सातवें दिन का युद्ध कई मोर्चों पर चल रहा था। एक मोर्चे पर अर्जुन के सामने भीष्म थे। एक तरफ द्रोण और विराटराज में भीषण युद्ध हो रहा था। शिखण्डी और अश्वत्थामा में लड़ाई हो रही थी। एक स्थान पर धृष्टद्युम्न और दुर्योधन में युद्ध चल रहा था। नकुल और सहदेव अपने मामा शल्य पर बाण बरसा रहे थे। एक अलग मोर्चे पर भीम अकेला दुर्योधन के चार भाइयों से लड रहा था। घटोत्कच भगदत्त से, सात्यकि अलंबुष से, युधिष्ठिर श्रतायु से तथा कृपाचार्य चेकितान से लड़ रहे थे। विराट को द्रोणाचार्य से हारना पड़ा। विराट के पुत्र उत्तर एवं श्वेत पहले ही दिन की लड़ाई में मारे जा चुके थे। आज उनके तीसरे पुत्र शंख की भी मृत्यु हो गयी।
आठवें दिन का युद्ध प्रारंभ होते ही भीम ने धृतराष्ट्र के आठ पुत्रों को मार डाला। कौरवों ने अर्जुन के नागकन्या से उत्पन्न वीर पुत्र इरावान को मार दिया। इरावान की मृत्यु का बदला लेने के लिए घटोत्कच कौरव सेना पर टूट पड़ा। युधिष्ठिर ने भीम को घटोत्कच की सहायता के लिए भेजा तो कौरव-सेना बुरी तरह से हार गयी।
नवें दिन के युद्ध में अभिमन्यु और अलंबुष में घोर युद्ध छिड़ गया। भीष्म ने पांडवों की सेना को काफी नुकसान पहुँचाया| यहाँ तक कि पितामह ने अर्जुन और श्रीकृष्ण दोनों को ही बड़ी पीड़ा पहुँचाई। थोड़ी देर में सूर्यास्त हुआ और उस दिन का युद्ध बंद कर दिया गया।
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