Table of contents | |
परिचय | |
सारांश | |
नैतिक | |
कठिन शब्दों के अर्थ |
श्री विजय तेंदुलकर भारतीय साहित्य के प्रमुख नाटककार और लेखक हैं। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक मुद्दों और मानवीय संवेदनाओं को गहराई से उकेरा है। प्रस्तुत एकांकी में उन्होंने निर्जीव वस्तुओं की पीड़ा का सजीव चित्रण करते हुए बच्चों के अपहरण के बढ़ते मामलों को दिखाया है। इस कहानी के माध्यम से उन्होंने समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास किया है।
रात के समय एक सड़क पर एक बिजली का खंभा, एक पेड़, एक लैटरबॉक्स और दीवार पर नाचती हुई लड़की का पोस्टर होता है। ये निर्जीव वस्तुएँ रात में जीवंत हो जाती हैं और आपस में बातें करती हैं। खंभा और पेड़ पुराने साथी होते हैं और अपनी-अपनी समस्याओं का जिक्र करते हैं। लैटरबॉक्स भी भजन गुनगुनाते हुए आता है और सब मिलकर समय बिताते हैं।
उसी समय एक आदमी एक बेहोश लड़की को कंधे पर उठाकर लाता है और उसे छोड़कर खाने की व्यवस्था करने चला जाता है। वस्तुएँ आपस में बातचीत करके लड़की को बचाने का उपाय सोचने लगती हैं। उनकी बातों से लड़की जाग जाती है और रोने लगती है। लैटरबॉक्स उसे सांत्वना देता है और उसके घर का पता पूछता है, लेकिन लड़की को पता नहीं होता।
लैटरबॉक्स और अन्य वस्तुएँ लड़की को सुरक्षित रखने के उपाय करती हैं। जब अपहरणकर्ता वापस आता है, तो वे लड़की को छिपा देते हैं और खुद अपनी-अपनी जगह खड़े हो जाते हैं। आदमी लड़की को ढूँढ़ नहीं पाता और वहाँ से चला जाता है।
सभी वस्तुएँ मिलकर लड़की को घर पहुँचाने का उपाय सोचने लगती हैं। कौवा सुझाव देता है कि पेड़ और खंभा लड़की के ऊपर झुककर दुर्घटना का दृश्य बनाएँ और लैटरबॉक्स एक संदेश लिखे। सुबह होने पर सब अपनी-अपनी जगह दुर्घटना का आभास देते हैं, और पोस्टर पर 'पापा खो गए हैं' लिखा होता है। अंत में लैटरबॉक्स सबका ध्यान आकर्षित करता है और कहता है कि जिसे भी लड़की के पापा मिलें, उन्हें यहाँ ले आएँ।
इस एकांकी का नैतिक संदेश यह है कि समाज को बच्चों की सुरक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। निर्जीव वस्तुओं की पीड़ा का चित्रण करते हुए लेखक ने दिखाया है कि हमारे चारों ओर की वस्तुएँ भी हमारी मदद कर सकती हैं, यदि हम एकजुट होकर किसी समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करें। बच्चों की सुरक्षा और उनकी देखभाल हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है, और हमें इसके प्रति हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
· भंगिमा - मुद्रा
• आफ़त - मुसीबत
• थर-थर काँपना- डर से काँपना
• झेलना - सहन करना
• गरूर - घमंड
• कर्कशदधकानों को खराब लगने वाली आवाज़
• फोकट - मुफ्त में
• पेट में चूहे दोड़ना - बहुत भूख लगना
• दाल में काला होना- कुछ गड़बड़ की आशंका
• गश्त लगाना - चारों ओर घूमना
• गौर से देखना-ध्यान से देखना
• चकमा देना- धोखा देना
• प्रेक्षक- दर्शक
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1. पापा खो गए Class 7 कहानी की समाप्ति कैसे हुई? |
2. पापा खो गए कहानी का मुख्य संदेश क्या है? |
3. पापा खो गए Class 7 कहानी में मानवी की भूमिका कैसे है? |
4. पापा खो गए कहानी में पापा कहाँ छुपे हुए थे? |
5. पापा खो गए Class 7 कहानी में पापा कैसे खो गए थे? |
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