प्रश्न 1: नदी किसके घुटनो पर पड़ी है ?
उत्तर: कविता में कवि के अनुसार पहाड़ एक किसान के रूप में घुटने मोड़कर बैठा है अतः यह कहा जा सकता है कि नदी पहाड़ के घुटनो पर पड़ी है।
प्रश्न 2: अचानक कौन बोलता है ?
उत्तर: कविता में कवि सर्वेश्वरदालाल सक्सेना जी को अचानक से मोर के बोलने की आवाज़ आती है। और ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने सुनते हो कहा हो।
प्रश्न 3: कवि ने किस दृश्य का चित्रण किया है ?
उत्तर: कविता में कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी ने सर्दियों की सांझ के समय प्राकृतिक दृश्य का वर्णन करने का प्रयास किया है।
प्रश्न 4: कविता में कवि ने अपने आप को क्या बताया है ?
उत्तर: कविता में कवि सर्वेश्वरदालाल सक्सेना जी ने खुद को एक किसान के रूप में दिखाया है। और आकाश को सिर की पगड़ी बताया है।
प्रश्न 5: कवि को नदी कैसी प्रतीत होती है ?
उत्तर: कविता में कवि सर्वेश्वरदलाल सक्सेना जी को पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी घुटनो पर रखी एक चादर के सामान प्रतीत होती है। कविता में कवि के अनुसार पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी घुटनो पर रखी एक चादर के सामान प्रतीत होती है।
प्रश्न 6: कवि को मोर की आवाज़ सुनकर कैसा लगा ?
उत्तर: कविता में कवि को जब अचानक मोर की आवाज़ सुनाई देती है तो उन्हें ऐसा प्रतीत होता है मानो किसी ने उन्हें सुनते हो कहकर पुकारा हो। यह घटना दिन के ढलने की और इशारा करती है। मोरे के आवाज़ देते ही शाम ढल जाती है और सूरज दुब जाता है और रात का अँधेरा छह जाता है जो की दिन के समाप्त होने की और इशारा करता है। चारों तरफ छाई शांति के बीच अचानक एक मोर बोल पड़ता है, मानो कोई पुकार रहा हो, ‘सुनते हो!’ फिर सारा दृश्य किसी घटना में बदल जाता है, जैसे सूरज की चिलम किसी ने उलट दी हो, जलती आग बुझने लगी हो और धुंआ उठने लगा हो। असल में, अब सूरज डूब रहा है और चारों तरफ अंधेरा छाने लगा है।
प्रश्न 7: पहाड़ और आकाश के दृश्य का वर्णन कीजिये।
उत्तर: कवि सर्वेश्वरदलाल सक्सेना जी के अनुसार आज की शाम ऐसी प्रतीत होती है जैसे पहाड़ एक किसान की तरह हो और आकाश उसके सिर पर पगड़ी के समान हो। शाम का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही सुंदर है। इस दौरान पहाड़ – बैठे हुए किसी किसान जैसा दिख रहा है। आकाश उसके माथे पर बंधे एक साफे (पगड़ी) की तरह दिख रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, किसान के पैरों पर पड़ी चादर जैसी लग रही है।
प्रश्न 8: कवि को पलाश कैसा प्रतीत होता है ?
उत्तर: हम जानते है कि पलाश एक पेड़ को कहते है जिस पर लाल रंग के फूल लगते है। कवि को पलाश के पेड़ पर लगे लाल फूल जलती हुई अंगीठी जैसे लगते है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल पुष्प कवि को अंगीठी में जलते अंगारों की तरह दिख रहे हैं। पूर्व में फैलता अंधेरा सिमटकर बैठी भेड़ों की तरह प्रतीत हो रहा है।
प्रश्न 9: पलाश का क्या अर्थ है ?
उत्तर: पलाश एक प्रकार का पेड़ होता है जिस पर लाल रंग के पुष्प उगते है, बहुत सुंदर लगते हैl अलग अलग भाषाओं में पलाश के अलग अलग नाम है जैसे -हिंदी में ‘टेसू’ ,’केसू ‘,’ढाका’ या ,’पलाश’ ,गुजराती में खाकरी कहा जाता है। है। पलाश का उपयोग कवि ने अपनी कविता में बखूबी किया हैl
प्रश्न 10: नदी के दृश्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर: कवि सर्वेश्वरदलाल सक्सेना के अनुसार शाम के समय पहाड़ किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगड़ी की तरह दिख रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, किसान के घुटनों पर रखी किसी चादर जैसी लग रही है। आज की शाम उन्हें ऐसी प्रतीत होती है जैसे पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी उसके घुटनो पर बिछी चादर हो और बह रही हो।
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