प्रश्न 1: भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म कब हुआ था और वे किसे आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक मानते हैं?
उत्तर: भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 1850 में हुआ था। उन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक माना जाता है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र
प्रश्न 2: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 1871 में हरिद्वार यात्रा में क्या देखा?
उत्तर: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हरिद्वार में गंगा नदी, हरे-भरे पहाड़, पक्षियों की चहचहाहट, और शांत वातावरण का वर्णन किया।
प्रश्न 3: भारतेंदु ने 'कविवचन सुधा' में अपने हरिद्वार यात्रा के बारे में क्या लिखा?
उत्तर: भारतेंदु ने लिखा कि हरिद्वार एक पवित्र स्थान है, जहां का पानी ठंडा और मीठा है, और यह स्थान मानसिक शांति प्रदान करता है।
प्रश्न 4: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने पत्र में हरिद्वार के किस प्राकृतिक तत्व का वर्णन किया?
उत्तर: उन्होंने हरिद्वार में गंगा नदी और उसके शुद्ध पानी, पहाड़ों पर उगे पेड़ों और पक्षियों की सुंदरता का वर्णन किया।
प्रश्न 5: हरिद्वार के बारे में भारतेंदु हरिश्चंद्र का क्या विचार था?
उत्तर: उन्होंने हरिद्वार को एक शांतिपूर्ण और संतोषपूर्ण स्थान बताया, जहां कोई झगड़ा नहीं होता और लोग बहुत संतुष्ट रहते हैं।
प्रश्न 6: भारतेंदु ने गंगा के पानी के बारे में क्या कहा?
उत्तर: भारतेंदु ने गंगा के पानी को ठंडा, मीठा और सफेद बताया, और इसे बर्फ में जमी चीनी के शरबत जैसा वर्णित किया।
प्रश्न 7: हरिद्वार में गंगा की दो धाराएँ कौन सी हैं?
उत्तर: हरिद्वार में गंगा की दो धाराएँ नील धारा और गंगा हैं।
प्रश्न 8: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हरिद्वार में कौन सा प्रसिद्ध घाट देखा?
उत्तर: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 'हरि की पैड़ी' नामक प्रसिद्ध घाट देखा, जहां लोग स्नान करते हैं।
प्रश्न 9: भारतेंदु हरिश्चंद्र के अनुसार, हरिद्वार में किस प्रकार के लोग रहते हैं?
उत्तर: भारतेंदु के अनुसार, हरिद्वार में शांतिपूर्ण और संतुष्ट लोग रहते हैं, जिनमें कोई गुस्सा या लालच नहीं होता।
प्रश्न 10: भारतेंदु ने अपने पत्र के अंत में क्या लिखा?
उत्तर: उन्होंने पत्र के अंत में अपने नाम की जगह 'यात्री' लिखा और पत्रिका के संपादक से इसे प्रकाशित करने की विनती की।
प्रश्न 1: भारतेंदु हरिश्चंद्र की हरिद्वार यात्रा के बारे में विस्तार से बताइए।
उत्तर: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 1871 में हरिद्वार की यात्रा की और वहाँ की सुंदरता का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि हरिद्वार एक पवित्र स्थान है, जहाँ गंगा नदी बहती है। गंगा का पानी बहुत मीठा और ठंडा है। चारों ओर हरे-भरे पहाड़ हैं और वहाँ के पेड़ बहुत सुंदर हैं। इन पेड़ों पर रंग-बिरंगे पक्षी चहचहाते हैं, और बारिश के कारण हरियाली भी फैली हुई है। हरिद्वार की शांति और साधु जीवन की सरलता ने उनका मन बहुत शुद्ध किया।
प्रश्न 2: हरिद्वार यात्रा से भारतेंदु हरिश्चंद्र को क्या शिक्षा मिली?
उत्तर: भारतेंदु हरिश्चंद्र का मानना था कि यात्रा से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हरिद्वार यात्रा ने उन्हें यह सिखाया कि प्रकृति को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने महसूस किया कि भक्ति और साधना की सरलता जीवन को शांति प्रदान करती है। यात्रा से वह ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के महत्व को समझ पाए।
प्रश्न 3: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हरिद्वार के पेड़ों और पक्षियों का वर्णन कैसे किया?
उत्तर: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हरिद्वार के पेड़ों को तपस्वी साधुओं के समान बताया, जो धूप, बारिश और ओस को सहते हुए मनुष्यों को फल, फूल, छाया, लकड़ी और जड़ें प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि पेड़ों पर रंग-बिरंगे पक्षी चहचहाते हैं और बिना किसी डर के गाते हैं, क्योंकि वहाँ शिकारी नहीं हैं। यह दृश्य बहुत शांतिपूर्ण था और उन्हें बहुत आनंद मिला।
प्रश्न 4: हरिद्वार में गंगा के बारे में भारतेंदु हरिश्चंद्र का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने गंगा नदी को पवित्र और शुद्ध बताया। उन्होंने लिखा कि गंगा का पानी ठंडा और मीठा है, जैसे बर्फ में जमी चीनी का शरबत। गंगा की धारा तेज़ बहती है, और ठंडी हवा इसके छोटे-छोटे कणों को उड़ाती है, जो मन को शुद्ध कर देती है। उन्होंने गंगा को राजा भगीरथ की कीर्ति की तरह चमकते हुए देखा और उसे विशेष रूप से पवित्र माना।
प्रश्न 5: हरिद्वार यात्रा में भारतेंदु ने स्थानों का क्या उल्लेख किया?
उत्तर: भारतेंदु ने हरिद्वार यात्रा में प्रमुख स्थानों का उल्लेख किया, जैसे हरि की पैड़ी, कुशावर्त, नीलधारा, विल्वपर्वत, और कनखल। उन्होंने बताया कि हरि की पैड़ी पर स्नान किया जाता है, और कुशावर्त पास में है। नीलधारा दूसरी धारा है। विल्वपर्वत में विल्वेश्वर महादेव की मूर्ति है, और कनखल तीर्थ को उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया, जहाँ दक्ष ने यज्ञ किया था और सती ने अपना शरीर त्याग दिया था।
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