होने वाले भेदभाव, अहंकार, और अन्य नकारात्मक प्रवृत्तियों की आलोचना की है। कबीर के अनुसार, इन संकीर्णताओं को छोड़कर ही व्यक्ति सच्चे ज्ञान और ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है।

प्रश्न 6: किसी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? कबीर का क्या दृष्टिकोण है?
उत्तर: कबीर का मानना है कि किसी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से नहीं, बल्कि उसके कर्मों से होती है। कुल के आधार पर व्यक्ति का मूल्यांकन करना सही नहीं है, कर्म ही व्यक्ति की असली पहचान है।

प्रश्न 7: काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भेंकन दे झख मारि।

उत्तर: इस साखी में कबीर ने यह बताया है कि ज्ञान प्राप्त करने के बाद सब कुछ सहज और स्पष्ट रूप से समझ में आता है। संसार सगुण रूप है, और इसे सच्चाई के माध्यम से ही समझा जा सकता है।

सबद

प्रश्न 8: मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढता फिरता है ?
उत्तर: मनुष्य ईश्वर को मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और विभिन्न धार्मिक स्थानों पर ढूंढ़ता फिरता है। लेकिन कबीर के अनुसार, ईश्वर बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर की सच्चाई में विद्यमान है।

प्रश्न 9: कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है ?
उत्तर: कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए प्रचलित आडंबरों, बाहरी पूजा-पाठ, और मूर्तिपूजा जैसी प्रथाओं का खंडन किया है। उनका मानना था कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए आडंबर और दिखावा नहीं, बल्कि सच्चे मन से भक्ति और सत्य की साधना की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 10: कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में' क्यों कहा है?
उत्तर: कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस में' इसलिए कहा है क्योंकि उनका मानना था कि ईश्वर हर व्यक्ति के भीतर निवास करता है। हर सांस के साथ ईश्वर का स्मरण करना और उसे महसूस करना ही सच्ची भक्ति है। ईश्वर कहीं बाहर नहीं बल्कि हमारे भीतर ही है, यही कारण है कि उन्होंने ईश्वर को सांसों के साथ जोड़ा है।

प्रश्न 11: कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
उत्तर: कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना आँधी से इसलिए की है क्योंकि ज्ञान का प्रभाव जीवन में बहुत गहरा और व्यापक होता है। जैसे आँधी आते ही सब कुछ बदल देती है, वैसे ही ज्ञान का आगमन भी व्यक्ति के जीवन में गहरा परिवर्तन लाता है। यह व्यक्ति के अज्ञान को मिटाकर उसे सच्चाई की ओर अग्रसर करता है।

प्रश्न 12: ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर: ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। यह आँधी भक्त के जीवन से अज्ञानता, मोह, और माया को हटा देती है और उसे सत्य और ईश्वर की ओर ले जाती है। भक्त का जीवन इस ज्ञान की आँधी के बाद पूरी तरह से बदल जाता है और वह ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाता है।

प्रश्न 13: भाव स्पष्ट कीजिए -
(क) हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
(ख) आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
उत्तर:
(क) हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
भाव: इस पंक्ति में कबीर ने यह कहा है कि जब व्यक्ति का मोह और माया के प्रति लगाव समाप्त हो जाता है, तो उसकी चिंताएँ भी खत्म हो जाती हैं। मोह और माया से बंधी थूनी (स्तंभ) के टूटने से ही व्यक्ति सच्ची शांति पा सकता है।
(ख) आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
भाव: इस पंक्ति में कबीर ने बताया है कि ज्ञान की आँधी के बाद जो जल बुझ जाता है, अर्थात अज्ञान का अंधकार मिट जाता है, उसके बाद भक्त के जीवन में प्रेम और ईश्वर की भक्ति का प्रवाह होता है। भक्त का हृदय ईश्वर की भक्ति में भीग जाता है और वह सच्चे प्रेम की अनुभूति करता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 14: संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: कबीर के धार्मिक और सामाजिक विचार बहुत ही सरल और व्यावहारिक थे। वे धार्मिक आडंबरों के खिलाफ थे और सच्चे धर्म को आत्मज्ञान और सत्य की प्राप्ति मानते थे। उनका मानना था कि सच्चे धर्म का पालन करते हुए मनुष्य को समाज में समानता और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए। उनके अनुसार, कर्म ही मनुष्य की असली पहचान है, न कि उसका कुल या जाति।

भाषा अध्यन

प्रश्न 15: निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए:
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख
उत्तर:
1. पखापखी: पक्ष-विपक्ष
2. अनत: अन्यत्र
3. जोग: योग
4. जुगति: युक्ति
5. बैराग: वैराग्य
6. निरपख: निष्पक्ष

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FAQs on साखियाँ एवं सबद NCERT Solutions - Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

1. साखियाँ और सबद में क्या अंतर है?
Ans. साखियाँ एक कथा का रूप होता है जो किसी संदेश या सीख को आम जनता तक पहुंचाने के लिए होता है, जबकि सबद एक संगीतीय रूप है जिसमें एक पंक्ति को अनुकरण करके गाया जाता है।
2. साखियाँ एवं सबद का महत्व क्या है?
Ans. साखियाँ और सबद दोनों ही हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से हैं जो हमारे संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
3. साखियाँ और सबद किस तरह से हमारे समाज को प्रभावित कर सकते हैं?
Ans. साखियाँ और सबद के माध्यम से हमारे समाज में नैतिकता, सीख, और संस्कृति की प्रेरणा होती है और इससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।
4. साखियाँ और सबद की उपयोगिता क्या है?
Ans. साखियाँ और सबद की उपयोगिता यह है कि वे हमें मनोरंजन के साथ-साथ नई सीख बताते हैं और हमारे सोचने का तरीका बदल सकते हैं।
5. साखियाँ और सबद के उदाहरण क्या हैं?
Ans. किसी भी धार्मिक ग्रंथ में दी गई कहानियाँ और गुरुवाणी साखियाँ के उदाहरण हो सकते हैं, जबकि गानों में दी गई पंक्तियाँ सबद के उदाहरण हो सकते हैं।
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