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'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' कविता आज़ादी चाहने वाले पक्षियों पर आधारित है। कवि पक्षियों के माध्यम से मनुष्य को आज़ादी का मूल्य बताना चाहता है। उसके अनुसार आज़ादी से अधिक प्यारा कुछ भी नहीं है। पक्षियों के लिए खुला आकाश सोने के पिंजरे से कहीं अधिक प्यारा है। उसे पेड़ों की कड़वी निबौरी खाने के लिए मिल जाए, तो वह उसके स्थान पर विभिन्न तरह के व्यंजनों को भी छोड़ सकता है। उसे पेड़ों की डाल पर झूलना अच्छा लगता है। वह क्षितिज के अंत तक आकाश में उड़ना चाहता है। वह सबसे प्रार्थना करता है कि चाहे उसके आश्रय स्थल समाप्त कर दिए जाएँ परन्तु उसकी आज़ादी की उड़ान में बाधा नहीं डाली जाए। यह कविता यह संदेश देती है कि आज़ादी में जो सुख है, वह किसी भी प्रकार की गुलामी में नहीं है।
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