प्रश्न 1: कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए माना है क्योंकि ये संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुचाने में सहायता करते हैं। बादल शीतलता का सन्देश देते हैं और पक्षी अपने पंखों पर सुगंधित वायु को लेकर एक देश से दूसरे देश जाते हैं।
प्रश्न 2: इन पंक्तियों का क्या भाव है-
(i) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
उत्तर: पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं वे एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।
(ii) प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर: प्रकृति एक देश से दूसरे देश में भेदभाव नहीं करती इसलिए एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर बरसता है।
प्रश्न 3: “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है’’- कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है”, से कवि का भाव यह है कि एक देश की धरती दूसरे देश को प्यार और सौहार्द भेजती है। यहाँ ‘सुगंध’ भाईचारे का प्रतीक है और ‘गंध’ प्यार का।
प्रश्न 4: आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर: आज का युग इंटरनेट का युग है। हम अपने संवाद को बड़ी ही सुगमता व सुविधापूर्वक इंटरनेट के माध्यम से भेज व पा सकते हैं किन्तु पक्षी और बादल की चिट्ठियाँ हमें भगवान का सन्देश देते हैं। पक्षी और बादल प्रकृति के अनुसार काम करते हैं किंतु, इंटरनेट मनुष्य के अनुसार काम करता है। इंटरनेट संदेश भेजने का आज का आधुनिक माध्यम हैं। पहले मनुष्य पत्र के द्वारा अपने संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा करता था। परंतु उसमें भी महीनों, दिनों का वक्त लग जाता था। पर आज हम कुछ पलों में ही इंटरनेट के माध्यम से अपना संदेश एक स्थान पर ही नहीं अपितु दूसरे देश में भी भेज सकते हैं और इसमें ज्यादा समय भी नहीं लगता। परन्तु इसकी तुलना अगर पक्षी और बादलों की चिट्ठियों से की जाए तो इतनी पवित्रता और निश्चलता के आगे इंटरनेट छोटा ही साबित होता है। इंटरनेट के माध्यम से हम विचारों का, कार्य का, सूचनाओं का आदान प्रदान तो कर सकते हैं पर एक सीमा तक लेकिन पक्षी और बादल की तो कोई सीमा नहीं।
प्रश्न 5: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।
उत्तर: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियाँ पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ ही पढ़ पाते हैं, वही उनकी भाषा को समझ पाते हैं।
प्रश्न 6: पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
उत्तर: हाँ, पढ़ पाते हैं। भगवान पूरे विश्व को एक मानकर अपना प्रेम सभी में बराबर बाँटते हैं। उनका ये प्रेम बादलों द्वारा पानी के रूप में धरती पर आता है। भगवान बादलों के द्वारा जो संदेश भेजते हैं उन्हें पेड़-पौधे, पहाड़ और जल अच्छी तरह से पढ़ पाते हैं क्योंकि ये उनके लिए होते हैं।
प्रश्न 7: पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?
उत्तर: पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को सद्भावना, सौहार्द और प्यार की दृष्टि से देखा जा सकता है। क्योंकि इनका आदान-प्रदान हमारे लिए एक सीख है, वो भी ऐसी सीख अगर इसे मनुष्य अपने मन से अपना ले तो आज किसी भी देशों के बीच युद्ध की नौबत नहीं आएगी। हम अगर इस तथ्य को समझ जाएँ तो हमारे हृदय से द्वेषभावना की मलिनता धूल जाएगी।
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