प्रश्न 1: कहानी "न्याय" किसने लिखी है?
उत्तर: कहानी "न्याय" प्रसिद्ध लेखक विष्णु प्रभाकर जी ने लिखी है। इसमें राजकुमार सिद्धार्थ के दयालु स्वभाव को दिखाया गया है।
प्रश्न 2: राजकुमार सिद्धार्थ किस स्थान के राजकुमार थे?
उत्तर: सिद्धार्थ कपिलवस्तु के राजकुमार थे। वे बहुत दयालु और करुणा से भरे हुए थे।
प्रश्न 3: हंस को किसने घायल किया और कैसे?
उत्तर: हंस को सिद्धार्थ के चचेरे भाई देवदत्त ने घायल किया। उसने उस पर तीर चलाया था।
प्रश्न 4: सिद्धार्थ ने घायल हंस के लिए क्या किया?
उत्तर: सिद्धार्थ ने हंस को अपनी गोद में उठाया। उन्होंने तीर निकालकर उसकी मरहम-पट्टी की।
प्रश्न 5: देवदत्त क्यों कहता था कि हंस उसका है?
उत्तर: देवदत्त कहता था कि हंस पर तीर उसने चलाया है। इसलिए वह उसका शिकार है।
प्रश्न 6: सिद्धार्थ ने देवदत्त को हंस क्यों नहीं दिया?
उत्तर: सिद्धार्थ ने कहा कि हंस उनकी शरण में आया है। उन्होंने उसे बचाया है, इसलिए वह उनका है।
प्रश्न 7: हंस पर झगड़े का फैसला किसके पास ले जाया गया?
उत्तर: यह मामला कपिलवस्तु के महाराज शुद्धोदन के पास ले जाया गया। वहाँ मंत्री ने न्याय किया और फैसला सुनाया।
प्रश्न 8: सभा में हंस ने किसे चुना और क्यों?
उत्तर: हंस स्वयं उड़कर सिद्धार्थ की गोद में बैठ गया। क्योंकि सिद्धार्थ ने उसे बचाया था।
प्रश्न 9: मंत्री ने हंस का फैसला कैसे किया?
उत्तर: मंत्री ने कहा कि हंस उसी का है जिसके पास वह खुद जाना चाहे। हंस सिद्धार्थ के पास गया।
प्रश्न 10: सिद्धार्थ के मित्र (सखा) ने घायल हंस की मदद के लिए क्या किया?
उत्तर: सिद्धार्थ के सखा ने तुरंत राजवैद्य के पास जाकर मरहम लाने का काम किया। इससे पता चलता है कि वह भी दयालु और मददगार था।
प्रश्न 1: कहानी "न्याय" की शुरुआत कैसे होती है?
उत्तर: कहानी की शुरुआत कपिलवस्तु के राज-उद्यान से होती है। वहाँ सिद्धार्थ अपने मित्र के साथ बैठे थे। वे प्रकृति की सुंदरता की बातें कर रहे थे। तभी अचानक एक हंस पर तीर लगता है। वह घायल होकर सिद्धार्थ की गोद में गिर जाता है। सिद्धार्थ करुणा से उसकी देखभाल करते हैं।
प्रश्न 2: देवदत्त और सिद्धार्थ के बीच विवाद क्यों हुआ?
उत्तर: विवाद तब हुआ जब हंस घायल होकर सिद्धार्थ के पास आया। देवदत्त ने दावा किया कि हंस उसका है क्योंकि उसने उस पर तीर चलाया था। सिद्धार्थ ने कहा कि जिसने बचाया वही असली मालिक है। दोनों अपनी बात पर अड़े रहे। इसलिए मामला राजा के दरबार में पहुँचा।
प्रश्न 3: सभा में क्या हुआ और हंस ने किसे चुना?
उत्तर: सभा में पहले देवदत्त ने हंस को बुलाया, लेकिन वह डरकर नहीं गया। फिर सिद्धार्थ ने प्यार से उसे पुकारा। हंस तुरंत उड़कर उनकी गोद में बैठ गया। यह देखकर सभी प्रसन्न हो गए। इससे साबित हुआ कि दया और प्रेम सबसे बड़े हैं।
प्रश्न 4: कहानी के अंत में क्या निर्णय हुआ?
उत्तर: कहानी के अंत में मंत्री ने कहा कि हंस ने स्वयं सिद्धार्थ को चुना है। महाराज ने इस निर्णय को स्वीकार किया। सभा में जय-जयकार हुई। सिद्धार्थ ने हंस को प्रेम से गले लगाया। वहीं देवदत्त शर्मिंदा होकर चुप रह गया। इस तरह करुणा और न्याय की जीत हुई।
प्रश्न 5: कहानी "न्याय" से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: यह कहानी हमें बताती है कि जीव-जंतुओं पर दया करना जरूरी है। दूसरों को चोट पहुँचाना या मारना गलत है। जो दूसरों की रक्षा करता है वही सच्चा नायक होता है। सिद्धार्थ का व्यवहार हमें अहिंसा का मार्ग दिखाता है। न्याय हमेशा दया और करुणा से जुड़ा होना चाहिए।
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1. न्याय का अर्थ क्या है? | ![]() |
2. न्याय के विभिन्न प्रकार कौन से हैं? | ![]() |
3. न्याय का समाज में क्या महत्व है? | ![]() |
4. न्यायालय में न्याय कैसे सुनिश्चित किया जाता है? | ![]() |
5. बच्चों को न्याय के बारे में कैसे सिखाया जा सकता है? | ![]() |