प्रश्न 1: लोमड़ी और चील की कहानी।
उत्तर: एक बार की बात है, एक जंगल में एक चतुर और चालाक लोमड़ी रहती थी। लोमड़ी हमेशा भोजन की तलाश में रहती थी और अपनी भूख मिटाने के लिए कुछ भी कर सकती थी। एक दिन, जब लोमड़ी भोजन की तलाश में निकली, तो उसने एक पेड़ के ऊपर एक घोंसला देखा। घोंसला एक चील का था, और उसके अंदर तीन अंडे थे।
लोमड़ी ने मन ही मन सोचा, “मैं अपने अगले भोजन के लिए उन अंडों को चुरा लेती हूँ। तो उसने इसके लिए एक प्लान बनाया। वह तब तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करता रहा जब तक चील भोजन की तलाश में घोसला छोड़कर नहीं चली गई। जैसे ही चील नजरों से ओझल हुई, लोमड़ी पेड़ पर चढ़ गई और उनमें से एक अंडा चुरा लिया। वह घोंसला छोड़ने ही वाला था कि चील लौट आई।
लोमड़ी ने जो किया उसे देखकर चील को बहुत गुस्सा आया। उसने झपट्टा मारा और लोमड़ी को अपने पंजों में उठा लिया, उसे अपने घोंसले में ले जाने के लिए तैयार हो गई।
लेकिन लोमड़ी तेज-तर्रार थी और बोली, “कृपया, हे शक्तिशाली चील, मुझे जाने दो। मैं अपने भूखे परिवार को खिलाने के लिए केवल एक अंडा ले रही थी। मैं वादा करती हूं कि मैं ऐसा फिर कभी नहीं करूंगी।”
चील ने लोमड़ी की दलील सुनी और उसे एक मौका देने का फैसला किया। उसने उसे जाने दिया और देखता रहा कि वह भाग रहा है। लोमड़ी ने सोचा कि उसने चील को मात दे दी है और वह अपने आप में बहुत खुश महसूस कर रही थी। लेकिन चील की अपनी एक योजना थी।
कुछ दिनों बाद चील ने लोमड़ी की मांद का दौरा किया और शांति बनाने की पेशकश की। लोमड़ी हैरान थी लेकिन उसने उसके प्रस्ताव को स्वीकार करने का फैसला किया।
चील ने फिर कहा, “मेरे दोस्त, मेरे पास तुम्हारे लिए एक उपहार है। यह एक सुंदर पक्षी का पंख है जो तुम्हारे लिए सौभाग्य लाएगा।” लोमड़ी उपहार पाकर रोमांचित हो गई और उसने बाज को धन्यवाद दिया।
लेकिन जैसे ही बाज चला गया, लोमड़ी को एहसास हुआ कि उसके साथ छल किया गया है। पंख उसके गले में फंस गया था और वह सांस नहीं ले पा रहा था। उसने उसे बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। वह चील के घोंसले की ओर भागा और उससे मदद की भीख माँगी।
चील, जो दूर से ही सब देख रही थी, ने देखा कि लोमड़ी को क्या हुआ है और लोमड़ी के पास उड़ गई। उसने धीरे से लोमड़ी के गले से पंख हटा दिया और कहा, “याद रखो, मेरे दोस्त, कि ईमानदारी और दया हमेशा सबसे अच्छी नीति होती है। यदि आप अपने दिल का पालन करते हैं और सही करते हैं तो आप कभी गलत नहीं होंगे।”
उस दिन से, लोमड़ी और चील बहुत अच्छे दोस्त बन गए, और लोमड़ी ने एक मूल्यवान सबक सीखा। उसने फिर कभी चील से चोरी नहीं की और हमेशा हर किसी से मिलने के लिए ईमानदार और दयालु बनने की कोशिश की।
कहानी की शिक्षाः इस कहानी से हमें यह नैतिक शिक्षा मिलती है कि ईमानदारी और दयालुता को हमेशा पुरस्कृत किया जाएगा, और छल और कपट हमेशा परेशानी का कारण बनेगा।
प्रश्न 2: प्यासे कौवे की कहानी।
उत्तर: एक बार की बात है, एक कौआ था। वह बहुत प्यासा था, और पूरे दिन पानी की तलाश में यहाँ वहां घूम रहा था। उसने हर जगह देखा पर उसे कुछ नहीं मिला।
उड़ते उड़ते वह एक खेत में पंहुचा, जहाँ उसे एक पतली गर्दन वाला एक मिट्टी का बर्तन दिखा। वह नीचे उतरा और अंदर देखा, कि बर्तन में कुछ पानी था।
कौआ खुश हो गया! लेकिन वह पानी तक नहीं पहुंच पा रहा था । उसने अपनी चोंच और पंखों के साथ बर्तन को धक्का देने की कोशिश की, लेकिन यह उससे हिल भी नहीं रहा था।
कौआ को बहुत प्यास लगी थी पर वो बहुत बेबस था। तब उसे एक विचार आया।
उसने कुछ कंकड़ उठाए और उन्हें एक – एक करके बर्तन में गिरा दिए । जैसे जैसे कंकड़ बर्तन में गिरते गए, पानी का स्तर ऊप्पर आता गया ।
थोड़ी ही देर में पानी बर्तन के ऊप्पर आ गया और कौआ यह देखकर बहुत खुश हुआ। उसने जल्दी से अपनी प्यास बुझाई और वहां से उड़ गया।
कहानी की शिक्षा: इस कहानी से हमें यह नैतिक शिक्षा मिलती है कि जब हम कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं, तब भी थोड़ा विचार और प्रयास करके हम उन्हें दूर करने का एक तरीका खोज सकते हैं।
प्रश्न 3: रंगीन अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी।
उत्तर: एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में, एक बहुत ही खास मुर्गी रहती थी। यह मुर्गी कोई साधारण मुर्गी नहीं थी – उसमें रंगीन अंडे देने की अद्भुत क्षमता थी! इस अद्भुत मुर्गी की खबर तेजी से पूरे गांव में फैल गई, और हर कोई उसके रंगीन अंडों को देखने को उत्सुक था। यह बात गाँव के स्कूल तक पहुंच गई और पहली कक्षा के बच्चे इस अद्भुत मुर्गी के बारे में और अधिक जानने के लिए विशेष रूप से उत्साहित थे।
एक दिन सुबह, मुर्गी के मालिक, मोहन नाम के एक दयालु किसान ने मुर्गी को स्कूल में लाने का फैसला किया ताकि बच्चे उसे खुद देख सकें। जैसे ही मोहन मुर्गी को गोद में लेकर कक्षा में दाखिल हुआ, तो बच्चे बहुत खुश हो गए ।
मोहन ने धीरे से मुर्गी को कक्षा के बीच में एक रंगीन चटाई पर रख दिया। मुर्गी ख़ुशी से कुड़कुड़ाने लगी, बच्चे चारों ओर इकट्ठे हो गए, उनकी आँखें आश्चर्य से भर गईं।
और फिर, जादू की तरह, मुर्गी ने अपना पहला अंडा दिया। लेकिन ये कोई आम अंडा नहीं था. वह चमकीला नीला रंग था, बिलकुल गर्मियों के साफ़ आसमान की तरह। बच्चे आश्चर्य से देखने लगे, उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
मुर्गी का मालिक मुर्गी को रोज़ स्कूल ले जाता
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मुर्गी अलग-अलग रंग के अंडे देती रही। प्रत्येक नये रंग के अण्डे देखकर बच्चे बहुत खुश होते थे।
बच्चे यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते थे कि मुर्गी के अंडे अगले किस रंग के होंगे। वे हर सुबह मुर्गी के पास इकट्ठा होते थे और जादुई अंडे देने का इंतज़ार करते थे। जब भी कोई नया अंडा सामने आता तो वे खुशी से खिलखिलाते और ताली बजाते।
अंडे न केवल दिखने में शानदार थे, बल्कि उनका स्वाद भी स्वादिष्ट था। मोहन अंडे इकट्ठा करता था और उन्हें बच्चों के साथ बांटता था, जो दोपहर के भोजन के समय उन्हें खाते थे। अंडे न केवल बच्चों में उत्साह बल्कि एकता की भावना भी लेकर आए।
कहानी की शिक्षा: यह हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी, सबसे सामान्य चीजें भी सबसे असाधारण हो सकती हैं। यह हमें उस सुंदरता की सराहना करना सिखाता है जो सबसे सरल चीजों में पाई जा सकती है, जैसे कि रंगीन अंडे देने वाली मुर्गी।
प्रश्न 4: चतुर खरगोश और शेर की कहानी।
उत्तर: एक बार की बात है, हरे-भरे जंगल में, राजू नाम का एक चतुर छोटा खरगोश रहता था। वह अपनी तेजी से सोचने की क्षमता और चालाक रणनीतियों के लिए जाना जाता था।
राजू जंगल का सबसे ताकतवर या तेज़ जानवर नहीं था, लेकिन उसने अपनी बुद्धि और समझदारी से इसकी भरपाई कर ली। एक दिन, जब राजू इधर-उधर घूम रहा था, उसने देखा कि लियो नाम का एक भयंकर शेर उसकी ओर आ रहा था। लियो जंगल का राजा था और उससे सभी जानवर डरते थे। राजू जानता था कि अगर उसे शेर से बचना है तो उसे शेर को मात देनी होगी।
राजू ने तुरंत एक योजना बनाई। वह लियो के पास गया और मित्रवत मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया।
“शुभ दिन, महामहिम! मैंने आपकी ताकत और बहादुरी के बारे में बहुत कुछ सुना है,” राजू ने शेर की चापलूसी करने की कोशिश करते हुए कहा।
लियो, खरगोश की बातें सुनकर गर्वित महसूस करने लगा और बहुत प्रसन्न हो गया। उसने अपनी छाती फुलाकर उत्तर दिया, “धन्यवाद, छोटे खरगोश! मैं वास्तव में जंगल का सबसे मजबूत और बहादुर जानवर हूं।”
राजू ने शेर की ताकत से आश्चर्यचकित होने का नाटक किया और कहा, “हे महाराज, मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि आपको इतनी अद्भुत ताकत कैसे मिलती है। क्या कोई रहस्य है जिसे आप मेरे साथ साझा कर सकते हैं?”
खरगोश की जिज्ञासा से खुश होकर शेर ने शेखी बघारी, “ठीक है, छोटे खरगोश, मेरी ताकत उस पानी से आती है जो मैं जंगल के जादुई कुएं से पीता हूं। यह मुझे बेजोड़ शक्ति देता है और मुझे जंगल का राजा बनाता है।”
राजू की योजना सफल हो रही थी। उसने उत्सुकता दिखाते हुए कहा, “ओह, कितनी आकर्षक बात है ! क्या आप कृपया मुझे वह जादुई कुआँ दिखा सकते हैं, महामहिम?
अपनी ताकत दिखाने के लिए उत्सुक लियो, राजू को जादुई कुएं में ले जाने के लिए सहमत हो गया। वे दोनों उछलते-कूदते जंगल में चलते रहे, जब तक कि वे एक गहरे कुएँ तक नहीं पहुँच गए।
“यहाँ है, छोटा खरगोश,” लियो ने गर्व से कहा। “वह जादुई कुआँ जो मुझे ताकत देता है।”
राजू ने चकित होने का नाटक करते हुए कहा, “हे महाराज, यह सचमुच जादुई लग रहा है! क्या आप मेरे सामने इस शक्तिशाली पानी को पी कर दिखा सकते है ?”
बिना किसी हिचकिचाहट के, लियो कुएं पर झुक गया और काफी देर तक पानी पीया। लेकिन जैसे ही वह पानी पी रहा था, राजू तेजी से दूर चला गया और चिल्लाया, “जल्दी करो, महाराज! जादुई कुआँ ढह रहा है!”
चौंककर शेर ने ऊपर देखा और कुएं में दूसरे शेर का प्रतिबिंब देखा। यह सोचकर कि यह कोई दूसरा शेर उस पर हमला कर रहा है, लियो को गुस्सा आ गया और उस दूसरे शेर से लड़ने के लिए कुएं में कूद गया।
यह सारा दृश्य खरगोश दूर से देख रहा था और आखिरकार उसने जंगल के राजा को सफलतापूर्वक मूर्ख बना दिया और सभी जानवरो को उसके चंगुल से बचा लिया।
यह बात पुरे जंगल में फैल गयी और उस दिन से खरगोश जंगल का सबसे बुद्धिमान जानवर बन गया।
कहानी की शिक्षा: इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हमेशा ताकत से नहीं दिमाग से भी काम लेना चाहिए।
प्रश्न 5: कुत्ते का हड्डी के लिए लालच।
उत्तर: एक बार एक कुत्ता खाने के लिए सड़क पर कुछ ढूंढ रहा था, अचानक उसकी नजर एक हड्डी पर पड़ी। हड्डी देखकर वो बहुत खुश हो गया और उसके पास गया। वह हड्डी बहुत रसेली थी तो कुत्ते ने फोरन उसको अपने मुह में दबा लिया और अपने घर की और चलने लगा।
रास्ते में एक नदी आई जो उसे पार करनी थी। जब वो नदी पार कर रहा था को उसे एक और कुत्ता अपने साथ चलता हुआ दिखाई दिया , जिसके मुह में भी हड्डी थी।
कुत्ते को यह देखकर लालच आ गया। उसने सोचा की अगर मैं उस दूसरे कुत्ते से वो हड्डी भी ले लू तो मेरे पास 2 हड्डी हो जाएगी।
उसने जैसे ही दूसरे कुत्ते की हड्डी पकडऩे के लिए अपना मुह खोला तो उसकी अपनी हड्डी नदी में गिर गई और बह गई। तब उसे समझ में आया कि वो दूसरा कुत्ता, उसका अपना दर्पण था जो पानी में उसे दिख रहा था। उस दिन वह कुत्ता दुखी हो गया और उसे उस दिन भूखे ही सोना पड़ा।
कहानी की शिक्षा: हमारे पास जो कुछ भी है हमें हमेशा उसी में खुश रहना चाहिए , अगर हम दुसरो को देख कर ईर्ष्या करते रहेंगे तो अभी जो हमारे पास है वो भी खो देंगे।
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