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Unit Test (Solutions): कबीर के दोहे | Hindi Class 8 PDF Download

समय: 1 घंटा
पूर्णांक: 30

निर्देश: सभी प्रश्नों का प्रयास करें।  

  • प्रश्न संख्या 1 से 5 तक 1 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।  
  • प्रश्न संख्या 6 से 8 तक 2 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।  
  • प्रश्न संख्या 9 से 11 तक 3 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।  
  • प्रश्न संख्या 12 और 13 प्रत्येक 5 अंक का प्रश्न है।

प्रश्न 1: कबीर का जन्म कहाँ हुआ माना जाता है? (1 अंक)
(i) दिल्ली
(ii) काशी (वाराणसी)
(iii) मथुरा
(iv) अयोध्या
 
उत्तर: (ii)
कबीर का जन्म चौदहवीं शताब्दी में काशी (वाराणसी) में हुआ माना जाता है।  

प्रश्न 2: कबीर की रचनाएँ किस संग्रह में मिलती हैं? (1 अंक)
(i) सूरसागर
(ii) कबीर ग्रंथावली
(iii) रामचरितमानस
(iv) विनय पत्रिका  

उत्तर: (ii)
कबीर की रचनाएँ "कबीर ग्रंथावली" में मिलती हैं।  

प्रश्न 3: कबीर के दोहों का मुख्य विषय क्या है? (1 अंक)
(i) युद्ध और वीरता
(ii) सच्चाई और अच्छे गुरु का सम्मान
(iii) धन और वैभव
(iv) प्रकृति का सौंदर्य  

उत्तर: (ii)
कबीर के दोहों का मुख्य विषय सच्चाई, ईमानदारी, अच्छे गुरु का सम्मान और घमंड रहित बातें करना है।  

प्रश्न 4: कबीर के अनुसार सच्चा साधु कैसा होना चाहिए? (1 अंक)
(i) धनवान
(ii) सूप की तरह
(iii) राजा की तरह
(iv) विद्वान
 
उत्तर: (ii)
कबीर कहते हैं कि सच्चा साधु सूप की तरह होता है, जो अच्छा बचा लेता है और बुरा अलग कर देता है।  

प्रश्न 5: कबीर के अनुसार मन की तुलना किससे की गई है? (1 अंक)
(i) पेड़
(ii) नदी
(iii) पक्षी
(iv) बादल  

उत्तर: (iii)
कबीर कहते हैं कि मन एक पक्षी की तरह है, जो जहाँ चाहे उड़ जाता है।  

प्रश्न 6: कबीर के अनुसार सच्चाई और झूठ के बारे में क्या कहा गया है? (2 अंक)  
उत्तर: कबीर कहते हैं कि सच्चाई सबसे बड़ा तप है और झूठ सबसे बड़ा पाप है। जिसके दिल में सच्चाई होती है, उसके पास सच्चा ज्ञान (गुरु) होता है। यह सिखाता है कि सच बोलना सबसे बड़ी पूजा है और झूठ से विश्वास टूटता है।  

प्रश्न 7: कबीर के अनुसार निंदक को क्यों पास रखना चाहिए? (2 अंक)  
उत्तर: कबीर कहते हैं कि निंदक को अपने पास रखना चाहिए क्योंकि वह हमारी गलतियाँ बताकर हमें सुधारने में मदद करता है। वह बिना पानी और साबुन के हमारे स्वभाव को साफ करता है, यानी हमें हमारी कमियों का एहसास कराता है।  

प्रश्न 8: कबीर के दोहों में संगति का क्या महत्व बताया गया है? (2 अंक)  
उत्तर: कबीर कहते हैं कि मन एक पक्षी की तरह है, जो जैसी संगति में रहता है, वैसा ही फल पाता है। अच्छे लोगों की संगति से अच्छे विचार और परिणाम मिलते हैं, जबकि बुरी संगति से बुरे परिणाम मिलते हैं।  

प्रश्न 9: कबीर के अनुसार गुरु का महत्व भगवान से भी अधिक क्यों है? (3 अंक)  
उत्तर: कबीर कहते हैं कि गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े हों, तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए। गुरु का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि वे हमें भगवान का रास्ता दिखाते हैं। उनके मार्गदर्शन के बिना हम भगवान तक नहीं पहुँच सकते। यह दोहा गुरु के प्रति श्रद्धा और उनके ज्ञान के महत्व को दर्शाता है।  

प्रश्न 10: कबीर के दोहों में संतुलन का क्या महत्व है? (3 अंक)  
उत्तर: कबीर कहते हैं कि किसी भी चीज़ की अधिकता अच्छी नहीं होती। बहुत ज्यादा बोलना, चुप रहना, बारिश या धूप, सब हानिकारक हैं। उदाहरण के लिए, ज्यादा बोलने से लोग परेशान होते हैं, और ज्यादा चुप रहने से ज़रूरी बातें छिप जाती हैं। इसलिए, हर चीज़ में संतुलन रखना चाहिए ताकि जीवन में सामंजस्य बना रहे।  

प्रश्न 11: कबीर के अनुसार बड़ा होने का क्या अर्थ है? (3 अंक)  
उत्तर: कबीर कहते हैं कि केवल ऊँचा होना या बड़ा पद पाना महत्वपूर्ण नहीं है। खजूर का पेड़ ऊँचा होता है, लेकिन वह न तो छाया देता है और न ही फल आसानी से मिलता है। उसी तरह, जो व्यक्ति बड़ा होने के बावजूद दूसरों की मदद नहीं करता, उसका बड़ा होना बेकार है। असली महानता दूसरों के काम आने में है।  

प्रश्न 12: कबीर के दोहों से मिलने वाली तीन शिक्षाओं का वर्णन करें। (5 अंक)  
उत्तर: कबीर के दोहों से हमें निम्नलिखित शिक्षाएँ मिलती हैं:  

  1. सच्चाई का महत्व: कबीर कहते हैं कि सच्चाई सबसे बड़ा तप है और झूठ सबसे बड़ा पाप। सच बोलने से मन में अच्छी समझ आती है और विश्वास बना रहता है।  
  2. गुरु का सम्मान: गुरु को भगवान से भी पहले स्थान दिया गया है, क्योंकि वे हमें सही रास्ता और भगवान तक पहुँचने का मार्ग दिखाते हैं।  
  3. अच्छी संगति: मन एक पक्षी की तरह है, और जैसी संगति होगी, वैसा ही फल मिलेगा। इसलिए, हमें अच्छे लोगों की संगति में रहना चाहिए ताकि हमारा स्वभाव और जीवन अच्छा बने।

प्रश्न 13: कबीर के दोहों में वर्णित अच्छे शब्दों और निंदक की भूमिका का वर्णन करें। (5 अंक)  
उत्तर: कबीर कहते हैं कि हमें ऐसी बातें बोलनी चाहिए जिनमें घमंड न हो और जो दूसरों को शांति दें। ऐसी नम्र और शांतिपूर्ण बातें न केवल सुनने वालों के दिल को ठंडक देती हैं, बल्कि बोलने वाले को भी खुशी देती हैं। उदाहरण के लिए, प्यार और सम्मान से भरी बातें सबके बीच सौहार्द बढ़ाती हैं।
दूसरी ओर, कबीर निंदक (बुराई बताने वाले) को पास रखने की सलाह देते हैं। निंदक हमारी कमियों को उजागर करता है, जिससे हम अपने स्वभाव को सुधार सकते हैं। यह सुधार बिना किसी खर्च के होता है, जैसे बिना पानी और साबुन के सफाई। दोनों ही शिक्षाएँ हमें बेहतर इंसान बनने और समाज में शांति बनाए रखने के लिए प्रेरित करती हैं।

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FAQs on Unit Test (Solutions): कबीर के दोहे - Hindi Class 8

1. कबीर के दोहे क्या होते हैं और इनमें क्या संदेश होते हैं?
Ans. कबीर के दोहे सरल और प्रभावशाली काव्य होते हैं, जो जीवन की गहराइयों को समझाते हैं। इन दोहों में भक्ति, समाज सुधार, और मानवता का संदेश होता है। कबीर ने अपने दोहों के माध्यम से जाति, धर्म और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई है।
2. कबीर के दोहों की खासियत क्या है?
Ans. कबीर के दोहों की खासियत उनकी संक्षिप्तता और गहराई है। ये दोहे आम बोलचाल की भाषा में होते हैं, जिससे सभी लोग आसानी से समझ सकते हैं। इसके अलावा, कबीर का दृष्टिकोण हमेशा सत्य और आत्मा के संबंध में होता है, जो उन्हें अन्य कवियों से अलग बनाता है।
3. कबीर के दोहों का सामाजिक प्रभाव क्या रहा है?
Ans. कबीर के दोहों ने समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया है। उन्होंने समाज में फैले अंधविश्वास, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ न केवल आवाज उठाई, बल्कि लोगों को एकजुट होने का भी संदेश दिया। उनके विचार आज भी समाज में प्रासंगिक हैं और प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
4. कबीर के दोहे किस प्रकार की साहित्यिक शैली में लिखे गए हैं?
Ans. कबीर के दोहे मुख्यतः 'संत साहित्य' की श्रेणी में आते हैं। ये दोहे छंदबद्ध होते हैं और इनमें भावनाओं का गहरा भाव होता है। कबीर ने अपनी रचनाओं में मीरा, नानक जैसे संतों की परंपरा को आगे बढ़ाया है, जिससे संत परंपरा का एक मजबूत आधार बना।
5. कबीर के दोहों का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?
Ans. कबीर के दोहों का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि ये न केवल काव्य के रूप में बल्कि दार्शनिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। ये दोहे हमें जीवन के वास्तविक अर्थ, मानवता, और सच्चाई की खोज में मदद करते हैं। इसके अलावा, कबीर के विचार आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जिससे युवाओं को सही दिशा में सोचने की प्रेरणा मिलती है।
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