प्रश्न 1. बच्चे सारा दिन क्या करते थे?
बच्चे सारा दिन उधम मचाने के अलावा कुछ नहीं करते थे।
प्रश्न 2. क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे।
बच्चों द्वारा लिया गया निर्णय उचित नहीं था क्योंकि स्वयं हिलकर पानी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कामचोर बना देगा। वे कभी-भी कोई काम करना सीख ही नहीं पाएँगें।
प्रश्न 3. “या तो बच्चाराज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।” अम्मा ने कब कहा और इसका परिणाम क्या हुआ?
अम्मा ने बच्चों द्वारा किए गए घर के हालत को देखकर ऐसा कहा था। जब पिताजी ने बच्चों को घर के काम काज में हाथ बँटाने को कहा तब उन्होंने इसके विपरीत सारे घर को तहस-नहस कर दिया। सारे घर का हूलिया ही बदल डाला था। काम कम करने के बजाए उन्होंने घर का काम कई गुना बढ़ा दिया जिससे अम्मा जी बहुत परेशान हो गई थीं। इसका परिणाम यह हुआ कि पिताजी ने घर की किसी भी चीज़ को बच्चों को हाथ ना लगाने कि हिदायत दे डाली। अगर किसी ने घर का काम किया तो उसे रात का खाना नहीं दिया जाएगा।
प्रश्न 4. ‘कामचोर’ कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की? इन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं?
कामचोर कहानी सयुंक्त परिवार की कहानी है इन दोनों में अन्तर इस प्रकार है –
एकल परिवार
- एकल परिवार में सदस्यों की संख्या तीन से चार होती है – माँ, पिता व बच्चे होते है।
- एकल परिवार में सारा कार्य स्वयं करना पड़ता है।
- एकल परिवार में जीवन के सुख-दुख का अकेले सामना करना पड़ता है।
संयुक्त परिवार
- सयुंक्त परिवार में सदस्यों की संख्या ज़्यादा होती है क्योंकि इसमें चाचा-चाची ताऊजी-ताईजी, माँ-पिताजी, बच्चे सभी सम्मिलित होते हैं।
- संयुक्त परिवार में सबलोग मिल-जुलकर कार्य करते हैं।
- सयुंक्त परिवार में सारे सदस्य मिलकर जीवन के सुख-दुख का सामना करते है।
प्रश्न 5. कीचड़ में लथपथ बच्चों को नहलाने के लिए कहाँ से नौकर बुलाए गए?
कीचड़ में लथपथ बच्चों को नहलाने के लिए पास के बंगलों से नौकर बुलाए गए।
प्रश्न 6. अब्बा का शाही फरमान क्या था?
अब्बा का शाही फरमान था कि जो काम नहीं करेगा, उसे रात का खाना हरगिज नहीं मिलेगा।
प्रश्न 7. कहानी में मोटे-मोटे किस काम के हैं? किन के बारे में और क्यों कहा गया?
कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ बच्चों के बारे में कहा गया है क्योंकि वे सारे दिन खेलते-कूदते रहते थे परन्तु घर के कामकाज में ज़रा सी भी मदद नहीं करते थे।
प्रश्न 8. ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है?
'कामचोर' से यही सीख मिलती है कि काम के लिए समझदारी होना आवश्यक है। पाठ में अब्बा ने बच्चों को काम तो दे दिया परन्तु उन्हें किस प्रकार करना है वह बच्चों को नहीं समझाया। बच्चों को घर के कामों से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए। उन्हें उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना चाहिए। जिससे बचपन से ही उनमें काम के प्रति लगन तथा रूचि उत्पन्न हो सके।
प्रश्न 9. बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई?
बच्चों के ऊधम मचाने से घर अस्त-व्यस्त हो गया था। कालीन को झाड़ते वक्त पूरे घर में धूल भर दी गई थी। झाड़ू टूट चुकी थी और उसकी सींके गायब थीं। चारों तरफ टूटे हुए तसले, बालटियाँ, लोटे, कटोरे बिखरे पड़े थे। घर के सारे बर्तन अस्त-व्यस्त हो गए थे। सारे घर में मुर्गियाँ ही मुर्गियाँ थीं। भेड़ें इधर - उधर दौड़ रही थीं। चाचा बेचारे तो जैसे अपनी जान बचा ही पाए थे। तरकारी वाली तो अपनी तरकारी खराब होने का मातम रो-रोकर माना रही थी। यहाँ तक कि बच्चों को नहलाने धुलाने के लिए नौकरों को पैसे देने पड़े। इन सब के कारण पारिवारिक शांति भी भंग हो गई थी। अम्मा ने तो घर छोड़ने तक का फैसला ले लिया था।
प्रश्न 10. भेड़ों ने क्या उत्पात मचाया?
भेड़ें भूखी थीं इसलिए दाने का सूप देखते ही सबके सब झपट पड़ी। तख्तों पर चढ़ी और पलंगों पर फलांगती हुई सब कुछ रौंदती हुई मेंगनों का छिड़काव करती हुई दौड़ गई। ऐसा लगा जैसे जर्मनी की सेना टैंकों और बमबारों सहित उधर से छापा मारकर गुजर गई हो। जहाँ - जहाँ से सूप गुजरा, भेड़ें शिकारी कुत्तों की तरह गंध सूँघती हुई हमला करती गईं। बानी दीदी का दुपट्टा रौंदा गया। सोती हुई हज्जन माँ के ऊपर से पूरी फौज ही निकल गई। भेड़ें तरकारी वाली की तरकारियाँ देखते ही देखते चट्ट कर गई।
प्रश्न 11. कहानी में भागते भेड़ों की तुलना किससे की गई हैं और क्यों?
कहानी में सूप के पीछे भागती भेड़ों की तुलना जर्मनी के टैंकों बमबारी सेना से की गई है क्योंकि भेड़ें जहाँ से भी गुजर रहीं थी वे सबकों निःसंकोच रौंदती जा रही थीं।
प्रश्न 12. कीचड़ में लथपथ बच्चों को कैसे नहलवाया गया?
कीचड़ में लथपथ बच्चों को नहलवाने के लिए नौकरों की वर्तमान संख्या काफी नहीं थी इसलिए पास के बंगलों से नौकर आए और चार आना प्रति बच्चा के हिसाब से नहलवाए गए।
प्रश्न 13. एक बड़ा सा मुर्गा कहाँ कूद पड़ा और उसका क्या परिणाम हुआ?
एक बड़ा सा मुर्गा अम्मा के खुले पानदान में कूद पड़ा और कत्थे - चूने में लुथड़े हुए पंजे लेकर नानी अम्मा के सफ़ेद दूध जैसी चादर पर छापे माड़ता हुआ निकल गया।
प्रश्न 14. भेड़ों को मारने पर कैसा लगता है?
भेड़ों को मारने पर ऐसा लगता है जैसे रुई के तकिए को कूट रहें हो। भेड़ को चोट ही नहीं लगती।
प्रश्न 15. पाठ में तरकारीवाली के साथ कौन सी घटना घटी?
तरकारीवाली मटर की फलियाँ तोल - तोल कर रसोइए को दे रही थी। इतने में ही भेड़ें सूप को भूल कर तरकारीवाली की टोकरी पर टूट पड़ी। उसने तरकारी बचाने के लिए कोशिश की परन्तु सब्जियों को बचा नहीं पाई। ज़रा सी देर में भेड़ों ने सब्जियाँ साफ कर दी।
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