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Short Question Answers - साखियाँ एवं सबद | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij) PDF Download

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कबीर के अनुसार ईश्वर के सच्चे स्वरूप को कौन लोग नहीं जान पाते?

[C.B.S.E. 2013 Term I, Set 9L75DKV]

उत्तरः कबीर के अनुसार मनुष्य ईश्वर को मंदिर-मस्जिद, काबा, काशी, योग-वैराग तथा धार्मिक कर्मकाण्डों, शास्त्रों के ज्ञान से या अंध विश्वासों से लिप्त होकर जानना चाहता है और इससे वास्तविक भक्ति भ्रमित हो जाती है। ऐसे व्यक्ति ईश्वर के सच्चे स्वरूप को नहीं जान पाते हैं। भक्ति के निर्मल व सूक्ष्म भाव का अभाव ही बह्म ज्ञान में बाधक बन जाता है। 

प्रश्न 2. पखापखी का अर्थ स्पष्ट करके बताइए तथा संसार में सच्चा संत और सुजान किसे माना जा सकता है? कबीरदास के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

[C.B.S.E. 2014 Term I, OWO2BPW]

उत्तरः पखापखी का शाब्दिक अर्थ है पक्ष-विपक्ष अर्थात् मत और मतांतर का विभेद। कबीर का मत है कि सच्चा संत और सुजान व्यक्ति वही जो पक्ष-विपक्ष के मतांतर में न पड़कर निरपेक्ष भाव से ईश्वर भक्ति करता है और एक ही परम सत्ता को स्वीकारता है। 

प्रश्न 3. कबीर का ‘पखा-पखी’ से क्या तात्पर्य है?

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set D1]

उत्तरः ‘पखा-पखी’ से कवि का तात्पर्य है-पक्ष-विपक्ष व खण्डन-मण्डन। कुछ लोग एक सम्प्रदाय का समर्थन करते हैं दूसरे का विरोध। इस चक्कर में लक्ष्य को भूल जाते हैं। 

प्रश्न 4. सामान्य मानव के लिए मन्दिर, मस्जिद, काबा, कैलाश तथा पूजा-पाठ का क्या महत्व है? कबीरदास जी इन सबका क्या कहकर तिरस्कार कर देते हैं?

[C.B.S.E. 2014 Term I, 3W4CERE]

उत्तरः सामान्य मानव के लिए मन्दिर, मस्जिद, काबा, कैलाश तथा पूजा-पाठ, ईश्वर एवं खुदा को पाने का साधन है किन्तु कबीर इन्हें बाह्याडम्बर एवं कर्मकाण्ड कहकर इनका तिरस्कार करते हैं। 

प्रश्न 5. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है?

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set D3]

उत्तरः तीसरे दोहे में कवि ने ऐसे ज्ञान को महत्त्व दिया है जो हाथी के समान बलशाली है और आलोचना करने वालों की परवाह न करते हुए, भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ता रहता है। 

प्रश्न 6. कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खण्डन किया है?

[C.B.S.E. 2013, 12, 10 Term I, Set 8ATH36H, D2 45]

उत्तरः ईश्वर की प्राप्ति के लिए अग्रलिखित प्रचलित विश्वासों का कबीर ने खण्डन किया है-

(i) ईश्वर की प्राप्ति मंदिर, मस्जिद में नहीं होती, वह सर्वव्यापक है।

(ii) कबीर ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए तीर्थ स्थानों (काबा, काशी) की यात्रा करने को व्यर्थ बताया है।

(iii) विभिन्ना कर्म-काण्डों को करने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है। कबीर ने धार्मिक आडम्बरों का खण्डन किया है।

(iv) योग-साधना या वैराग्य धारण करने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है, कबीर ऐसा मानते हैं।

प्रश्न 7. कबीर ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है ?

[C.B.S.E. 2016 Term I, 068 PDDH]

उत्तरः स्वयं से, ईश्वर से प्रेम रखते हुए भक्तिपूर्वक ईश्वर प्राप्ति का प्रयास, लोभ, मोह का आकर्षण एवं पथ से दूर रहना।

प्रश्न 8. कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रचलित किन विश्वासों का खण्डन किया है, स्पष्ट कीजिए।

[C.B.S.E. 2016 Term IX2U37E7]

उत्तरः कबीर के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति मन्दिर, मस्जिद से नहीं, धार्मिक यात्राओं से नहीं, आडम्बरों एवं क्रियाकर्म से नहीं होती।

प्रश्न 9. कबीर के अनुसार युक्ता फल चुगने वाला कौन होता है और वह किस रूप को प्राप्त कर लेने पर कहीं नहीं जाता ?

[C.B.S.E. 2016 Term I, RK3DB3]

उत्तरः कबीर के अनुसार-जो मन में ध्यान द्वारा ईश का आनंद पाते हैं, वे ज्ञानी लोग ही मुक्त फल चुगने वाले होते हैं। उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है। हंस रूपी मुक्त व्यक्ति ही सांसारिक आवागमन से मुक्त हो जाता है और तत्पश्चात् सच्चा आनंद पाता है। 

प्रश्न 10. कबीर के अनुसार ईश्वर कहाँ मिलता है और कहाँ नहीं मिलता है?

C.B.S.E. 2010 Term I Set F1]

उत्तरः कबीर के अनुसार ईश्वर का निवास हमारे अन्दर ही है, वह वहीं मिलता है। ईश्वर मन्दिरों-तीर्थों में नहीं मिलता है। 

प्रश्न 11. अन्तिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?

[C.B.S.E. 2010 Term I, Set F2]

उत्तरः अन्तिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने धार्मिक आधार पर भेदभाव करने की संकीर्णता तथा ऊँचे कुल में जन्म लेने के झूठे अभिमान की संकीर्णता की ओर संकेत किया है। 

प्रश्न 12. किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

[C.B.S.E. 2012, 10 Term I, Set 29, D1]

उत्तरः किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके गुणों से होती है चाहे उसने किसी भी कुल में जन्म लिया हो। जैसे कि सोने के घड़े में शराब भरी होने पर साधु पुरुष उसकी निन्दा करते हैं ठीक उसी प्रकार ऊँचे कुल में जन्म लेकर यदि कोई नीच कर्म करता है तो वह सम्मान का पात्र नहीं होता।

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FAQs on Short Question Answers - साखियाँ एवं सबद - Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

1. साखियाँ एवं सबद कक्षा 9 के बारे में क्या है?
उत्तर: साखियाँ एवं सबद कक्षा 9 एक हिंदी विषय है जो कक्षा 9 के छात्रों को सिखाता है। इसमें छात्रों को साखियाँ और सबद के बारे में ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है। यह कक्षा 9 के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे छात्रों की भाषा और साहित्यिक कौशल का विकास होता है।
2. कक्षा 9 में साखियाँ और सबद क्यों सीखने चाहिए?
उत्तर: साखियाँ और सबद कक्षा 9 में सीखने का प्रमुख कारण यह है कि इससे छात्रों की भाषा और साहित्यिक कौशल में सुधार होता है। यह उन्हें हिंदी भाषा के महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में जागरूक करता है और उन्हें भाषा के रूपांतरण, व्याकरण, लेखन और सम्प्रेषण कौशल में सुधार करता है।
3. साखियाँ एवं सबद कक्षा 9 के लिए संबंधित पुस्तक कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: साखियाँ एवं सबद कक्षा 9 के लिए कई पुस्तकें उपलब्ध हैं। कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों में से कुछ नाम हैं: "साखियाँ और तत्वावधान", "सबद परिचय", "हिंदी व्याकरण", "हिंदी साहित्य का इतिहास" आदि। छात्रों को अपने विद्यालय या दुकान से या इंटरनेट से इन पुस्तकों को प्राप्त करना चाहिए।
4. साखियाँ और सबद कक्षा 9 के लिए बोर्ड परीक्षा में कितने प्रश्न पूछे जाते हैं?
उत्तर: साखियाँ और सबद कक्षा 9 के बोर्ड परीक्षा में आमतौर पर 10-15 प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों में साखियों के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे कि साखियों के अर्थ, प्रयोग, और मुहावरों के बारे में पूछा जाता है। सबद के बारे में भी प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे कि भाषा के प्रकार, रूपांतरण, और व्याकरणिक चरणों के बारे में पूछा जाता है।
5. साखियाँ और सबद कक्षा 9 के लिए अध्ययन करने के लिए कौन-कौन से स्रोत महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर: साखियाँ और सबद कक्षा 9 के लिए अध्ययन करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्रोत हैं। छात्रों को पाठ्यपुस्तक के अलावा अधिक से अधिक साखियों और सबदों के बारे में पढ़ना चाहिए। इंटरनेट पर भी विभिन्न वेबसाइटों पर साखियों और सबदों के बारे में जानकारी उपलब्ध है। छात्रों को अपने शिक्षकों से प्रश्न पूछने और अभ्यास करने के लिए सहायता लेनी चाहिए।
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