प्रश्न 1: बच्चन के जीवन की किन घटनाओं का उल्लेख लेखक ने इस पाठ में किया है ?
उत्तर: बच्चन और लेखक देहरादून में साथ-साथ थे। बड़ा भयंकर तूफान आया था। बड़े-बड़े पेड़ सड़कों पर बिछ गए थे। टीन की छतें उड़ गई थीं। बच्चन उस तूफान में एक गिरते हुए पेड़ के नीचे आने के कारण बाल-बाल बचे थे। लेखक ने उस दिन स्पष्ट देखा था कि उस तूफान से बढ़कर एक और तूफान था जो उनके मन और मस्तिष्क से गुज़र रहा था। वे पत्नी के वियोग को झेल रहे थे। उनकी पत्नी उनकी अर्धांगिनी ही नहीं उनके संघर्षों और आदर्शों की संगिनी भी थी। इस पीड़ा को झेलते हुए भी वे साहित्य साधना में लीन थे।
लेखक ने उनकी समय का पाबंद होने की घटना का उल्लेख भी किया है। इलाहाबाद में भारी बरसात हो रही थी। बच्चन को स्टेशन पहुँचना था। मेज़बान के लाख रोकने पर भी बच्चन नहीं रुके। भारी बरसात में उन्हें कोई सवारी नहीं मिली। बच्चन ने बिस्तर काँधे पर रखा और स्टेशन की ओर चल पड़े। उन्हें जहाँ पहुँचना था, वहाँ सही समय पर पहुँचे ।
प्रश्न 2: लेखक को हिंदी साहित्य में प्रतिष्ठित करने में बच्चन कैसे सहायक सिद्ध हुए?
उत्तर: लेखक के उद्विग्न हृदय की पीड़ा कविता के माध्यम से उर्दू और अंग्रेज़ी में ही अभिव्यक्त होती थी। बच्चन जैसे प्रतिष्ठित कवि से परिचय होने के पश्चात् लेखक हिंदी लेखन की ओर प्रवृत्त हुआ। बच्चन ने लेखक को इलाहाबाद लाकर उसके एम० ए० के दोनों वर्षों का जिम्मा उठा लिया था। विभिन्न पत्रिकाओं में लेखक की छपी रचनाओं की प्रशंसा कर बच्चन ने लेखक को हिंदी लेखन को प्रेरित किया। उसके 'अभ्युदय' में प्रकाशित सॉनेट को बच्चन ने विशेष तौर पर पसंद कर उसे खालिस सॉनेट कहा। हिंदी लेखन के क्षेत्र में बच्चन ही उसकी प्रेरणा बने। बच्चन की कविताओं के उच्च घोषों का लेखक पर प्रभाव पड़ा और यही भाव उसके जीवन का लक्ष्य बन गया। बच्चन अपने नवीन प्रयोगों के विषय में लेखक को बताते थे। लेखक भी उन प्रकारों का प्रयोग अपनी कविताओं में करने का प्रयास करता था । लेखक ने स्वयं स्वीकार किया है- “निश्चय ही हिंदी के साहित्यिक प्रांगण में बच्चन मुझे घसीट लाए थे।" बच्चन की सहायता और निरंतर अभ्यास से लेखक हिंदी लेखन में निपुण होता गया। उसने कविता के साथ-साथ कहानी एवं निबंध के क्षेत्र में भी कार्य किया।
प्रश्न 3: करोल बाग से कनाट प्लेस तक के रास्ते को लेखक किस प्रकार व्यतीत करता था ?
उत्तर: करोल बाग से कनाट प्लेस के रास्ते में लेखक कभी तो अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति चित्रों के रूप में करता तो कभी कविताओं के माध्यम से। उस समय लेखक को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि ये कविताएँ कहीं छपेंगी। केवल अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति और मन की मौज के लिए वह चित्र बनाता और कविताएँ लिखता था । लेखक हर चेहरे, हर चीज़ और हर दृश्य को गौर से देखता और उसमें अपनी ड्राइंग का तत्व खोज लेता । अपनी कल्पनाशीलता के माध्यम से लेखक किसी भी दृश्य या किसी भी चेहरे को अपनी ड्राइंग और कविता का आधार बना लेता ।
प्रश्न 4: कल्पनाशील होते हुए भी लेखक उद्विग्न क्यों रहता था ?
उत्तर: लेखक में अद्भुत कल्पनाशीलता थी। उसमें अपने आप को आस-पास के दृश्यों और चित्रों में खो देने की अद्भुत शक्ति थी । इन्हीं से वह अपनी कविताओं और चित्रों के लिए तत्व प्राप्त करता था। यह सब होते हुए भी लेखक उद्विग्न था क्योंकि उसकी पत्नी का देहांत टी० बी० के कारण हो चुका था। दिल्ली में वह एकदम अकेला । एकाकीपन की पीड़ा उसके हृदय में खिन्नता भरती जा रही थी। अपने इसी एकाकीपन को वह अपने चित्रों और कविताओं द्वारा भरने की चेष्टा करता। किसी से अधिक न मिलने-जुलने के कारण आंतरिक पीड़ा को किसी से बाँट भी न पाता था, इसी कारण वह उद्विग्न रहता था ।
प्रश्न 5: लेखक के दिल्ली आने का क्या कारण था ?
उत्तर: लेखक को किसी ने कुछ व्यंग्य-भरे वाक्य कह दिए थे। उन वाक्यों से लेखक के मन को बहुत चोट पहुँची, इसलिए उसने जीवन में कुछ करने का निश्चय किया। वह जिस हालत में बैठा था, उसी हालत में दिल्ली के लिए चल दिया । उसकी जेब में पाँच-सात रुपए थे। उसका दिल्ली आने का कारण आहत मन और कुछ कर दिखाने की चाह थी ।
प्रश्न 6: उकील आर्ट स्कूल लेखक का दाखिला कैसे हुआ ?
उत्तर: लेखक अपने जीवन में कुछ करना चाहता था । उसने पेंटिंग करने का निर्णय लिया। पेंटिंग की शिक्षा के लिए उसने उकील आर्ट में दाखिला लेने के लिए सोचा। वह उकील आर्ट स्कूल गया, वहाँ उसका इम्तिहान लिया गया। उसका शौक और हुनर देखकर, उसको बिना फीस के आर्ट स्कूल में दाखिला मिल गया ।
प्रश्न 7: उस समय लेखक की आर्थिक स्थिति कैसी थी ?
उत्तर: लेखक जब घर से चला था तब उसकी जेब में पाँच-सात रुपए थे। उकील आर्ट स्कूल में बिना फीस के दाखिला हो गया था । लेखक अपना गुजारा चलाने के लिए साइन बोर्ड पेंट करता था या फिर कभी-कभी लेखक के भाई तेज बहादुर से मदद लेता था । इस तरह स्पष्ट होता है कि लेखक की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी ।
प्रश्न 8: उन दिनों लेखक का मन उद्विग्न क्यों रहता था ?
उत्तर: उन दिनों लेखक का मन उदास रहता था । यद्यपि वह अपने चित्रों और कविताओं के माध्यम से अपने विचारों को प्रकट करता था परंतु मन का एकाकीपन समाप्त नहीं होता था । इसका कारण यह था कि लेखक ने अपनी पत्नी को खो दिया था अर्थात् उनकी पत्नी की टी०बी० से मृत्यु हो गई थी, इसलिए उसे अकेलापन अधिक कचोटता था । वह अपने कमरे में आकर अपने अकेलेपन से लड़ता और उद्विग्न होता था ।
प्रश्न 9: लेखक में क्या बुरी आदत थी ?
उत्तर: लेखक में एक बहुत बुरी आदत थी कि वह पत्रों का जवाब नहीं देता था । यह नहीं था कि उसे पत्रों का जवाब सूझता नहीं था, परंतु उसे पत्र लिखने की आदत नहीं थी । वह सैकड़ों पत्रों के जवाब मन-ही-मन लिखकर हवा में साँस के साथ बिखेर देता था ।
प्रश्न 10: लेखक अपने जीवन के साथ कैसे ताल-मेल बैठाने का प्रयास कर रहा था ?
उत्तर: लेखक अपने एकाकी जीवन के साथ तालमेल बैठाने का प्रयास कर रहा था । वह कुछ महीने दिल्ली में रहने के बाद देहरादून आ गया था। देहरादून में अपनी ससुराल की केमिस्ट्स एवं ड्रगिस्ट्स की दुकान पर कंपाउंडरी सीखने लगा। धीरे-धीरे उसे टेढ़े-मेढ़े अक्षरों में लिखे नुस्खा को पढ़ने में महारत हासिल हो गई थी।
प्रश्न 11: लेखक स्वयं को एकाकी क्यों अनुभव करता था ?
उत्तर: लेखक को कम बोलने की आदत थी। वह अपनी आंतरिक भावनाओं को दूसरों के सामने व्यक्त करने से कतराते था। दूसरे लोगों को उसके एकाकीपन और आंतरिक भावनाओं से कोई मतलब नहीं था। वे बड़ों के सामने जुबान नहीं खोलते थे, इसीलिए वे अपनी आंतरिक पीड़ा से जूझते हुए अकेले रहते थे। अपनी इसी आदत के कारण वे एकाकी अनुभव करते थे ।
प्रश्न 12: लेखक के अनुसार बच्चन जी के मन और मस्तिष्क में कैसा तूफान चल रहा था ?
उत्तर: सन् 1930 की बात है। उन दिनों बच्चन जी के मन और मस्तिष्क में अलग ही तरह का तूफ़ान चल रहा था। इसका कारण यह था कि उनके जीवन में सहयोग देने वाली अर्द्धांगिनी उन्हें मँझधार में छोड़कर चली गई थी। उनकी पत्नी उनके भावुक आदर्शों, उत्साहों और संघर्ष की युवासंगिनी थी। वह उनके सपनों को साकार करने वाली साथिन थीं, जो उनको छोड़कर जा चुकी थीं। उस समय बच्चन जी अंदर से टूट गए थे परंतु वे ऊपर से कठोर तथा उच्च मनोबल के बने हुए थे।
प्रश्न 13: लेखक लेखन कला में किससे प्रभावित थे ? क्यों ?
उत्तर: लेखक लेखन कला में बच्चन जी से बहुत प्रभावित थे । वे लेखन कला में नए-नए प्रयोग करते थे। लेखक उनके नवीन प्रयोगों से प्रभावित होकर स्वयं की कविता में उनका प्रयोग करने लगे थे। परंतु उन्हें उस प्रकार की लेखन कला में कठिनाई आती थी। उन्होंने निरंतर प्रयास से उसी प्रकार के प्रयोग कर कई रचनाएँ लिखीं। उन्हें साहित्य क्षेत्र में स्थापित करने और लाने का श्रेय बच्चन जी को जाता है, इसीलिए लेखक बच्चन जी से बहुत प्रभावित था ।
प्रश्न 14: बच्चन जी ने लेखक से ऐसा क्यों कहा कि तुम यहाँ रहोगे तो मर जाओगे ?
उत्तर: एक बार बच्चन जी देहरादून आए थे। उस समय लेखक अपने ससुराल की केमिस्ट की दुकान पर नौकरी कर रहा था। वे उसकी कला को परख कर वहाँ से चलने के लिए बोल पड़े। उन्हें लगा, यदि ये यहाँ रहेगा तो टी०बी० की दवाई बाँटते- बाँटते वह एक दिन इसी तरह मर जाएगा।
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