प्रश्न 1. रहीम ने सच्चे मित्र की क्या पहचान बताई है?
उत्तर – रहीम ने सच्चे मित्र की यह पहचान बताई है कि जो व्यक्ति मुसीबत में आपकी सहायता करता है या आपके काम आता है, वही आपका सच्चा मित्र होता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों का अर्थ लिखिए – सँचहि, तरुवर, सुजान, थोथा, घाम ।
उत्तर –
प्रश्न 3. रहीम ने क्वार के बादलों की तुलना किससे और क्यों की है?
उत्तर – रहीम ने क्वार के बादलों की तुलना उन लोगों से की है जो अमीर से गरीब हो चुके हैं। गरीब लोग जब उन दिनों की बात करते हैं, जब वे धनी तथा सुखी थे। तो उनकी बातें बिल्कुल क्वार के बादलों की गरज की तरह खोखली होती है। जैसे क्वार महीने में बादल केवल गरजते है, बरसते नहीं हैं। ठीक उसी प्रकार, कंगाल होने के बाद अमीर व्यक्ति अपने पिछले समय की बड़ी – बड़ी बातें करते रहते हैं, जिनका कोई मूल्य नहीं होता है।
प्रश्न 4. “तरुवर फल नहिं खात है , सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित , संपति सचहिं सुजान॥”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ बताइए।
उत्तर – रहीम जी के अनुसार, जिस प्रकार वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते और नदी, तालाब अपना पानी कभी स्वयं नहीं पीते। ठीक उसी प्रकार, सज्जन और अच्छे व्यक्ति अपने द्वारा इकठ्ठे किए गए धन का उपयोग केवल अपने हित के लिए प्रयोग नहीं करते, वो उस धन का दूसरों के भले के लिए भी प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 5. “जाल परे जल जात बहि , तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को , तऊ न छाँड़ति छोह॥”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ बताइए।
उत्तर – रहीम जी उपरोक्त पंक्तियों द्वारा एकतरफा प्रेम का वर्णन किया है। रहीम जी के अनुसार, जब किसी नदी में मछली को पकड़ने के लिए जाल डालकर बाहर निकाला जाता है, तो नदी का जल तो उसी समय जाल से बाहर निकल जाता है। उसे मछली से कोई प्रेम नहीं होता इसलिए वह मछली को त्याग देता है। परन्तु, मछली पानी के प्रेम को भूल नहीं पाती है और उसी के वियोग में प्राण त्याग देती है।
प्रश्न 6. वृक्ष और सरोवर का उदाहरण देकर रहीम जी क्या समझाना चाहते हैं?
उत्तर – वृक्ष और सरोवर का उदाहरण देकर रहीम जी यह समझाना चाहते हैं कि जिस प्रकार वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते और नदी, तालाब अपना पानी स्वयं नहीं पीते है उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति अपने द्वारा इकठ्ठे किए गए धन का उपयोग केवल स्वयं पर न खर्च करके बल्कि दूसरों के भले के लिए भी खर्च करता हैं।
प्रश्न 7. वृक्ष और सरोवर किस प्रकार दूसरों की भलाई करते हैं?
उत्तर – वृक्ष और सरोवर अपने द्वारा संचित वस्तु का स्वयं उपयोग नहीं करते हैं, यानी वृक्ष असंख्य फल उत्पन्न करता है लेकिन वह स्वयं उसका उपयोग नहीं करता। वह फल दूसरों के लिए देते हैं। ठीक इसी प्रकार सरोवर भी अपना जल स्वयं न पीकर उसे समाज की भलाई के लिए संचित करता है।
प्रश्न 8. “धरती की सी रीत है , सीत घाम औ मेह ।
जैसी परे सो सहि रहे , त्यों रहीम यह देह॥”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ बताइए।
उत्तर – रहीम जी उपरोक्त पंक्तियों द्वारा मनुष्य के शरीर की सहनशीलता का वर्णन किया है। वो कहते हैं कि मनुष्य के शरीर की सहनशक्ति बिल्कुल इस धरती के समान ही है। जिस तरह धरती सर्दी, गर्मी, बरसात आदि सभी मौसम झेल लेती है, ठीक उसी तरह हमारा शरीर भी जीवन के सुख – दुख रूपी हर कष्ट, विपत्ति के मौसम को सहन कर लेता है।
प्रश्न 9. “कहि रहीम संपति सगे , बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे , तेई साँचे मीत॥”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ बताइए।
उत्तर – रहीम जी के अनुसार, हमारे सगे – संबंधी किसी संपत्ति की तरह होते हैं, क्योंकि संपत्ति भी बहुत कठिन परिश्रम से इकट्ठी की जाती है और सगे – संबंधी भी बहुत सारे रीति – रिवाजों के बाद बनते हैं। परंतु जो व्यक्ति मुसीबत में आपकी सहायता करता है या आपके काम आता है, वही आपका सच्चा मित्र होता है।
प्रश्न 10. रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं ? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजने वाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर – रहीम जी ने आश्विन (क्वार) के महीने में आसमान में छाने वाले बादलों की तुलना निर्धन हो गए धनी व्यक्तियों से इसलिए की है, क्योंकि दोनों गरजकर रह जाते हैं, कुछ कर नहीं पाते। बादल बरस नहीं पाते, निर्धन व्यक्ति का धन लौटकर नहीं आता। जो अपने बीते हुए सुखी दिनों की बात करते रहते हैं, उनकी बातें बेकार और वर्तमान परिस्थितियों में अर्थहीन होती हैं। दोहे के आधार पर सावन के बरसने वाले बादल धनी तथा क्वार के गरजने वाले बादल निर्धन कहे जा सकते हैं। क्योंकि धनी व्यक्ति सावन के बरसने वाले बादलों की तरह होते हैं जो अगर अपनी धन – संपत्ति का गुणगान करे भी तो उसमें कुछ अर्थ प्रतीत होता है।
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