समय: 1 घंटा
पूर्णांक: 30
सभी प्रश्नों का प्रयास करें।
प्रश्न संख्या 1 से 5 तक 1 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
प्रश्न संख्या 6 से 8 तक 2 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
प्रश्न संख्या 9 से 11 तक 3 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
प्रश्न संख्या 12 और 13 तक 5 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
प्रश्न 1: रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की माँ की सबसे बड़ी इच्छा क्या थी? (1 अंक)
(i) बेटे का विवाह जल्दी हो जाए
(ii) बेटा शिक्षा पूरी करने के बाद ही विवाह करे
(iii) बेटा सेवा-समिति में न जाए
(iv) बेटा पिता की तरह व्यापार करे
उत्तर: (ii)
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की माँ शिक्षा के महत्व को समझती थीं और उन्होंने परिवार के विरोध के बावजूद अपने बेटे को शिक्षा पूरी करने के बाद ही विवाह करने की सलाह दी, जो उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है।
प्रश्न 2: बिस्मिल की माँ ने हिंदी पढ़ना कब और कैसे सीखा? (1 अंक)
(i) स्कूल जाकर
(ii) घर पर सखी-सहेलियों से
(iii) पति से
(iv) दादी से
उत्तर: (ii)
बिस्मिल की माँ ने घर पर आने वाली शिक्षित सखी-सहेलियों से अक्षर-बोध किया और स्वयं परिश्रम से हिंदी पढ़ना सीखा, जो उनकी इच्छाशक्ति को दिखाता है।
प्रश्न 3: बिस्मिल की माँ ने कौन-सी शिक्षा दी थी? (1 अंक)
(i) परिस्थिति चाहे जैसी हो, हमेशा सत्य बोलो
(ii) झूठ बोलकर बच निकलना
(iii) पिता की जगह दस्तख़त करना
(iv) मुकदमा जीतने के लिए कोई भी उपाय करना
उत्तर: (i)
बिस्मिल की माँ ने सिखाया था कि किसी भी परिस्थिति में सत्य का पालन करो। यही कारण था कि बिस्मिल ने पिता की जगह दस्तख़त करने से मना कर दिया।
प्रश्न 4: बिस्मिल ने अपनी माँ की तुलना किससे की है? (1 अंक)
(i) गुरु गोबिंद सिंह की पत्नी से
(ii) मेजिनी की माँ से
(iii) भगत सिंह की माँ से
(iv) दादी से
उत्तर: (ii)
बिस्मिल ने अपनी माँ की क्रांतिकारी जीवन में सहायता की तुलना मेजिनी की माँ से की, जो इटली के राष्ट्रवादी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं।
प्रश्न 5: बिस्मिल की माँ शाहजहाँपुर कब आईं? (1 अंक)
(i) जन्म के समय
(ii) ग्यारह वर्ष की उम्र में विवाह के बाद
(iii) शिक्षा के लिए
(iv) सेवा-समिति में
उत्तर: (ii)
बिस्मिल की माँ ग्यारह वर्ष की उम्र में विवाह कर शाहजहाँपुर आईं और वहां उन्होंने घरेलू कार्य सीखे, जो उस समय की सामाजिक स्थिति को दर्शाता है।
प्रश्न 6: बिस्मिल की माँ ने परिवार के विरोध के बावजूद कैसे उनका समर्थन किया? विस्तार से बताइए। (2 अंक)
उत्तर: बिस्मिल की माँ ने पिता और दादी के विरोध के बावजूद उन्हें लखनऊ कांग्रेस जाने के लिए खर्च दिया और सेवा-समिति में सहयोग करने दिया। वे उनके उत्साह को बनाए रखती थीं और शिक्षा को प्राथमिकता देती थीं, जिससे बिस्मिल में दृढ़ता आई। यह समर्थन उन्हें क्रांतिकारी जीवन में भी मिला, जहां माँ ने उन्हें प्रोत्साहित किया लेकिन अहिंसा का पालन कराया।
प्रश्न 7: बिस्मिल की माँ ने स्वयं को शिक्षित कैसे किया? (2 अंक)
उत्तर: बिस्मिल की माँ ने घरेलू कार्यों के बाद बचे समय में स्वयं पढ़ना-लिखना सीखा। वे मुहल्ले की शिक्षित सखी-सहेलियों से अक्षर-बोध करती थीं और परिश्रम से देवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करने लगीं। बाद में उन्होंने अपनी बेटियों को भी शिक्षा दी, जो उनकी स्व-शिक्षा की शक्ति को दिखाता है।
प्रश्न 8: बिस्मिल की माँ ने बेटियों की शिक्षा के लिए क्या प्रयास किए? (2 अंक)
उत्तर: बिस्मिल की माँ ने स्वयं शिक्षित होकर अपनी बेटियों को भी अक्षर-बोध कराया और प्रारंभिक शिक्षा दी। वे उन्हें देवनागरी पढ़ना सिखाती थीं और घरेलू कार्यों के साथ पढ़ाई का वातावरण बनाती थीं।
प्रश्न 9: बिस्मिल ने अपनी माँ को ‘देवी’ क्यों कहा? समझाइए। (3 अंक)
उत्तर: बिस्मिल ने अपनी माँ को ‘देवी’ कहा क्योंकि उन्होंने उनके जीवन में साहस और दृढ़ता उत्पन्न की। माँ ने परिवार के विरोध के बावजूद उनका समर्थन किया, शिक्षा पर जोर दिया और क्रांतिकारी कार्यों में सहायता की। गुरुदेव सोमदेव जी के साथ माँ की कृपा से ही बिस्मिल देश-सेवा में लग सके। माँ की प्रेम भरी वाणी और उपदेश ने उन्हें संकटों में धैर्य दिया, जो उन्हें देवी जैसा बनाता है।
प्रश्न 10: रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के चरित्र की मुख्य बातें बताइए। (3 अंक)
उत्तर: रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ बहुत बहादुर, सच्चे और देशभक्त थे। वे छोटे उम्र से ही अंग्रेजों से लड़ते रहे। जेल में भी उन्होंने बहुत कष्ट सहे और चुपके से अपनी कहानी लिखी। वे हमेशा सच बोलते थे, जैसे जब पापा के नाम पर झूठे हस्ताक्षर करने को कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया। वे अपनी माँ की बात मानते थे और किसी को मारने से बचते थे। आर्य समाज से जुड़कर उनके विचार अच्छे और खुले हुए। वे पढ़ाई और अच्छे कामों को बहुत महत्व देते थे, इसलिए वे साधारण इंसान नहीं, बल्कि एक बड़ा क्रांतिकारी बने।
प्रश्न 11: बिस्मिल की आत्मकथा में माँ के प्रति भावुकता कैसे व्यक्त हुई है? (3 अंक)
उत्तर: बिस्मिल ने माँ को जन्मदात्री जननी कहकर उनका ऋण उतारने की असमर्थता व्यक्त की। वे कहते हैं कि माँ की देववाणी और प्रेम ने उनका सुधार किया। संकटों में माँ ने सांत्वना दी और अंत में वे माँ के चरणों की सेवा की इच्छा रखते हैं। वे उम्मीद करते हैं कि माँ उनकी मृत्यु पर धैर्य रखेंगी, क्योंकि वे भारत माता की सेवा में बलिदान हुए। यह भावुकता माँ के त्याग और प्रेम को उजागर करती है।
प्रश्न 12: पाठ में बिस्मिल की माँ के चरित्र की विशेषताओं का वर्णन करें। (5 अंक)
उत्तर: बिस्मिल की माँ का चरित्र दृढ़, प्रेमपूर्ण और उदार है। वे ग्यारह वर्ष की उम्र में विवाह कर आईं और घरेलू कार्य सीखकर परिवार को संभाला। स्वयं शिक्षित होकर बहनों को पढ़ाया। परिवार के विरोध में बेटे का समर्थन किया, लखनऊ कांग्रेस के लिए खर्च दिया और सेवा-समिति में सहयोग दिया। आर्यसमाज से प्रभावित होकर विचार उदार किए। क्रांतिकारी जीवन में सहायता दी लेकिन प्राणहानि न करने का आदेश दिया। वे स्नेहपूर्ण ताड़ना देतीं और संकटों में धैर्य सिखातीं। अंत में बिस्मिल उन्हें देवी मानते हैं, जिनकी कृपा से वे देश-सेवा में लगे। यह चरित्र त्याग, इच्छाशक्ति और मातृत्व की मिसाल है।
प्रश्न 13: पाठ के आधार पर बिस्मिल की माँ के क्रांतिकारी जीवन में योगदान का वर्णन करें। (5 अंक)
उत्तर: बिस्मिल की माँ ने क्रांतिकारी जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसा मेजिनी की माँ ने किया। वे पिता-दादी के विरोध में बेटे का उत्साह बनाए रखतीं और डाँट-फटकार सहतीं। शिक्षा पर जोर देकर दृढ़ता उत्पन्न की, जिससे बिस्मिल संकल्प पर अटल रहे। आर्यसमाज प्रवेश के बाद वार्तालाप से विचार उदार किए। सबसे बड़ा योगदान उनका आदेश था कि किसी की प्राणहानि न हो, जिसके लिए बिस्मिल ने प्रतिज्ञा भंग की। भावुक रूप से वे माँ को ऋणी मानते हैं, जिनकी प्रेम भरी वाणी ने जीवन सुधारा। मृत्यु पर वे उम्मीद करते हैं कि माँ धैर्य रखेंगी, क्योंकि बेटा भारत माता की सेवा में बलिदान हुआ। यह योगदान भावनात्मक और नैतिक समर्थन का है, जो बिस्मिल को महान बनाता है।
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