एक बार गंगा एक सुंदर कन्या का रूप धारण किए हुए खड़ी थीं कि राजा शांतनु उस पर आकर्षित हो गया था। राजा ने गंगा की बातें मानकर उससे विवाह कर लिया। समय पाकर गंगा से शांतनु के कई तेजस्वी पुत्र हुए। गंगा अपने पुत्र को पैदा होते ही नदी की धरा में बहाकर राजा शांतनु के महल में वापस आ जाती थी। राजा शांतनु उसके इस व्यवहार पर आश्चर्य चकित रह जाते थे। राजा को क्रोध आता था, पर वचन से बंधे रहने के कारण मन मसोस कर रह जाते थे। इस तरह गंगा ने सात बच्चों को नदी की धारा में बहा दिया।गंगा ने तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया और आठवें बच्चे की बारी आई तब राजा शांतनु से नहीं रहा गया। उन्होंने इस घृणित कार्य को करने से गंगा को मना कर दिया। गंगा बोली- राजन क्या आप अपना वचन भूल गए। शर्त के अनुसार, मैं अब यहाँ नहीं ठहर सकती। अब मैं इस आठवें पुत्र को नदी में नहीं फेकूगी लेकिन आपके आठवें पुत्र को मैं कुछ समय पालूँगी और फिर आपको सौंप दूंगी।
इसके बाद गंगा अपने पुत्र को लेकर चली गई। गंगा के चले जाने के बाद राजा शांतनु का मन भोग विलास से विरक्त हो गया और वे राज-काज में लगे। एक दिन राजा शांतनु शिकार खेलते-खेलते गंगा तट पर गए। वहाँ एक सुंदर गठीले युवक को देखा जो नदी की बहती धारा में तीर चलाकर, उसकी प्रचंड धारा को रोक रहा था। राजा आश्चर्यचकित थे। इतने में वहाँ स्वयं गंगा आ गईं। उन्होंने राजा से कहा-राजन पहचाना मुझे और इस युवक को यही आपका और मेरा आठवाँ पुत्र देवव्रत है। महर्षि वशिष्ठ ने इसे शिक्षा दी है। शास्त्र ज्ञान में शुक्राचार्य और रण-कुशल में परशुराम ही इसका मुकाबला कर सकते हैं। यह जितना, कुशल योद्धा है उतना ही कुशल राजनीतिज्ञ भी है अब मैं आपका पुत्र आपको सौंप रही हूँ। अब इसे आप अपने साथ ले जाइए। गंगा ने देवव्रत का माथा चूमा और आशीर्वाद देकर राजा के साथ विदा कर दिया। देवव्रत ही बाद में भीष्म पितामह के नाम से प्रसिद्द हुए।
प्रश्न 1: गंगा ने अपने पुत्र को नदी में क्यों बहाया था?
उत्तर: गंगा ने अपने पुत्र को नदी में बहाया था क्योंकि उसको भगवान की वर्दान द्वारा उनके पापों का प्रयाश्चित करने का काम था।
प्रश्न 2: राजा शांतनु ने गंगा के वचन का पालन क्यों किया?
उत्तर: राजा शांतनु ने गंगा के वचन का पालन किया क्योंकि उनका वचन उन्हें बंधे रखता था और उन्होंने उसे भूलने से इनकार किया।
प्रश्न 3: गंगा के पुत्र देवव्रत को और कौन-कौन से योद्धा मुकाबला कर सकते थे?
उत्तर: गंगा के पुत्र देवव्रत का मुकाबला शास्त्र ज्ञान में शुक्राचार्य और रण-कुशल में परशुराम ही कर सकते थे।
प्रश्न 4: गंगा ने अपने पुत्र का नाम देवव्रत क्यों रखा था?
उत्तर: गंगा ने अपने पुत्र का नाम देवव्रत रखा था क्योंकि उसके पुत्र ने भगवान की वचनवद्धता के प्रतीक रूप में देवों के व्रत और धर्म का पालन किया था।
प्रश्न 5: गंगा द्वारा राजा शांतनु को दिए गए पुत्र को कैसे देवव्रत बनाया गया?
उत्तर: गंगा द्वारा राजा शांतनु को दिए गए पुत्र को देवव्रत बनाया गया था जिसके लिए उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से उसे शिक्षा दिया और उसका शास्त्र ज्ञान और युद्ध तकनीकी में प्रशिक्षण करवाया था।
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