प्रश्न 1: कविता में कठपुतली किस पर गुस्सा कर रही है?
उत्तर: कविता में कठपुतली धागे पर गुस्सा कर रही हैं। वह ऐसा इसलिए कर रही है क्यूँकि उसे लगता हैं उसकी जीवन रुपी डोर धागे पर निर्भर हैं।
प्रश्न 2: कठपुतली धागे से क्यों गुस्सा हैं?
उत्तर: कठपुतली धागे से इसलिए गुस्सा है, क्योंकि धागे ने उसको पकड़ रखा हैं। धागे की पकड की वजह से वह खुद को आजाद महसूस नहीं कर पा रही थी|
प्रश्न 3: कठपुतली धागे को क्या कहती है?
उत्तर: कठपुतली से कहती है, कि धागों तुम मेरे आगे – पीछे क्यों रहते हो। कठपुतली धागों से आज़ादी चाहती है |तुम मुझसे अलग हो जाओ ताकि में स्वयं को स्वतंत्र समाज सकू |
प्रश्न 4: कठपुतली के मन में कैसी इच्छा जाग्रत हुई |
उत्तर: कठपुतली के मन में यह इच्छा जाग्रत हुई ,कि वह धागों से आज़ादी प्राप्त कर के अपनी स्वयं की पहचान बनाएगी |कठपुतली के मन में आज़ादी से जीने की इच्छा जाग्रत हुई|
प्रश्न 5: कठपुतली क्या चाहती है?
उत्तर: कठपुतली यह चाहती थी, कि वह अपने पैरों पर चले ,बिना धागे का सहारा लिए |अर्थात उस को धागे कि कभी जरूरत ना पड़े |बिना धागे के आज़ादी से आगे बढ़े |
प्रश्न 6: कठपुतली गुस्से से उबली,
बोली-ये धागे क्यों हैं, मेरे पीछे-आगे?
उपरोक्त पंक्तियों का आशय व्यक्त करो।
उत्तर: कवि कहते है, कि कठपुतली गुस्सा हो जाती है, क्योंकि वह एक धागे से बंधी है ,और वह आजाद होने की इच्छा प्रकट करती है।वह बोलती है,की क्यों ये धागे हमेशा मेरे साथ रहते है | मैं इनसे खुद को मुक्त क्यों नहीं कर सकती|मैं अपने पैरो पर खड़ी होना चाहती हूँ|
प्रश्न 7: पहली कठपुतली सोचने लगी,
ये कैसी इच्छा,
मेरे मन में जगी?
उपरोक्त पंक्तियों का आशय व्यक्त करो।
उत्तर: जब पहली कठपुतली आजाद होने के लिए बगावत करती है, तो उसके साथकी सभी कठपुतलियाँ भी हाँ में हाँ मिलाती हैं |आशय है कि जिस प्रकार मै अपने आप को बंधन से मुक्त करना चाहती हूँ, उसी प्रकार बाकि सब कठपुतलियोंकी मुक्ति की भी जिम्मेदारी भी में लेकर सब को मुक्त कराना चाहती है | कठपुतली सोचती है, कि वह बाकि सब कठपुतलियों कि जिम्मेदारी उठा सकने में सक्षम है | ये सब सोच कर वह चिंतित है कि वो जो करने जा रही है वो कर पायेगी|
प्रश्न 8: कठपुतली गुस्से से उबली
बोली ,ये धागे क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
उपरोक्त पंक्तियों का आशय व्यक्त करो।
उत्तर: पंक्तियों में कवि 'भवानीप्रसाद मिश्र" कहते है, कि कठपुतली गुस्सा है ,और धागे से पूछती है, कि अरे! धागों मेरे आगे - पीछे क्यों ? पड़े हो। मुझे छोड़ दो, मैं भी आजाद होना चाहती हूँ Iतुम मुझे स्वतंत्र नहीं करना चाहते और सदैव मेरे आगे पीछे आते रहते है |मैं तुमसे अलग होकर अपनी पहचान से जीना चाहती हूँ|ये सब कठपुतली धागे को गुस्से में बोलती है |
प्रश्न 9: “इन्हें तोड़ दो;
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।“
उपरोक्त पंक्तियों का आशय व्यक्त करो।
उत्तर: दुख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली बगावत कर ती है, और कहती है कि इस धागे को तोड़ दो और मुझे अपने पैरों खड़ा होने दो से आशय यह है,कि मैं भी आजाद होना चाहती हूँ।स्वयं को आजाद करना चाहती है ताकि उसको धागे के सहारे की जरूरत ना पड़े |बंधन से मुक्त होना चाहती हूँ|वह धागे से अपनी पहचान नहीं अपितु स्वयं कि पहचान बनाना क्गाहती है
प्रश्न 10: पहली कठपुतली में अच्छी बात क्या है?
उत्तर: पहली कठपुतल्री में अच्छी बात यह है, कि वह दूसरी कठपुललियों को पसंद करती थी ,और पहली कठपुतली स्वतंत्र होने की बात कर रही थी, और दूसरी कठपुतलियो के बंधन से मुक्त होना चाहती थी। वह केवल स्वय के लिए नहीं अपितु अपनी सखियों के विषय सोचती है|अर्थात वो अपने साथ साथ सब सखियों कि भी स्वतंत्रता चाहती है |ताकि सब आगे भी साथ ही रहे|
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