प्रश्न 1. सुनील कौन था?
सुनील, तीस बत्तीस साल का एक युवक था जो मेम साहब की कोठी के सामने की एक कोठी में मोटर चलाता था।
प्रश्न 2. लेखिका जब अपने साहब को क्या कहकर पुकारती थी?
साहब ने लेखिका को भी उन्हें तातूश कहकर बुलाने को कहा था। इसी कारण से लेखिका अपने साहब को तातूश कहकर पुकारती थी।
प्रश्न 3. बेबी के बच्चों के बीमार होने पर तातूश क्या करते?
बेबी के बच्चों के बीमार होने पर तातूश फ़ौरन जाकर उनके लिए दवा लाते और उनका पूरा ख्याल भी रखते।
प्रश्न 4. बेबी के बच्चें स्कूल से घर देर से क्यूँ आते थे?
बेबी का छोटा लड़का और लड़की स्कूल से पढ़कर देर से घर लोटते थे क्यूँकि अब वे दोनो बड़े सरकारी स्कूल में पढ़ने जाने लगे थे।
प्रश्न 5. जब बेबी के बच्चों के साथ कहीं जाती तो क्या होता था?
जब बेबी के बच्चों के साथ कहीं जाती तो लोग उसे देख कर बहुत सी बातें करते, उससे सवाल करते और कभी-कभी तो ताना भी मारते थे।
प्रश्न 6. लेखिका घर में रह कर क्या सोचती रहती थी?
लेखिका घर में रह कर सब समय बस यही सोचती रहती थी कि काम ना मिला तो बच्चों को क्या खिलाऊँगी ? कैसे उन्हें पालूँगी- पोसूँगी ? उन्हें महीना ख़त्म होने पर घर का किराया देने की भी चिंता थी।
प्रश्न 7. साहब ने लेखिका से उनको क्या समझने को कहा?
साहब ने लेखिका से कहा कि वह उन्हें अपना बाप, भाई, माँ, बंधु, सब कुछ समझ सकती है। उन्होंने लेखिका को यह भी समझाया कि वह कभी भी ये ना सोचे की यहाँ उसका कोई नहीं है।
प्रश्न 8. अर्जुन दा को क्या ख़ाना पसंद था?
अर्जुन दा को अच्छी-अच्छी चीज़ें खाने का बहुत शौक़ था। चिकेन- विकेन, बिरयानी, पुलाव, कबाब, आलू - पराँठा, पुदीना- पराँठा, यह सब उसे अधिक पसंद था। साथ में टोमाटो सूप, चिकेन सूप, प्याज़ सूप जैसा कुछ हो तो और भी अच्छा।
प्रश्न 9. एक दिन साहब ने लेखिका से क्या पूछा?
एक दिन साहब ने लेखिका के इतने ज़्यादा काम करने से हैरान होकर लेखिका से पूछा कि तुम इतना सारा काम इतने कम समय में कैसे कर लेती हो? तातूश ने आगे पूछा कि तुमने यह सब कहाँ से सीखा है?
प्रश्न 10. लेखिका किसी के पास खड़े होकर बात क्यों नहीं करती थी?
लेखिका जब भी किसी के पास खड़े होकर बात करने जाती लोग उससे उसके स्वामी और निजी जीवन से सम्बंधित सवाल करने लगते थे। इसी कारण से लेखिका किसी के पास खड़े होकर बात नहीं करती थी।
प्रश्न 11. काम करते एक वर्ष हो जाने पर तातूश ने बेबी से क्या पूछा?
काम करते एक वर्ष हो जाने पर तातूश ने बेबी से पूछा “बेबी तुम्हें के पास आए, इस घर में आए एक वर्ष हो गया है। तुम सोच कर देखो और मुझे बताओ की तुम्हें कैसा लग रहा है? क्या क्या तुम्हें अच्छा लगा और क्या बुरा? यहाँ आकर तुमने क्या कुछ सीखा ?
प्रश्न 12. लेखिका को बच्चों के साथ अकेला रहते देख आस-पास के लोग उनसे क्या कहते थे?
लेखिका को बच्चों के साथ अकेला रहते देख आस-पास के लोग उनसे बहुत सवाल करते थे। सभी लोग उनसे पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा स्वामी वहाँ क्या करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी? तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता?
प्रश्न 13. आश्चर्य होकर सवाल करने पर लेखिका ने साहब को क्या जवाब दिया? क्यों?
आश्चर्य होकर सवाल करने पर लेखिका ने साहब को बताया कि उन्हें घर के काम करने में कोई असुविधा नहीं होती। लेखिका बचपन से ही बिना माँ के रही है और उनके बाबा भी सब समय घर पर नहीं होते थे। उनका सारा बचपन पढ़ने लिखने की जगह रसोई में बिता। इसी कारण से उनको बचपन से ही रसोई में जल्दी काम करने अभ्यास होता गया।
प्रश्न 14. काम से जाने के बाद बेबी की दिनचर्या लिखिए।
बेबी काम से जाने के बाद खाना बनाने में लग जाती और साथ ही साथ बच्चों को नहलाती- धुलाती। फिर उन्हें खिला - पिलाकर सुला देती। तीसरे पहर उनके साथ थोड़ा घूमती- घामती और शाम को संध्या- पूजाकर उन्हें पढ़ने बिठा देती हूँ। रात में फिर उन्हें खिला - पिलाकर सुला देती हूँ। पुनः अगले सवेरे जल्दी से जल्दी काम के लिए निकल पड़ती।
प्रश्न 15. लेखिका अपने साहब को तातूश क्यों बुलाती थी?
साहब ने लेखिका से स्वयं को तातूश कहकर पुकारने के लिए कहा था, तभी से लेखिका उन्हें तातूश कहकर बुलाती थी। साहब लेखिका को अपनी बेटी की तरह मानते थे। साहब के साथ-साथ उनका पूरा परिवार लेखिका व उनके बच्चों का ध्यान रखता था।
प्रश्न 16. बेबी की तबियत ख़राब होने पर तातूश क्या करते थे?
बेबी की तबियत ख़राब होने पर तातूश चिंता में पड़ जाते थे और बेबी का कुछ काम स्वयं करने लग जाते थे। वह बेबी को ज़बरदस्ती पड़ोस के डॉक्टर के पास भेज देते थे। डॉक्टर से बेबी की दवा लिखवा देते और फिर तातूश पर्ची पर लिखी दवाई जल्दी से जाकर ले आते। तातूश सिर्फ़ दवा लाते ही नहीं बल्कि जिस समय जो दवा खानी है उसे निकालकर बेबी को देते भी थे। दवा के लिए बेबी जब आना-कानी करने लगती तो भी वह ज़बरन उसे दवाई खिला देते। अतः बेबी जब तक ठीक नहीं हो जाती थी तातूश उसका पूरी तरह से ख़्याल रखते थे।
प्रश्न 17. बेबी की जीवन में यदि तातूश का परिवार नहीं आया होता, तो उसका जीवन कैसा होता?
बेबी का जीवन, तातूश के परिवार के सम्पर्क में आने से पहले अनेक परेशानियों से भरा हुआ था। परंतु जब बेबी तातूश के परिवार से मिली, और तातूश के घर में काम करना शुरू किया तब से उसे आवास, भोजन आदि की समस्याओं से राहत मिल गयी। बेबी ने अपने बच्चों का अच्छी तरह से पालन- पोषण किया। तातूश बेबी को अपनी लड़की की तरह मानते थे। यदि बेबी तातूश के परिवार से नहीं मिली होती तो शायद उनका जीवन नरकीय होता। बेबी को समाज के लोगों द्वारा शोषण का शिकार होना पड़ता और लोगों के अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ता। इसके अतिरिक्त उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा भी नहीं मिल पाती। उसके बच्चें या तो भटक रहे होते या किसी के घरों में काम कर रहे होते। अतः उसका और उसके बच्चों का जीवन कठिन और धूमिल हो जाता।
प्रश्न 18.आलो-आँधारि की लेखिका और उनके द्वारा लिखित इस लेखन को संदर्भित करें।
आलो-आँधारि की लेखिका बेबी हालदार है। इनका जन्म जम्मू कश्मीर के किसी स्थान पर हुआ परिवार की आर्थिक सि्थति कमज़ोर होने के कारण तेरह वर्ष की आयु में इनका विवाह दुगुनी उम्र के व्यक्ति से कर दिया गया था। इस कारण से उनको सातवीं कक्षा में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बारह तेरह वर्षों के बाद पति की ज़्यादतियाँ से परेशान होकर बेबी अपने तीन बच्चों सहित पति का घर छोड़ कर दुर्गापुर से फ़रीदाबाद आकर रहने लगी। लेखिका बेबी हालदार की एक मात्र रचना है- ‘आलो-आँधारि’ । यह मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखी गयी तथा बाद इसका हिंदी अनुवाद किया गया। इस रचना में लेखक की आत्मकथा लिखी है। यह उन करोड़ों झुग्गियों की कहानी है जिसमें झाँकना भी भद्रता के तक़ाज़े से बाहर है।
प्रश्न 19. घरेलू नौकरों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
घरेलू नौकरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है -
(i) घरेलू नौकरी में किसी भी प्रकार की वित्तीय सुरक्षा नहीं मिलती।
(ii) घरेलू नौकरियाँ स्थिर नहीं होती, इस प्रकार की नौकरियाँ कभी भी ख़त्म हो सकती है।
(iii) घरेलू नौकरियाँ करने वाले ज़्यादातर गंदे घरों में रहते है क्योंकि उनके पास ज़्यादा किराया देने के लिए पैसे नहीं होते।
(iv) घरेलू नौकरियाँ करने वाले कुछ लोगों का मालिक के घरों में शारीरिक शोषण भी होता है। व नौकरनियो को अकसर शोषण का शिकार होना पड़ता है।
(v) पराए के घरों में काम करने वाली महिलाओं को हीन भावना से देखा जाता है और इनके प्रति आम लोगों का व्यवहार अच्छा नहीं होता।
(vi) पराए के घरों में काम करने वाली महिलाओं के बच्चों को पर्याप्त भोजन और शिक्षा नहीं मिल पाती।
प्रश्न 20. परिवार से लेकर तातूश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कोनसी सच्चाई सामने आयी?
अपने परिवार से व अपने पति से रिश्ता टूटने के बाद अपनो से लेकर तातूश के घर तक, बेबी ने सभी रिश्तों को क़रीब से देखा और उन रिश्तों की सच्चाई भी जानी। पति के घर को छोड़कर वह पूरी तरह से अकेली हो गयी। वह अपने बच्चों के साथ किराए के घर में रहने लगी और काम खोजने लगी। उसके भाई व कुछ रिश्तेदार उसके घर के पास रहते थे फिर उन लोगों ने उसकी किसी प्रकार की मदद नहीं करी और ना ही उनसे मिलने गये। बेबी को अपनी माँ की मृत होने की ख़बर भी छह महीने बाद अपने पिता से मिली। इसके अलावा बाहरी लोगों ने बेबी की बहुत मदद करी। सुनील नाम के एक युवक ने बेबी को काम दिलवाया, घर टूट जाने के बाद भोला दा पूरी रात बेबी के साथ खुले आसमान में बैठे रहे, तो कही तातूश ने बेबी तो अपनी बेटी की तरह माना और उसकी हर तरह से मदद करी तातूश के प्रोत्साहन से बेबी लेखिका बन गयी। इस तरह बाबी ने समझा कि रिश्ते दिल से होते है।
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